Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 13 मार्च, 2021 | 13 Mar 2021

चौथा वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौथे वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव को संबोधित करते हुए COVID-19 महामारी के दौरान आयुर्वेद और पारंपरिक दवाओं के महत्त्व को स्पष्ट किया। चौथे वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव का आयोजन 16 से 20 मई, 2020 तक किया जाना था, परंतु कोविड-19 महामारी के कारण इसे वर्ष 2021 में स्थानांतरित कर दिया गया और अब इसे 12 से 19 मार्च, 2021 तक वर्चुअल रूप से आयोजित किया जा रहा है। वैश्विक आयुर्वेद महोत्सव में 25 से अधिक देशों के प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इस आयोजन के दौरान 35 अंतर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध वैज्ञानिकों और 150 से अधिक भारतीय वैज्ञानिकों के व्याख्यान होंगे। यह महोत्सव भाग लेने वाले देशों के सभी प्रतिबद्ध सदस्यों के प्रयासों को समन्वित कर वैश्विक चिकित्सा प्रणाली  में आयुर्वेद को स्थान दिलाने के लिये एक मंच है जहाँ कई देशों के हितधारक अपने अनुभव, आवश्यकताओं को साझा करेंगे।

कालानमक चावल महोत्सव:

उत्तर प्रदेश सरकार सिद्धार्थ नगर ज़िले में तीन दिवसीय “कालानमक चावल महोत्सव” का आयोजन करेगी। यह महोत्सव 13 मार्च, 2021 से शुरू होगा। यह उत्सव "लखनऊ में जगमग महोत्सव" की शानदार सफलता के बाद आयोजित किया जा रहा है। इस चावल महोत्सव कार्यक्रम का आयोजन ‘एक जनपद, एक उत्पाद’  (ODOP) के तहत चयनित उत्पादों को ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ और ‘लोकल फॉर वोकल’ के रूप में बाज़ार में बढ़ावा देने और ब्रांड बनाने के लिये किया जा रहा है। ‘एक जनपद, एक उत्पाद’  योजना का उद्देश्य स्थानीय शिल्प का संरक्षण एवं विकास, कला और क्षमता का विस्तार, आय में वृद्धि एवं स्थानीय रोज़गार का सृजन, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार एवं दक्षता का विकास, उत्पादों की गुणवत्ता में बदलाव, उत्पादों को पर्यटन से जोड़ा जाना, क्षेत्रीय असंतुलन के कारण उत्पन्न होने वाली आर्थिक विसंगतियों को दूर करना और राज्य स्तर पर ODOP के सफल संचालन के बाद इसे राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाना है।  कालानमक चावल पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र में उगाया जाता है। कालानमक चावल को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्राप्त हुआ है, इसे सिद्धार्थनगर, देवरिया, गोरखपुर, महाराजगंज, कुशीनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोंडा, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती में ODOP के रूप में उगाया जाता है। कालानमक चावल महोत्सव में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाएंगे, जिसमें स्थानीय कलाकारों एवं छात्रों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शन का मौका मिलेगा। इस महोत्सव में कालानमक चावल के विभिन्न व्यंजन प्रदर्शित किये जाएंगे।

झारखंड द्वारा निजी नौकरियों में 75% स्थानीय आरक्षण:

झारखंड कैबिनेट ने स्थानीय लोगों के लिये निजी क्षेत्र की इकाइयों में प्रतिमाह 30,000 रुपए तक वेतन वाली 75 प्रतिशत नौकरियों को आरक्षित करने संबंधी रोज़गार नीति को मंज़ूरी दी है। झारखंड से पहले हरियाणा सरकार ने भी इसी तरह की नीति को मंज़ूरी दी थी। झारखंड कैबिनेट ने यह निर्णय झारखंड औद्योगिक और निवेश प्रोत्साहन नीति, 2021 के मसौदे पर चर्चा करने के बाद लिया है। झारखंड राज्य में 32 जनजातियाँ निवास करती हैं। वर्ष 2001 की जनगणना के अनुसार, झारखंड में 7,087,068 जनसंख्या जनजाति है जो कुल जनसंख्या का 26.3 प्रतिशत है। वर्तमान में झारखंड में मुंडा, उरांव, संथाल, गोंड, कोल, असुर, बंजारा, चेरो, हो, कोरा, भूमिज आदि 32 आदिवासी समूह हैं।

इसरो द्वारा ध्वनि रॉकेट RH-560 लॉन्च:

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से उदासीन वायु और प्लाज़्मा गतिकी में व्यावहारिक भिन्नताओं का अध्ययन करने के लिये एक ध्वनि रॉकेट RH-560 लॉन्च किया है। ISRO ने रोहिणी सीरीज़ में रॉकेटों की एक शृंखला विकसित की है, जिनका नाम RH-200, RH-300 और RH-560 है, ये नाम मिमी. में रॉकेट के व्यास को दर्शाते हैं। ध्वनि रॉकेट एक या दो चरण के ठोस प्रणोदक रॉकेट हैं जिनका उपयोग ऊपरी वायुमंडलीय क्षेत्रों की जाँच और अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये किया जाता है। ISRO ने वर्ष 1965 से स्वदेश निर्मित ध्वनि रॉकेटों को लॉन्च करना शुरू कर दिया था। वर्ष 1969 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (ISRO) की स्थापना हुई। यह भारत सरकार की अंतरिक्ष एजेंसी है और इसका मुख्यालय बंगलूरू में है। इसे अंतरिक्ष अनुसंधान के लिये देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके करीबी सहयोगी और वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के प्रयासों से स्थापित किया गया। इसका प्रबंधन भारत सरकार के ‘अंतरिक्ष विभाग’ द्वारा किया जाता है, जो सीधे भारत के प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है। ISRO अपने विभिन्न केंद्रों के देशव्यापी नेटवर्क के माध्यम से इसका संचालन करता है।