Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 10 जून, 2021 | 10 Jun 2021

बिरसा मुंडा

उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आदिवासी स्‍वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा की पुण्‍यतिथि पर उन्‍हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि निडर आदिवासी नेता बिरसा मुंडा ने दमनकारी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध आदिवासी आंदोलन का नेतृत्त्व करके स्‍वतंत्रता संग्राम में अमूल्‍य योगदान दिया। बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवंबर, 1875 को हुआ था। वे छोटानागपुर पठार क्षेत्र की मुंडा जनजाति के थे। उन्हें अक्सर 'धरती आबा' या ‘जगत पिता’ के रूप में जाना जाता है। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा सलगा में अपने शिक्षक जयपाल नागो के मार्गदर्शन में प्राप्त की। वर्ष 1899-1900 में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ मुंडा विद्रोह छोटा नागपुर (झारखंड) के क्षेत्र में सर्वाधिक चर्चित विद्रोह था। इसे ‘मुंडा उलगुलान’ (विद्रोह) भी कहा जाता है। इस विरोध में महिलाओं की उल्लेखनीय भूमिका रही और इसकी शुरुआत मुंडा जनजाति की पारंपरिक व्यवस्था खूंटकटी की ज़मींदारी व्यवस्था में परिवर्तन के कारण हुई थी। उन्होंने धर्म को राजनीति से जोड़ दिया और एक राजनीतिक-सैन्य संगठन बनाने के उद्देश्य से प्रचार करते हुए गाँवों की यात्रा की। 3 मार्च, 1900 को बिरसा मुंडा को ब्रिटिश पुलिस ने चक्रधरपुर के जामकोपई जंगल में उनकी आदिवासी छापामार सेना के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। 9 जून, 1900 को 25 साल की छोटी उम्र में राँची जेल में उनका निधन हो गया। अपने छोटे से जीवनकाल में बिरसा मुंडा ने आदिवासी समुदाय को लामबंद किया और औपनिवेशिक अधिकारियों को आदिवासियों के भूमि अधिकारों की रक्षा हेतु कानून बनाने के लिये मज़बूर किया। उन्हीं के प्रयासों के परिणामस्वरूप ‘छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम’ पारित किया गया, जिसने आदिवासी से गैर-आदिवासियों में भूमि के हस्तांतरण को प्रतिबंधित कर दिया।

अनूप चंद्र पांडे 

सेवानिवृत्त IAS अधिकारी अनूप चंद्र पांडे ने हाल ही में देश के नए चुनाव आयुक्त के रूप में पदभार संभाल लिया है। वे मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के साथ तीन सदस्यीय निकाय में शामिल हो गए हैं। ज्ञात हो कि अनूप चंद्र पांडे, उत्तर प्रदेश कैडर के वर्ष 1984 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं और वह वर्ष 2019 में उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। इसके अलावा अनूप पांडे रक्षा और श्रम एवं रोज़गार मंत्रालयों में भी अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। भारत निर्वाचन आयोग, जिसे चुनाव आयोग के नाम से भी जाना जाता है, एक स्वायत्त संवैधानिक निकाय है जो भारत में संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का संचालन करता है। निर्वाचन आयोग में मूलतः केवल एक चुनाव आयुक्त का प्रावधान था, लेकिन राष्ट्रपति की एक अधिसूचना के ज़रिये 16 अक्तूबर, 1989 को इसे तीन सदस्यीय बना दिया गया। इसके बाद कुछ समय के लिये इसे एक सदस्यीय आयोग बना दिया गया और 1 अक्तूबर, 1993 को इसका तीन सदस्यीय आयोग वाला स्वरूप फिर से बहाल कर दिया गया। तब से निर्वाचन आयोग में एक मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त होते हैं।

हिमालयी मोनाल और स्क्लेटर मोनाल

हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के सियांग ज़िले में मोनाल की दो नई प्रजातियाँ देखी गई हैं। इसमें पहली प्रजाति हिमालयी मोनाल (लोफोफोरस इम्पेजेनस) की है, जो कि मुख्य तौर पर अफगानिस्तान से पूर्वोत्तर भारत तक अधिक व्यापक स्तर पर पाई जाती है, जबकि दूसरी प्रजाति दुर्लभ स्क्लेटर मोनाल (लोफोफोरस स्क्लेटेरी) है, जो कि मुख्य तौर पर दक्षिणी चीन और उत्तरी म्याँमार में पाई जाती है। यह एक उच्च ऊँचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाला पक्षी है, जो शायद ही कभी 1,500 मीटर की ऊँचाई से नीचे आता है। पर्यावास नुकसान और शिकार के कारण इंटरनेशनल यूनियन ऑफ कंज़र्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा इसे 'सुभेद्य’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। खोजकर्त्ताओं की टीम ने समुद्र तल से 4,173 मीटर की ऊँचाई पर माउंट एको डंबिंग पर इन पक्षियों को देखा। इन दो प्रजातियों का यहाँ देखा जाना इस क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र के लिये एक बेहतर संकेतक है। 

विश्व ब्रेन टयूमर दिवस

प्रतिवर्ष 08 जून को विश्व भर में ‘विश्व ब्रेन टयूमर दिवस’ का आयोजन किया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य आम जनमानस को ब्रेन टयूमर के बारे में जागरूक और उन्हें इस संबंध में यथासंभव शिक्षित करना है। विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस का आयोजन पहली बार वर्ष 2000 में लीपज़िग (जर्मनी) स्थित एक गैर-लाभकारी संगठन ‘जर्मन ब्रेन ट्यूमर एसोसिएशन’ द्वारा किया गया था। इस दिवस को दुनिया भर में ब्रेन ट्यूमर के रोगियों और उनके प्रियजनों के प्रति सम्मान प्रकट करने हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में घोषित किया गया था। ब्रेन ट्यूमर का आशय मस्तिष्क में असामान्य कोशिकाओं की वृद्धि से है। ब्रेन ट्यूमर के मुख्यतः दो प्रकार होते हैं: कैंसरयुक्त ट्यूमर और गैर-कैंसरयुक्त ट्यूमर। इसमें कैंसरयुक्त ट्यूमर अधिक घातक होता है। ब्रेन ट्यूमर एक जानलेवा बीमारी हो सकती है, लेकिन पूरी तरह से इलाज योग्य है। ब्रेन ट्यूमर के कुछ सामान्य उपचारों में सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी, एंटी-सीज़र दवा, स्टेरॉयड उपचार आदि शामिल हैं।