Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 06 जुलाई, 2021 | 06 Jul 2021

‘निपुण भारत’ पहल

केंद्रीय शिक्षामंत्री ने हाल ही में ‘पठन-पाठन में दक्षता और संख्‍यात्‍मक कौशल की समझ विकसित करने हेतु राष्‍ट्रीय पहल’- ‘निपुण भारत’ का वर्चुअल रूप से उद्घाटन किया है। इस पहल का प्राथमिक उद्देश्‍य बच्‍चों में पठन-पाठन,लेखन एवं संख्‍यात्‍मक कौशल की दक्षता विकसित करना है। ज्ञात हो कि यह पहल देश की नई शिक्षा नीति के अनुरूप है और प्राथमिक शिक्षा के दौरान बच्‍चों में सीखने एवं संख्‍यात्‍मक कौशल की समझ को विकसित करने में काफी मददगार साबित होगी। इस पहल को केंद्र प्रायोजित योजना- ‘समग्र शिक्षा’ के तत्त्वावधान में लॉन्च किया गया है। इस पहल के माध्यम से मुख्य तौर पर क्षमता निर्माण के मूलभूत वर्षों में बच्चों को स्कूली शिक्षा तक पहुँच प्रदान करने, उन्हें शिक्षा में संलग्न रखने, उच्च गुणवत्ता विकसित करने और प्रत्येक बच्चे की प्रगति पर नज़र रखने आदि पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। ‘निपुण भारत’ पहल का मूल उद्देश्य 3 से 9 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों की सीखने की ज़रूरतों को पूरा करना है।  इस पहल के माध्यम से शिक्षक बुनियादी भाषा, साक्षरता और संख्यात्मक कौशल विकसित करने के लिये प्रत्येक बच्चे पर ध्यान केंद्रित करेंगे तथा उन्हें बेहतर पाठकों व लेखकों के रूप में विकसित करने में मदद करेंगे। इस प्रकार ‘निपुण भारत’ पहल के तहत आधारभूत स्तर पर सीखने के अनुभव को समग्र रूप से एकीकृत, समावेशी, आनंददायक और आकर्षक बनाने की परिकल्पना की गई है। 

जीवन बीमा निगम अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति आयु में बढ़ोतरी

हाल ही में केंद्र सरकार ने ‘भारतीय जीवन बीमा निगम (स्टाफ) विनियम, 1960’ में संशोधन करते हुए ‘भारतीय जीवन बीमा निगम’ के अध्यक्ष की सेवानिवृत्ति की आयु को 60 वर्ष से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दिया है। गौरतलब है कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) सहित कुछ विशिष्ट अपवादों को छोड़कर अधिकांश सार्वजनिक उपक्रमों के शीर्ष अधिकारियों के लिये सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष ही है। बीते माह केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष के अंत में जीवन बीमा निगम (LIC) के प्रस्तावित ‘प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव’ (IPO) के मद्देनज़र LIC के वर्तमान अध्यक्ष एम.आर. कुमार को नौ माह के कार्यकाल विस्तार की मंज़ूरी दी थी। ज्ञात हो कि इस वर्ष अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1.75 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को पूरा करने के लिये वित्तीय वर्ष 2021-22 में ‘जीवन बीमा निगम’ का प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO) जारी करने की घोषणा की थी। सरकार ने सार्वजनिक प्रस्ताव को सुविधाजनक बनाने के लिये पहले ही ‘वित्त अधिनियम 2021’ के साथ-साथ ‘जीवन बीमा निगम अधिनियम, 1956’ में संशोधन कर दिया है। संशोधन के एक हिस्से के रूप मे सरकार ने लिस्टिंग की सुविधा के लिये LIC की अधिकृत पूंजी को 100 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 25,000 करोड़ रुपए कर दिया है। विदित हो कि वर्तमान में LIC में सरकार की 100 फीसदी हिस्सेदारी है।

पिंगली वेंकैया

04 जुलाई, 2021 को उपराष्‍ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने राष्‍ट्रीय ध्‍वज का डिज़ाइन तैयार करने वाले प्रसिद्ध स्‍वतंत्रता सेनानी और कृषि वैज्ञानिक पिंगली वेंकैया की पुण्‍यतिथि पर उनके प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। 2 अगस्त, 1876 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िले में जन्मे पिंगली वेंकैया ने प्रारंभिक शिक्षा भटाला पेनमरू और मछलीपट्टनम में प्राप्त की तथा 19 वर्ष की आयु में उन्होंने अफ्रीका में एंग्लो बोअर युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में सैनिक के रूप में कार्य किया। इसी युद्ध के दौरान दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए वे गांधी जी से मिले एवं उनसे काफी प्रभावित हुए। अफ्रीका से लौटने के बाद पिंगली वेंकैया ने अपना अधिकांश समय कृषि और कपास की खेती विषय पर शोध करते हुए बिताया। उन्होंने लाहौर के एंग्लो वैदिक स्कूल में संस्कृत, उर्दू और जापानी का अध्ययन भी किया। वर्ष 1918 तथा वर्ष 1921 के बीच पिंगली वेंकैया ने काॅॅन्ग्रेस के लगभग प्रत्येक अधिवेशन में एक ध्वज की मांग का आह्वान किया। राष्ट्रीय ध्वज की आवश्यकता को स्वीकार करते हुए वर्ष 1921 में राष्ट्रीय काॅॅन्ग्रेस की एक बैठक में गांधी जी ने वेंकैया से नए सिरे से डिज़ाइन तैयार करने को कहा। प्रारंभ में वेंकैया ने ध्वज में केवल लाल और हरे रंग का ही प्रयोग किया था, जो क्रमशः हिंदू तथा मुसलमान समुदायों का प्रतिनिधित्व करते थे। किंतु बाद में इसके केंद्र में एक चरखा और तीसरे रंग (सफेद) को भी शामिल किया गया। वर्ष 1931 में भारतीय राष्ट्रीय काॅॅन्ग्रेस द्वारा इस ध्वज को आधिकारिक तौर पर अपनाया गया। 4 जुलाई, 1963 को पिंगली वेंकैया की मृत्यु हो गई। 

गुलजारी लाल नंदा

04 जुलाई, 2021 को देश भर में पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारी लाल नंदा की 123वीं जयंती का आयोजन किया गया। 4 जुलाई, 1898 को सियालकोट (पंजाब) में जन्मे गुलजारी लाल नंदा ने लाहौर, आगरा और इलाहाबाद से शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1920-1921) में श्रम समस्याओं पर एक शोध अध्येता के रूप में काम किया तथा वर्ष 1921 में नेशनल कॉलेज (बॉम्बे) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बने। इसी वर्ष वे असहयोग आंदोलन में भी शामिल हुए। स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका के लिये उन्हें वर्ष 1932, वर्ष 1942 और वर्ष वर्ष 1944 में जेल भी जाना पड़ा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद मार्च 1950 में वे उपाध्यक्ष के तौर पर ‘योजना आयोग’ (वर्तमान नीति आयोग) में शामिल हुए। सितंबर 1951 में उन्हें केंद्र सरकार में योजना मंत्री नियुक्त किया गया। वर्ष 1959 में उन्होंने जिनेवा में आयोजित ‘अंतर्राष्ट्रीय श्रम सम्मेलन’ में भारतीय दल का प्रतिनिधित्व किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की मृत्यु के बाद गुलजारी लाल नंदा ने 27 मई, 1964 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। इसके पश्चात् 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद एक बार पुनः प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। 15 जनवरी, 1998 में अहमदाबाद में उनकी मृत्यु हो गई।