Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 04 दिसंबर, 2020 | 04 Dec 2020

राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस

भारत में प्रत्येक वर्ष 02 दिसंबर को राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य औद्योगिक आपदाओं के प्रबंधन और नियंत्रण पर जागरूकता फैलाना और औद्योगिक अथवा मानवीय गतिविधियों के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण को रोकने की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना है। यह दिवस उन लोगों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 2-3 दिसंबर, 1984 की रात को भोपाल गैस त्रासदी में अपनी जान गँवा दी थी। दरअसल 2 दिसंबर, 1984 की रात को अमेरिकी कंपनी यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड (मौजूदा नाम-डाउ केमिकल्स) के प्लांट से मिथाइल आइसोसाइनाइट (Methyl Isocyanate) गैस का रिसाव हुआ था, जिसने भोपाल शहर को एक विशाल गैस चैंबर में परिवर्तित कर दिया था। कम-से-कम 30 टन मिथाइल आइसोसाइनाइट गैस के रिसाव के कारण तकरीबन 15,000 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई थी और लाखों लोग इस भयावह त्रासदी से प्रभावित हुए थे। यही कारण है कि भोपाल गैस त्रासदी को विश्व में सबसे बड़ी औद्योगिक प्रदूषण आपदाओं में से एक माना जाता है। भारत के राष्ट्रीय स्वास्थ्य पोर्टल के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण प्रत्येक वर्ष विश्व स्तर पर लगभग 7 मिलियन से अधिक लोगों की मृत्यु होती है, जिनमें से तकरीबन 4 मिलियन लोगों की मौत घरेलू वायु प्रदूषण के कारण होती है। मौजूदा समय में प्रदूषण स्तर इतना अधिक हो गया है कि विश्व के 10 में से 9 लोगों को स्वच्छ वायु नहीं मिल पाती है। 

भारत और अमेरिका बीच बौद्धिक संपदा सहयोग पर समझौता

उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) ने संयुक्त राज्य अमेरिका के पेटेंट और ट्रेडमार्क कार्यालय (USPTO) के साथ बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में सहयोग के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं। इस समझौते से बौद्धिक संपदा अधिकार के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच उद्योगों, विश्‍वविद्यालयों, अनुसंधान तथा संस्‍थाओं के स्‍तर पर अनुभवों और बेहतरीन तौर-तरीकों तथा ज्ञान को साझा करने में मदद मिलेगी। इस समझौते के माध्यम से कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, IPR के संरक्षण, पेटेंट और औद्योगिक डिज़ाइनों के पंजीकरण एवं परीक्षण हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं और सूचनाओं का आदान-प्रदान किया जाएगा। यह समझौता वैश्विक नवाचार में एक प्रमुख देश बनने की दिशा में भारत की यात्रा के लिये एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा और राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा अधिकार नीति- 2016 के उद्देश्यों को आगे बढ़ाएगा। 

नौसेना दिवस

प्रत्येक वर्ष 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस (Indian Navy Day) मनाया जाता है। इस दिवस का आयोजन वर्ष 1971 में कराची हार्बर में पाकिस्तान के नौसेना मुख्यालय पर भारतीय नौसेना को आपरेशन ट्राइडेंट (Operation Trident) में मिली शानदार कामयाबी की याद में किया जाता है। 4 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान के साथ युद्ध में भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन ट्राइडेंट के तहत कराची बंदरगाह पर एक ही रात में पाकिस्तान के तीन जलपोतों को नष्ट कर दिया था। वर्ष 2020 के लिये इस दिवस की थीम है- ‘भारतीय नौसेना- मुकाबले के लिये तैयार,  विश्वसनीय और सामंजस्यपूर्ण’। भारतीय नौसेना का इतिहास वर्ष 1612 में तब शुरू हुआ,जब ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने जहाज़ों की सुरक्षा के लिये ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन (East India Company's Marine) के रूप में नौसैनिक टुकड़ी का गठन किया था। बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी मरीन का नाम बदलकर बॉम्बे मरीन (Bombay Marine) कर दिया गया। वर्ष 1892 में इसका नाम रॉयल इंडियन मरीन कर दिया गया। भारत की स्वतंत्रता के बाद वर्ष 1950 में नौसेना का पुनः गठन किया गया और इसे भारतीय नौसेना नाम दिया गया।

विश्व दिव्यांग दिवस

विश्व भर में दिव्यांगजनों के समक्ष मौजूद चुनौतियों और समस्याओं को रेखांकित करने और उन्हें स्वीकृति प्रदान करने के लिये प्रत्येक वर्ष 03 दिसंबर को विश्व दिव्यांग दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का प्राथमिक उद्देश्य दिव्यांगजनों से संबंधित मुद्दों और विकलांग व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों के बारे में आम लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देना है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1981 को ‘विकलांगजनों के लिये अंतर्राष्ट्रीय वर्ष’ घोषित किया था। उसके बाद 1983-92 के दशक को ‘विकलांगजनों के लिये अंतर्राष्ट्रीय दशक’ घोषित किया गया। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1992 से प्रतिवर्ष 3 दिसंबर को ‘विश्व विकलांगता दिवस’ के रूप में मनाने की शुरुआत की गई। मौजूदा समय में दिव्यांगता को अक्षमता के नज़रिये नहीं देखा जाता है और इसका सफल उदाहरण यह है कि आधुनिक युग के सबसे सफल वैज्ञानिकों में से एक स्टीफन हॉकिंग भी दिव्यांग थे। वर्ष 2001 की जनगणना के मुताबिक, भारत में 21 मिलियन (2.1 प्रतिशत जनसंख्या) से अधिक लोग किसी-न-किसी प्रकार की दिव्यांगता से पीड़ित हैं। देश में कुल दिव्यंगों में 12.6 मिलियन पुरुष और 9.3 मिलियन महिलाएँ हैं।