Rapid Fire (करेंट अफेयर्स): 03 जनवरी, 2023 | 03 Jan 2023

108वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस

108वीं भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस का सम्‍मेलन नागपुर के राष्‍ट्रसंत तुकादोजी महाराज नागपुर विश्‍वविद्यालय में  3 जनवरी से शुरू हो गया है। वर्ष 2023 के सम्‍मेलन का मुख्य विषय- महिला सशक्तीकरण के साथ सतत् विकास के लिये विज्ञान और प्रौद्योगिकी है। इसमें संबद्ध विषय की भूमिका से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित शिक्षा और आर्थिक भागीदारी तक महिलाओं को समान पहुँच प्रदान करने के साथ ही अध्‍यापन, अनुसंधान और उद्योग जैसे क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर भी विचार-विमर्श किया जाएगा। भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस अथवा 'भारतीय विज्ञान कॉन्ग्रेस संघ' (Indian Science Congress Association- ISCA) भारतीय वैज्ञानिकों की शीर्ष संस्था है। पहली विज्ञान कॉन्ग्रेस वर्ष 1914 में आयोजित की गई थी। प्रतिवर्ष जनवरी के प्रथम सप्ताह में इसका सम्मेलन होता है। इसके साथ कई अन्‍य कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा। कृषक विज्ञान कॉन्ग्रेस जैव-अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार तथा युवाओं को कृषि की ओर आकर्षित करने का मंच प्रदान करेगी। जनजातीय विज्ञान कॉन्ग्रेस जनजातीय महिलाओं के सशक्तीकरण पर ध्‍यान केंद्रित करने के साथ-साथ स्‍वदेशी प्राचीन ज्ञान प्रणाली और पद्धतियों का वैज्ञानिक प्रदर्शन पर केंद्रित है।

देश भर में नदियों पर एक हज़ार से अधिक जलमार्ग

भारत सरकार नदियों में आधुनिक क्रूज़ जहाज़ सेवा संचालित करने के लिये 1000 से अधिक जलमार्ग निर्माण हेतु प्रयासरत है। सतत् जलमार्गों के विकास के साथ भारत क्रूज़ पर्यटन के क्षेत्र में एक नया दौर शुरू करने के लिये पूर्णतः तैयार है। प्रधानमंत्री ने दूसरी राष्‍ट्रीय गंगा परिषद की बैठक की अध्‍यक्षता करते हुए बताया कि जनवरी महीने की 13 तारीख को 2300 किलोमीटर की विश्‍व की सबसे लंबी क्रूज़ सेवा की शुरुआत काशी से की जाएगी, जो बांग्‍लादेश होते हुए डिब्रूगढ़ तक जाएगी। इस बैठक में प्रधानमंत्री ने नदियों की सफाई में जन-आंदोलन और लोगों की भागीदारी पर ज़ोर दिया। पत्तन पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री ने नदी पर्यटन एवं आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने हेतु गंगा नदी में जलमार्गों के विकास के लिये हर संभव सहायता का आश्वासन दिया है। 

मॉयल द्वारा रिकॉर्ड उत्पादन

मॉयल ने दिसंबर 2022 में 1,41,321 टन मैंगनीज़ अयस्क के साथ दिसंबर का अब तक का सर्वश्रेष्ठ उत्पादन किया है। नवंबर 2022 की तुलना में उत्पादन में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। साथ ही नवंबर 2022 की तुलना में लगभग 91 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ दिसंबर महीने के लिये 1,64,235 टन की बिक्री भी शानदार रही है। मॉयल लिमिटेड भारत सरकार के इस्पात मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत अनुसूची-ए, मिनीरत्न श्रेणी-1 की CPSE (Central Public Sector Enterprises) है। मॉयल लगभग 45% बाज़ार हिस्सेदारी के साथ देश में मैंगनीज़ अयस्क की सबसे बड़ी उत्पादक है, जो महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश राज्य में 11 खानों का संचालन करती है। इस कंपनी का वर्ष 2030 तक अपने उत्पादन को लगभग दोगुना करके 3.00 मिलियन टन तक पहुँचाने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य है। मॉयल मध्य प्रदेश राज्य के अन्य क्षेत्रों के अलावा गुजरात, राजस्थान और ओडिशा राज्य में भी व्यापार के अवसर तलाश रही है।

माइक्रोप्लास्टिक्स को फिल्टर करने हेतु शुद्धिकरण प्रणाली

हाल ही में दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने एक नई जल शोधन प्रणाली विकसित की है जो माइक्रोप्लास्टिक्स को शीघ्र और कुशलता से फिल्टर कर सकती है। एक प्रयोग में 99.9% से अधिक दूषित पदार्थों को केवल 10 सेकंड में जल से निष्कासित कर दिया गया। उपयोग किया गया बहुलक सस्ता है और इसमें उत्कृष्ट अधिशोषण एवं फोटोथर्मल विशेषताएँ हैं। माइक्रोप्लास्टिक्स को आभूषणों में इस्तेमाल होने वाले मानक मोती की तुलना में पाँच मिलीमीटर से कम व्यास वाले प्लास्टिक के रूप में परिभाषित किया गया है। यह हमारे समुद्र और जलीय जीवन के लिये हानिकारक हो सकता है।

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मन्‍नथू पद्मनाभन 

प्रधानमंत्री ने मन्‍नथू पद्मनाभन को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। उनका जन्म 2 जनवरी, 1878 को केरल में हुआ था। वह दक्षिण-पश्चिमी राज्य केरल के भारतीय समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने वैकोम (1924) और गुरुवयूर (1924) मंदिर-प्रवेश सत्याग्रह एवं अस्पृश्यता विरोधी आंदोलनों में भाग लिया। उन्हें नायर समुदाय का सदस्य, सुधारक और नैतिक मार्गदर्शक माना जाता है। वर्ष 1966 में उन्हें पद्म भूषण प्रदान किया गया। 25 फरवरी, 1970 को उनका निधन हो गया।

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साड़ी महोत्सव विरासत (VIRAASAT) 

वस्त्र मंत्रालय द्वारा आयोजित भारत की 75 हाथ से बुनी साड़ियों का उत्सव, साड़ी महोत्सव "विरासत" का दूसरा चरण 3 से 17 जनवरी, 2023 तक नई दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। 

साड़ी 

राज्य 

बनारसी  

  उत्तर प्रदेश

पैठनी

महाराष्ट्र 

कांजीवरम

तमिलनाडु

कसवु

केरल

जामदानी

पश्चिम बंगाल

बंधनी 

गुजरात

मुगा 

असम

फुलकारी

पंजाब

कलमकारी

  राजस्थान

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DRDO स्थापना दिवस

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defence Research and Development Organisation- DRDO) ने 1 जनवरी, 2023 को अपना 65वाँ स्थापना दिवस मनाया।

DRDO का गठन वर्ष 1958 में भारतीय सेना के तकनीकी विकास प्रतिष्ठान (Technical Development Establishment- TDEs) और रक्षा विज्ञान संगठन (Defence Science Organisation- DSO) तथा तकनीकी विकास एवं उत्पादन निदेशालय (Technical Development & Production- DTDP) के समामेलन से किया गया था।

यह 50 से अधिक प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क है जो एयरोनॉटिक्स, आयुध, इलेक्ट्रॉनिक्स, लड़ाकू वाहनों, इंजीनियरिंग प्रणालियाँ आदि जैसे विभिन्न विषयों को कवर करने वाली रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में प्रतिबद्धता के साथ लगे हुए हैं। हाल के विकास- एक्सट्रीम कोल्ड वेदर क्लोथिंग सिस्टम (ECWCS), 'प्रलय', कंट्रोल्ड एरियल डिलीवरी सिस्टम।

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