रेबीज़ | 09 May 2025
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
केरल में तीन टीकाकृत बच्चों की रेबीज़ से मृत्यु हो गई, जबकि उन्हें उचित मात्रा में टीका लगाया गया था, जिससे समय पर हस्तक्षेप को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं ।
- पीड़ितों के सिर और हाथ में गहरी चोटें आईं , जहाँ घने तंत्रिका नेटवर्क थे, जिससे वायरस को तंत्रिका तंत्र तक तेज़ी से पहुँचने में मदद मिली।
- रेबीज़ तंत्रिकाओं के माध्यम से केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (CNS) को संक्रमित करता है और संवेदनशील भाग पर काटने से उसके बाद हुए टीकाकरण की प्रभावशीलता कम हो जाती है।
- प्राथमिक उपचार में विफलता (घावों को साबुन और पानी से न धोना) से वायरस के संचरण का जोखिम काफी बढ़ जाता है ।
- रेबीज़: यह एक घातक पशुजन्य वायरल रोग है जो मनुष्यों सहित स्तनधारियों के केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है।
- यह रेबीज़ वायरस के कारण होता है और लक्षण दिखने पर लगभग 100% घातक होता है।
- लक्षण प्रकट होने से पहले समय पर चिकित्सा देखभाल से रेबीज़ को 100% रोका जा सकता है ।
- यह वायरस संक्रमित जानवरों ( कुत्तों, चमगादड़ों, रैकून, लोमड़ियों ) की लार में मौजूद होता है और काटने, खरोंचने या खुले घावों या श्लेष्म झिल्ली को चाटने के माध्यम से मानव शरीर में प्रवेश करता है।
- वायरस तंत्रिकाओं के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुँचता है, मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफेलाइटिस) उत्पन्न करता है, गंभीर तंत्रिका संबंधी समस्याएँ उत्पन्न करता है तथा इनके परिणामस्वरूप मृत्यु हो जाती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत में रेबीज़़ का प्रकोप सबसे अधिक है तथा वैश्विक रूप से रेबीज़़ से होने वाली मौतों में से 36% यहीं होती हैं।
- यह रेबीज़ वायरस के कारण होता है और लक्षण दिखने पर लगभग 100% घातक होता है।
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