प्रोटॉन बीम थेरेपी | 02 Mar 2023

वर्तमान में भारत में प्रोटॉन बीम थेरेपी उपचार प्रदान करने वाला कोई बुनियादी ढाँचा उपलब्ध नहीं है। यह प्रक्रिया ठोस ट्यूमर, विशेष रूप से सिर और गर्दन के कैंसर के इलाज के लिये संभावित विकिरण-मुक्त विकल्प माना जाती है।

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प्रोटॉन बीम थेरेपी:

  • परिचय:  
    • प्रोटॉन बीम थेरेपी एक प्रकार का कैंसर उपचार है जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिये उच्च-ऊर्जा प्रोटॉन बीम का उपयोग करती है।
      • प्रोटॉन एक सकारात्मक रूप से आवेशित प्राथमिक कण होता है जो सभी परमाणु नाभिकों का एक मूलभूत घटक है।
    • पारंपरिक विकिरण चिकित्सा जो एक्स-रे का उपयोग करती है, के विपरीत प्रोटॉन बीम थेरेपी (PBT) आसपास के स्वस्थ ऊतकों के विकिरण जोखिम को कम करते हुए ट्यूमर को सटीक रूप से लक्षित कर सकती है।
    • प्रोटॉन बीम थेरेपी सामान्यतः एक बड़ी, जटिल मशीन के माध्यम से की जाती है जिसे साइक्लोट्रॉन कहा जाता है, जो प्रोटॉन को उच्च गति के साथ ट्यूमर तक पहुँचाती है। 
  • प्रोटॉन बीम थेरेपी से संबंधित समस्याएँ: 
    • परमाणु ऊर्जा विभाग की सुरक्षा संबंधी चिंताएँ जैसे- बुनियादी ढाँचे और नियामक दृष्टिकोण से PBT केंद्र खोलना इसे चुनौतीपूर्ण बनाती हैं।
      • चूँकि हाइड्रोजन एक अत्यधिक ज्वलनशील तत्त्व है और इसकी सुरक्षा संबंधी चुनौतियाँ हैं अर्थात् रिसाव को रोकने हेतु लगातार निरीक्षण करना आवश्यक है।
    • PBT मशीन एक बहुत बड़ा उपकरण है और इसकी लागत लगभग 500 करोड़ रुपए है। 
  • भारत में PBT :  
    • चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल, दक्षिण और पश्चिम एशिया का एकमात्र केंद्र है जो PBT सुविधा प्रदान करता है। 
    • इस अस्पताल में अब तक 900 रोगियों का इलाज किया गया है जिनमें 47% मामले ब्रेन ट्यूमर के थे। 
      • प्रोस्टेट, ओवरी, स्तन, फेफड़े, हड्डियों और सॉफ्ट टिश्यूज़ के कैंसर रोगियों के इलाज में भी PBT के आशाजनक परिणाम देखे गए हैं। 

आगे की राह   

  • भारत में PBT उपचार तक पहुँच प्रदान किये जाने की आवश्यकता है। सरकार को देश के विभिन्न हिस्सों में PBT केंद्र स्थापित करने पर ध्यान देना चाहिये ताकि अधिक-से-अधिक कैंसर रोगियों को इलाज की सुविधा प्राप्त हो सके। 
  • PBT केंद्र की स्थापना करते समय सुरक्षा चिंताओं, बुनियादी ढाँचे एवं नियामक चुनौतियों को संबोधित करना आवश्यक है। चेन्नई स्थित अपोलो अस्पताल PBT की सफलता के मामले में अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के लिये इस तकनीक में निवेश करने हेतु प्रेरणादायक हो सकता है। 

स्रोत: द हिंदू