लाल सागर के विभाजन पर प्रस्तावित परिकल्पनाएँ | 03 Jan 2024

स्रोत: डाउन टू अर्थ

मिस्र से भागने और हिब्रू (मेसोपोटामिया के उर शहर को छोड़कर जाने वाले चरवाहे) के लिये लाल सागर को विभाजित करने की कहानी को बुक ऑफ एक्सोडस में एक अलौकिक कार्य के रूप में देखा जाता है किंतु हाल ही में कुछ शोधकर्त्ताओं ने इस कहानी को एक विभिन्न दृष्टिकोण से देखा है एवं कुछ मौसम संबंधी घटनाओं का उपयोग कर इसे समझाया है।

लाल सागर के विभाजन से संबंधित नवीनतम मौसम संबंधी परिकल्पनाएँ क्या हैं?

शोधकर्त्ताओं ने 4 संभावित मौसम संबंधी घटनाओं का प्रस्ताव दिया है जिनके कारण लाल सागर की धाराओं का अस्थायी रूप से विभाजन हुआ होगा:

  • मेडिकेन: भूमध्य सागर में ये हरिकेन जैसे तूफान अत्यधिक व्यापक तूफान का रूप धारण कर सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप तटीय जल को पीछे की ओर प्रवाहित हो सकता है जिसके फलस्वरूप भू-भाग उजागर हो सकता है।
    • शोधकर्त्ताओं ने फ्लोरिडा के समुद्र तट पर इरमा तूफान के प्रभाव को एक उदाहरण के रूप में उल्लिखित किया है।
  • वायु का रुकना: निरंतर उच्च गति वाली वायु अस्थायी रूप से स्वेज़ की खाड़ी में उभरी हुई चट्टानों को उजागर कर सकती हैं, जिससे प्रत्यक्ष मार्ग की सुविधा हो सकती है।
    • बाइबिल में निर्गमन के दौरान एक "पूर्वी वायु" का उल्लेख मिलता है, जो इस घटना से मिलती जुलती है।
  • ज्वारीय अनुनाद: जब तेज़ हवाओं जैसे बाह्य कारक किसी स्थान के प्राकृतिक ज्वारीय पैटर्न के साथ मिलते हैं, तो इसके परिणामस्वरूप असामान्य रूप से लघु ज्वार आ सकता है और समुद्र तल के बड़े क्षेत्र उज़ागर हो सकते हैं।
    • उत्तरी अटलांटिक में अमेरिका-कनाडा सीमा पर फंडी की खाड़ी (Bay of Fundy)  इस घटना का एक प्रमुख उदाहरण है।
  • रॉस्बी लहरें: पृथ्वी की घूर्णन के कारण महासागरों और वायुमंडल में ये बड़े पैमाने की लहरें, जल के  द्रव्यमान को स्थानांतरित कर सकती हैं।
    • लाल सागर में उनकी घटना अस्थायी रूप से इज़रायलियों के लिये मार्ग का निर्माण कर सकती है।
    • मिस्र अभियान के दौरान नेपोलियन बोनापार्ट के ऐतिहासिक वृत्तांत में ज्वारीय परिवर्तनों के बीच लाल सागर को पार करने का भी उल्लेख किया गया है।
  • हालाँकि अध्ययन के निष्कर्ष प्राचीन भूगोल और जलवायु की अनिश्चितताओं के साथ-साथ जटिल प्राकृतिक घटनाओं के मॉडलिंग की अंतर्निहित चुनौतियों तक सीमित हैं। सबूतों को और मज़बूत करने के लिये आगे के शोध एवं पुरातात्त्विक कार्यों की आवश्यकता है।