निवारक निरोध और राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 | 01 Oct 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

जलवायु कार्यकर्त्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 के तहत हिरासत में लिया गया था, जो सरकार को सार्वजनिक व्यवस्था या राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरा माने जाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ पूर्व-प्रतिक्रियात्मक कार्रवाई करने की अनुमति देता है। 

निवारक निरोध क्या है? 

  • परिचय: निवारक निरोध का अर्थ है किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा विचारण एवं दोषसिद्धि के बिना हिरासत में लेना। इसका उद्देश्य किसी व्यक्ति को पूर्व अपराध के लिये दंडित करना नहीं है बल्कि उसे निकट भविष्य में अपराध करने से रोकना है। 
    • निवारक निरोध पूर्वानुमानात्मक होता है, जो भविष्य में हानिकारक कार्यों की संभावना के आधार पर लगाया जाता है, जबकि दंडात्मक निरोध उचित कानूनी प्रक्रिया के माध्यम से दोषसिद्धि के बाद सज़ा के रूप में लगाया जाता है।
  • संवैधानिक प्रावधान: अनुच्छेद 22 भारत में निवारक निरोध की स्पष्ट अनुमति देता है। किसी व्यक्ति को सलाहकार बोर्ड (जिसमें उच्च न्यायालय के योग्य न्यायाधीश शामिल होते हैं) की अनुमति के बिना 3 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। 
    • तीन महीने से अधिक समय तक हिरासत में रखने के लिये सलाहकार बोर्ड की मंज़ूरी आवश्यक है। 
    • संसद तीन महीने से अधिक समय तक हिरासत में रखने के लिये शर्तें निर्धारित कर सकती है, अधिकतम अवधि निर्धारित कर सकती है तथा सलाहकार बोर्ड की प्रक्रियाएँ निर्धारित कर सकती है। 
    • हिरासत में लिये गए व्यक्ति को हिरासत के आधार के बारे में अवश्य सूचित किया जाना चाहिये, यद्यपि सार्वजनिक हित में कुछ तथ्यों को छिपाया जा सकता है। 
      • नज़रबंद व्यक्ति को आदेश के विरुद्ध प्रतिनिधित्व (Representation) के माध्यम से चुनौती देने का शीघ्रतम अवसर दिया जाना चाहिये। 
  • महत्त्व: निवारक नज़रबंदी (Preventive Detention) संविधान के अनुच्छेद 355 का समर्थन करती है, जिसके तहत केंद्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वह राज्यों को बाहरी आक्रमण और आंतरिक अशांति से सुरक्षित रखना तथा यह सुनिश्चित करना कि राज्य सरकारें संविधान के अनुरूप कार्य करें। 
  • भारत में निवारक निरोध से संबंधित प्रमुख कानून: 
  • निवारक निरोध पर सर्वोच्च न्यायालय कोर्ट के निर्णय: 
    • अमीना बेगम बनाम तेलंगाना राज्य (2023): न्यायालय ने कहा कि निवारक निरोध एक असाधारण उपाय है, जो केवल आपातकालीन परिस्थितियों में ही लागू किया जाना चाहिये और इसे सामान्य रूप से नहीं अपनाया जाना चाहिये।
    • रेखा बनाम तमिलनाडु राज्य (2011): सर्वोच्च न्यायालय ने यह निर्धारित किया कि निवारक निरोध अनुच्छेद 21 का अपवाद है और इसे बहुत ही असाधारण परिस्थितियों में ही लागू किया जाना चाहिये। 
    • अनुकुल चंद्र प्रधान, अधिवक्ता बनाम भारत संघ एवं अन्य (1997): न्यायालय ने ज़ोर दिया कि निवारक निरोध का उद्देश्य राज्य की सुरक्षा को नुकसान से बचाना है, न कि किसी को सज़ा देना। 

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 (NSA) क्या है? 

  • पृष्ठभूमि:  भारत में निवारक निरोध की शुरुआत औपनिवेशिक काल से हुई है, जब इसका इस्तेमाल युद्धों के दौरान असहमति को दबाने के लिये किया जाता था। आज़ादी के बाद संसद ने निवारक निरोध अधिनियम, 1950 और उसके बाद आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (MISA), 1971 पारित किया, जिसका वर्ष 1978 में निरस्त होने से पहले आपातकाल के दौरान व्यापक रूप से दुरुपयोग किया गया था। 
    • वर्ष 1980 में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लागू किया गया था। यह केंद्र, राज्यों, ज़िला मजिस्ट्रेटों और अधिकृत पुलिस आयुक्तों को "भारत की रक्षा, विदेश संबंधों, सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था या आवश्यक आपूर्ति को नुकसान पहुँचाने वाली" गतिविधियों को रोकने के लिये व्यक्तियों को हिरासत में लेने का अधिकार देता है। 
      • नज़रबंदी आदेश: NSA के तहत नज़रबंदी आदेश गिरफ्तारी वारंट की तरह काम करता है। एक बार हिरासत में लिये जाने के बाद, व्यक्ति को निर्दिष्ट स्थानों पर रखा जा सकता है, राज्यों के बीच स्थानांतरित किया जा सकता है तथा सरकार द्वारा निर्धारित शर्तों के अधीन रखा जा सकता है। 
  • प्रक्रियात्मक आवश्यकताएँ: हिरासत के कारण 5 से 15 दिन के भीतर सूचित किये जाने चाहिये। हिरासत में लिये गए व्यक्ति को सरकार को प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने का अधिकार है। उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के एक सलाहकार बोर्ड को 3 सप्ताह के भीतर मामले की समीक्षा करनी होगी। 
    • यदि बोर्ड को “कोई पर्याप्त कारण नहीं” मिलता है तो बंदी को रिहा कर दिया जाना चाहिये। 
    • अधिकतम हिरासत अवधि 12 महीने है। हालाँकि इसे पहले भी रद्द किया जा सकता है। 
  • सुरक्षा उपायों की सीमाएँ: सलाहकार बोर्ड के समक्ष हिरासत में लिये गए व्यक्ति को कानूनी प्रतिनिधित्व का अधिकार नहीं होता। सरकार "जनहित" का हवाला देकर कुछ तथ्यों को सार्वजनिक नहीं कर सकती। ये प्रावधान अधिकारियों को व्यापक विवेकाधिकार प्रदान करते हैं, जिससे संभावित दुरुपयोग की चिंताएँ उत्पन्न होती हैं। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) 

  • प्रश्न: भारत में निवारक निरोध क्या है? 
    उत्तर: किसी व्यक्ति को सार्वजनिक व्यवस्था, सुरक्षा या आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के संभावित खतरे से रोकने के लिये हिरासत में रखना, न कि सज़ा के रूप में। 
  • प्रश्न: भारत में निवारक निरोध के लिये कौन-सा संवैधानिक प्रावधान लागू होता है? 
    उत्तर: अनुच्छेद 22 निवारक निरोध की अनुमति देता है। इसके तहत बिना सलाहकार बोर्ड की मंज़ूरी के 3 महीने तक हिरासत संभव है और लंबे समय तक हिरासत के लिये उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के सलाहकार बोर्ड द्वारा समीक्षा आवश्यक है। 
  • प्रश्न: राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 (NSA) क्या है? 
    उत्तर: NSA एक निवारक निरोध कानून है, जो भारत की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की सुरक्षा के लिये अधिकारियों को व्यक्तियों को हिरासत में लेने की अनुमति देता है। 

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs) 

प्रिलिम्स:

निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: 

  1. भारत के संविधान के अनुसार, केंद्र सरकार का यह एक दायित्व है कि वह राज्यों को आंतरिक विक्षोभों से बचाए।
  2. भारत का संविधान राज्यों को, निवारक निरोध में रखे जा रहे किसी व्यक्ति को विधिक मंत्रणा उपलब्ध कराने से छूट प्रदान करता है।
  3. आतंकवाद निवारण अधिनियम, 2002 के अनुसार, पुलिस के समक्ष अभियुक्त की संस्वीकृति को साक्ष्य के रूप में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं? 

A. केवल एक

B. केवल दो

C. सभी तीन

D. कोई भी नहीं 

उत्तर:  B