प्रीलिम्स फैक्ट्स: 15 मई, 2020 | 15 May 2020

सीओबीएएस 6800 परीक्षण मशीन

COBAS 6800 Testing Machine

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री (Union Minister of Health & Family Welfare) ने 14 मई, 2020 को ‘राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र‘ (National Centre for Disease Control ) का दौरा किया और ‘सीओबीएएस 6800 परीक्षण मशीन’ (COBAS 6800 Testing Machine) राष्ट्र को समर्पित की। 

Cobas

प्रमुख बिंदु:

  • यह पहली ऐसी परीक्षण मशीन है जिसे केंद्र सरकार द्वारा COVID-19 मामलों के परीक्षण के लिये खरीदा गया है और इसे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र में स्थापित किया गया है।
  • ‘सीओबीएएस 6800 परीक्षण मशीन’ 24 घंटों में लगभग 1200 नमूनों का सटीक परीक्षण कर सकेगी। यह परीक्षण प्रक्रिया में कमी लाने के साथ जाँच क्षमता में व्यापक वृद्धि करेगी।
  • ‘सीओबीएएस 6800’ में रोबोटिक्स तकनीकी का प्रयोग किया गया है जो संदूषण की संभावना को कम करता है तथा स्वास्थ्य कार्यकर्त्ताओं में संक्रमण के जोखिम को न्यूनतम करता है क्योंकि इसे सीमित मानव हस्तक्षेपों के साथ दूर से संचालित किया जा सकता है। 
    • चूँकि मशीन को परीक्षण के लिये न्यूनतम ‘बायोसेफ्टी लेवल टू प्लस’ (BSL2+) नियंत्रण स्तर की आवश्यकता होती है इसलिये इसे किसी भी विशेष सुरक्षा के साथ ही प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
  • ‘COBAS 6800’ अन्य रोगजनकों जैसे- वायरल हेपेटाइटिस B&C, HIV, MTB (रिफैम्पिसिन एवं आइसोनियाज़ाइड रेसिस्टेंस), पैपिलोमा, CMV, क्लैमाइडिया, नैसेरेईया आदि का पता भी लगा सकती है।

राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान

National Institute of Pharmaceutical Education and Research

हाल ही में देशभर के विभिन्न ‘राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान’ (National Institute of Pharmaceutical Education and Research- NIPER) ने COVID-19 से संबंधित विभिन्न शोधकार्य संपन्न किये हैं।  

प्रमुख बिंदु: 

  • ‘राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान’ (National Institute of Pharmaceutical Education and Research- NIPER) द्वारा COVID-19 से संबंधित बड़ी संख्या में बहुआयामी शोध प्रस्ताव अनुमोदन के लिये संबंधित एजेंसियों को प्रस्तुत किये गए हैं।
  • इन प्रस्तावों के प्रमुख विषयों में निम्नलिखित शामिल हैं- 
    • NIPER, मोहाली द्वारा एंटीवायरल एजेंट को लक्षित करने वाले प्रोटीज का डिज़ाइन। 
    • NIPER, (मोहाली एवं रायबरेली) द्वारा ‘खाद्य एवं औषधि प्रशासन’ (Food and Drug Administration- FDA) से अनुमोदित दवा-डेटाबेस का उपयोग करके कम्प्यूटेशनल रूप से निर्देशित दवा-पुनर्प्रयोजन।  
    • NIPER, मोहाली द्वारा रेमेड्सविर के ड्रग रुपांतरण के लिये प्रो-ड्रग का विश्लेषण।
    • NIPER, हैदराबाद द्वारा बीमार रोगियों के लिये सहायक चिकित्सा आधारित नाक स्प्रे (Nasal Spray)।
    • NIPER, हैदराबाद द्वारा COVID-19 के मरीज़ों के लिये क्वांटम-डॉट एवं चालकता आधारित बायो-सेंसर विकसित करना। 
    • COVID-19 के कारण पड़ने वाले दिल के दौरे को नियंत्रित करने के लिये एक विशेष अध्ययन।
  • इसके साथ ही NIPER, रायबरेली ने पारंपरिक रूप से उपयोग में लाई जाने वाली जड़ी बूटियों का उपयोग करके ‘नए इम्युनो-बूस्टर फॉर्मुलेशन’ के विकास में आईआईटी एवं अन्य औद्योगिक साझेदार के साथ एक मेगा परियोजना शुरू की है।
  • NIPER, कोलकाता CSIR-CECRI एवं एक निजी निर्माता के सहयोग से कम लागत वाला एक स्वदेशी एवं प्रभावी आईसीयू वेंटीलेटर तैयार करने पर काम कर रहा है।

राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान

(National Institute of Pharmaceutical Education and Research- NIPER):

  • NIPER, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय (Ministry of Chemicals and Fertilizers) के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के अधीन राष्ट्रीय महत्त्व का संस्थान है। ऐसे सात संस्थान (अहमदाबाद, हैदराबाद, हाजीपुर, कोलकाता, गुवाहाटी, मोहाली एवं रायबरेली) में कार्य कर रहे हैं।
  • NIPER, फार्मास्युटिकल साइंसेज़ में पहला राष्ट्रीय स्तर का संस्थान है, जिसका उद्देश्य फार्मास्युटिकल साइंस में उन्नत अध्ययन एवं अनुसंधान के लिये उत्कृष्टता का केंद्र बनना है।
  • इन संस्थानों में न केवल देश के भीतर बल्कि दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण एशिया एवं अफ्रीकी देशों में भी औषधि विज्ञान एवं संबंधित क्षेत्रों में नेतृत्त्व प्रदान करने की क्षमता है।
  • NIPER, ‘एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज़’ एवं ‘एसोसिएशन ऑफ कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटीज़’ का सदस्य है।

समर्थ

SAMARTH

हाल ही में ‘इंटरप्राइजेज़ रिसोर्स प्लानिंग’ (Enterprises Resource Planning- ERP) ‘समर्थ’ (SAMARTH) को राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र में कार्यान्वित किया गया है जो विश्व बैंक द्वारा समर्थित ‘तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम  (Technical Education Quality Improvement Program- TEQIP) के तहत भाग लेने वाली इकाई है।  

उद्देश्य:

  • इस पहल का उद्देश्य संस्थान की प्रक्रियाओं को स्वचालित करना है।

मिशन:

  • इसका मिशन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग द्वारा सभी विश्वविद्यालयों एवं उच्च शैक्षिक संस्थानों में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है।

प्रमुख बिंदु: 

  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय (Ministry of Human Resource Development) ने ‘सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी में राष्ट्रीय शिक्षा मिशन योजना (National Mission of Education in Information and Communication Technology Scheme- NMEICT) के तहत एक ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म ‘समर्थ’ (SAMARTH) विकसित किया है।
  • ‘समर्थ’ सभी विश्वविद्यालयों एवं उच्च शैक्षिक संस्थानों को एक ‘ओपन स्टैंडर्ड ओपन सोर्स आर्किटेक्चर, सुरक्षित, मापनीय एवं विकासवादी प्रक्रिया स्वचालन यंत्र है।
  • यह विश्वविद्यालय/उच्च शैक्षिक संस्थानों में शिक्षकों, छात्रों एवं कर्मचारियों की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
  • इसके तहत राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र में 38 मॉड्यूल (ऑरगैनिग्राम, संगठनात्मक इकाई, उपयोगकर्त्ता, कर्मचारी प्रबंधन, आईटीआई प्रबंधन, कानूनी मामलों के प्रबंधन, अवकाश प्रबंधन, संपदा प्रबंधन, शुल्क प्रबंधन, विक्रेता के बिल को खोजना, अनुसंधान परियोजना प्रबंधन, स्वास्थ्य सुविधा प्रबंधन, ज्ञान प्रबंधन, परिवहन प्रबंधन, प्रशिक्षण एवं नियोजन, छात्रावास प्रबंधन, खेल सुविधा प्रबंधन आदि) लागू किये गए हैं। 
  • ‘समर्थ’ के माध्यम से राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कुरुक्षेत्र में बेहतर सूचना प्रबंधन के माध्यम से सूचना के निर्बाध उपयोग एवं विभिन्न उद्देश्यों के लिये इसके उपयोग से यहाँ के विभिन्न कार्यों की गुणवत्ता में वृद्धि होगी।

प्रशामक देखभाल 

Palliative Care

विश्व भर में अप्रत्याशित एवं अभूतपूर्व महामारी COVID-19 के कारण अब ‘प्रशामक देखभाल’ (Palliative Care) जैसी अवधारणा पर चर्चा होने लगी है।  

Palliative-Care

प्रमुख बिंदु: 

  • प्रशामक (Palliative) देखभाल उन लोगों की स्वास्थ्य देखभाल का एक विशेष रूप है जिनको गंभीर ‎बीमारी है। इस तरह की देखभाल आमतौर पर तनाव एवं कुछ बीमारियों के लक्षणों से राहत प्रदान करने के लिये ‎होती है।
    • यह देखभाल रोगियों द्वारा उनकी एवं उनके परिवार की आजीविका में सुधार करने के लिये की गई है।
  • COVID-19 महामारी के कारण न केवल लोगों को शारीरिक नुकसान हुआ है बल्कि उनकी भावनात्मक एवं सामाजिक पीड़ा में भी वृद्धि हुई है। 
    • इस पीड़ा में भय, चिंता, अनिश्चितता, प्रियजनों की पीड़ा एवं सामाजिक संकट जैसे- बेरोज़गारी, कार्य एवं अन्य स्थानों पर स्वतंत्र रूप से विचरण करने में असमर्थता, कुंठा, घर पर लंबे समय तक रहना आदि शामिल हैं। 

प्रशामक देखभाल (Palliative Care): 

  • 'पल्लिएट’(Palliate) शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘भौतिक एवं भावनात्मक दर्द को कम करना’ है अर्थात् ‘दुख से राहत’। यहाँ 'दुख' का शाब्दिक अर्थ है 'कष्ट, संकट या कष्ट के दौर से गुजरना'।
  • यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो रोगियों एवं उनके परिवारों में बीमारी से जुड़ी समस्या का सामना कर रहे सदस्यों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है।
  • इसमें शुरुआती पहचान एवं दर्द के मूल्यांकन तथा दर्द के उपचार के माध्यम से कष्टों की रोकथाम व राहत शामिल है।
  • यह एक प्रकार की चिकित्सा प्रक्रिया है जिसमें दर्द, सांस लेने में कठिनाई एवं पुरानी बीमारियों के कारण दिखाई देने वाले शारीरिक लक्षणों के उपचार शामिल हैं।
  • यह किसी भी रोगी में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिये एक 'संपूर्ण व्यक्ति' (Whole Person) दृष्टिकोण है।
  • प्रशामक देखभाल प्रशिक्षित डॉक्टरों, विशेषज्ञों एवं नर्सों द्वारा प्रदान की जाती है जो इस क्षेत्र में विशिष्ट हैं। यह उपचार ‎किसी गंभीर बीमारी से गुजरने के बाद किसी भी अवस्था में उपलब्ध है या इसे उपचार के साथ-साथ ‎प्रदान भी किया जाता है।
  • ‘प्रशामक देखभाल’ COVID-19 प्रकोप के मनोसामाजिक (Psychosocial) प्रभावों का मुकाबला करने के लिये एक आशाजनक दृष्टिकोण है। इसका उपयोग भारत में मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं के बुनियादी ढाँचे में सुधार हेतु आवश्यक उपायों को निर्धारित करने के लिये एक उदाहरण के रूप में कर सकते हैं।