प्रिलिम्स फैक्ट्स: 09 अक्तूबर, 2020 | 09 Oct 2020

डीएनए बारकोडिंग

DNA Barcoding

भारतीय प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले भारतीय प्राणि विज्ञान सर्वेक्षण (Zoological Survey of India- ZSI) और कनाडा के एक गैर लाभकारी संगठन ‘इंटरनेशनल बारकोड ऑफ लाइफ’ (International Barcode of Life- iBOL) के बीच जून, 2020 को हस्ताक्षर हुए एक समझौता ज्ञापन (MoU) के बारे में जानकारी दी।

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प्रमुख बिंदु:

  • ZIS और iBOL, डीएनए बारकोडिंग (DNA Barcoding) से संबंधित प्रयासों के लिये एक साथ आए हैं।  
  • इस समझौता ज्ञापन (MoU) के तहत भारतीय प्राणि विज्ञान सर्वेक्षण, बायोस्कैन (BIOSCAN) और प्लैनेटरी बायोडायवर्सिटी मिशन (PBM) जैसे वैश्विक स्तर के कार्यक्रमों में भाग लेने में सक्षम हो सकेगा।

डीएनए बारकोडिंग (DNA Barcoding):

  • डीएनए बारकोडिंग एक विशिष्ट जीन से डीएनए के एक छोटे खंड का उपयोग करके प्रजातियों की सटीक पहचान करने की एक विधि है।

 ‘इंटरनेशनल बारकोड ऑफ लाइफ’

(International Barcode of Life- iBOL): 

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  • iBOL डीएनए बारकोड उद्धरण पुस्तकालयों, अनुक्रमण सुविधाओं, सूचनात्मक प्लेटफार्मों, विश्लेषणात्मक प्रोटोकॉल और जैव-विविधता की सूची एवं मूल्यांकन के लिये आवश्यक अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करके जैव विविधता विज्ञान को परिवर्तित करने की इच्छा के साथ विश्व के देशों का एक अनुसंधान गठबंधन है।
  • इसकी स्थापना वर्ष 2008 में हुई थी।  

BIOSCAN

  • iBOL ने एक प्रमुख कार्यक्रम ‘BARCODE 500K’ को पूरा किया है जबकि एक दूसरा कार्यक्रम ‘बायोस्कैन’ (BIOSCAN) अभी जारी है।
  • BARCODE 500K’ कार्यक्रम के तहत 25 देशों में अनुसंधान संगठनों द्वारा $150 मिलियन के निवेश के साथ 500,000 प्रजातियों का बारकोड तैयार किया गया है।
    • BARCODE 500K’ कार्यक्रम की सफलता के आधार पर बायोस्कैन’ (BIOSCAN) नामक एक दूसरे कार्यक्रम के तहत वर्ष 2026 तक 2.5 मिलियन प्रजातियों का बारकोड डेटाबेस तैयार किया जाएगा।
      • यह कार्यक्रम iBOL की अंतिम परियोजना ‘प्लैनेटरी बायोडायवर्सिटी मिशन’ (Planetary Biodiversity Mission- PBM) को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित करेगा।

प्लैनेटरी बायोडायवर्सिटी मिशन (PBM):

  • PMB एक शोध पहल है जो वर्ष 2045 तक बहुकोशिकीय जीवन (Multicellular Life)  की व्यापक समझ प्रदान करेगा।


साहित्य के लिये नोबेल पुरस्कार 

Nobel Prize for Literature

8 अक्तूबर, 2020 को संयुक्त राज्य अमेरिका की कवयित्री लुईस ग्लूक (Louise Gluck) को वर्ष 2020 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।]

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प्रमुख बिंदु:

  • लुईस ग्लूक को यह नोबेल पुरस्कार ‘उनके अचूक काव्यात्मक स्वर जो खूबसूरती के साथ व्यक्तिगत अस्तित्व को सार्वभौमिक बनाता है’, के लिये प्रदान किया गया है। 
  • लुईस ग्लूक को ‘द वाइल्ड आइरिस’ (The Wild Iris) के लिये वर्ष 1993 में पुलित्ज़र पुरस्कार और वर्ष 2014 में एक नवीनतम संग्रह ‘फेथफुल एंड वर्चूअस नाइट’ (Faithful and Virtuous Night) के लिये नेशनल बुक अवार्ड (National Book Award ) प्रदान किया गया था।
  • लुईस ग्लूक पिछले दशक में नोबेल साहित्य पुरस्कार जीतने वाली ओल्गा टोकरक्जुक (Olga Tokarczuk), स्वेतलाना अलेक्सीविच (Svetlana Alexievich) और एलिस मुनरो (Alice Munro) के बाद चौथी महिला हैं। 
  • लुईस ग्लूक वर्ष 2016 में बॉब डिलन (Bob Dylan) के बाद नोबेल साहित्य पुरस्कार जीतने वाली दूसरी अमेरिकी नागरिक भी हैं।
  • 77 वर्षीय लुईस ग्लूक, पोलिश लेखिका विस्लावा सिंबोर्स्का (Wislawa Szymborska) के बाद यह पुरस्कार जीतने वाली दूसरी महिला कवयित्री हैं, जिन्होंने वर्ष 1996 में यह पुरस्कार जीता था।
  • वर्ष 1968 में लुईस ग्लूक का पहला कविता संग्रह ‘फर्स्टबॉर्न’ (Firstborn) तब प्रकाशित हुआ जब वह केवल 25 वर्ष की थी।
  • उनका दूसरा साहित्य संग्रह ‘द हाउस ऑन मार्शलैंड’ (The House on Marshland) वर्ष 1975 में प्रकाशित हुआ।
    • तब से उन्होंने कविता के 12 संग्रह लिखे हैं जिसमें डिसेंडिंग फिगर (Descending Figure), द ट्रायम्फ ऑफ अकिलीस (The Triumph of Achilles), द वाइल्ड आइरिस (The Wild Iris) और द फेथफुल एंड वर्चुअस नाइट (The Faithful and Virtuous Night) शामिल हैं।


अर्थशॉट पुरस्कार

Earthshot Prize

8 अक्तूबर, 2020 को ब्रिटेन के प्रिंस विलियम (Prince William)/ड्यूक ऑफ कैंब्रिज (Duke of Cambridge) ने एक नया 50 मिलियन पाउंड का अर्थशॉट पुरस्कार (Earthshot Prize) लॉन्च किया।

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उद्देश्य: 

  • इसका उद्देश्य विश्व की कुछ सबसे गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों के लिये सबसे नवीन समाधानों का वित्तपोषण करना है।

प्रमुख बिंदु: 

  • 1 मिलियन पाउंड के प्रत्येक पाँच पुरस्कार अगले 10 वर्षों के लिये प्रत्येक वर्ष प्रदान किये जाएंगे।  
  • ये पुरस्कार उन लोगों को प्रदान किये जाएंगे जो वर्ष 2030 तक दुनिया की सबसे गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के कम-से-कम 50 समाधान प्रस्तुत करेंगे। 
  • यह योजना वास्तव में दुनिया की कुछ गंभीर पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिये बौद्धिक लोगों एवं सर्वोत्तम संभव समाधानों को एक साथ लाने का प्रयास है।
  • पृथ्वी की सबसे गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं के साक्ष्य-आधारित समाधानों की पहचान करने के साथ इस नए पुरस्कार का उद्देश्य पर्यावरणीय मुद्दों के आसपास के मौजूदा निराशावाद को आशावाद में बदलना ताकि हम अपने समय की सबसे गंभीर चुनौतियों का सामना कर सकें।

अर्थशॉट पुरस्कार:

  • अर्थशॉट पुरस्कार को प्रिंस विलियम और रॉयल फाउंडेशन दोनों की ओर से अब तक की सबसे बड़ी पहल माना गया है। 
  • दिसंबर, 2019 में पहली बार इस पुरस्कार को प्रस्तुत किया गया था।

मूनशॉट पुरस्कार (Moonshot Award): 

  • अर्थशॉट पुरस्कार, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी (John F. Kennedy) द्वारा शुरू किये गए ‘मूनशॉट पुरस्कार’ से प्रेरित है जिसने मनुष्य को चंद्रमा पर भेजने के लिये एक संगठित लक्ष्य के आसपास लाखों लोगों को एकजुट किया और 1960 के दशक में नई तकनीक के विकास को उत्प्रेरित किया। 

अर्थशॉट्स (Earthshots): 

  • अर्थशॉट पुरस्कार पृथ्वी के लिये साधारण किंतु महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों में से पाँच ‘अर्थशॉट्स’  (Earthshots) के आसपास केंद्रित है जिनके लक्ष्य को यदि वर्ष 2030 तक हासिल कर लिया जाता है तो आने वाली पीढ़ियों के के साथ-साथ वर्तमान पीढ़ी के जीवन में सुधार होगा।
  • ये पाँच ‘अर्थशॉट्स’  (Earthshots) निम्नलिखित हैं:
    • प्रकृति की रक्षा एवं पुनर्स्थापना।
    • स्वच्छ वायु।
    • महासागरों को पुनर्जीवित करना।
    • अपशिष्ट मुक्त दुनिया का निर्माण।
    • जलवायु को ठीक करना।  

पाँच अर्थशॉट्स एवं सतत् विकास लक्ष्य:

  • प्रत्येक अर्थशॉट्स को संयुक्त राष्ट्र के सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) और अन्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त उपायों सहित वैज्ञानिक रूप से सहमत लक्ष्यों से रेखांकित किया गया है ताकि पृथ्वी की पुनर्स्थापना में मदद मिल सके।
  • इसी के साथ में ये अर्थशॉट्स विज्ञान में निहित चुनौतियों का एक अनूठा समूह बनाते हैं जिसका उद्देश्य नए तरीकों के साथ-साथ नई तकनीकों, प्रणालियों, नीतियों एवं समाधानों का  सृजन करना है।

पुरस्कार प्राप्तकर्त्ता:  

  • यह पुरस्कार व्यक्तियों, वैज्ञानिकों, कार्यकर्त्ताओं, अर्थशास्त्रियों, सामुदायिक परियोजनाओं, नेताओं, सरकारों, बैंकों, व्यवसायों, शहरों एवं देशों की एक विस्तृत श्रृंखला को प्रदान किया जा सकता है जिन्होंने अर्थशॉट्स के समाधान में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
  • वर्ष 2021 से वर्ष 2030 तक यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष प्रिंस विलियम द्वारा पाँच विजेताओं को प्रदान किये जाएंगे।
  • वर्ष 2021 से वर्ष 2030 के बीच प्रत्येक वर्ष दुनिया भर के विभिन्न शहरों में एक पुरस्कार समारोह होगा, जिसमें 15 फाइनलिस्ट में से पाँच विजेताओं (प्रत्येक अर्थशॉट्स के लिये एक) का चयन किया जाएगा।
  • पहला पुरस्कार समारोह वर्ष 2021 में लंदन में आयोजित होगा।


अबाॅर्टेल्फुसा नामदफेंसिस 

Abortelphusa Namdaphaensis

हाल ही में नामदफा टाइगर रिज़र्व (Namdapha Tiger Reserve) में एक छोटी सी जलधारा के किनारे एक मीठे जल की केकड़ा प्रजाति ‘अबाॅर्टेल्फुसा नामदफेंसिस’ (Abortelphusa Namdaphaensis) को खोजा गया है। Abortelphusa-Namdaphaensis

प्रमुख बिंदु: 

  • पूर्वी हिमालयी जैव विविधता हॉटस्पॉट में अरुणाचल प्रदेश के नामदफा (Namdapha) और अबोर हिल्स (Abor Hills) दो बड़े संरक्षित क्षेत्र हैं।
  • नामदफा जिसे वर्ष 1983 में एक राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था,  अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिये जाना जाता है।
    • यह दुनिया में एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान है जहाँ बड़ी बिल्लियों की चार प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें (1) बाघ (Tiger) (2) तेंदुआ (Leopard) (3) हिम तेंदुआ (Snow Leopard) और (4) धूमिल तेंदुए (Clouded Leopard) शामिल हैं। 
  • अबोर हिल्स जो मिश्मी हिल्स (Mishmi Hills) एवं मिरी हिल्स (Miri Hills) से घिरी हुई है, ऐतिहासिक रूप से अबोर खोज यात्राओं के लिये प्रसिद्ध है।
    • अबोर हिल्स चीन के साथ लगती सीमा के पास भारत के सुदूर पूर्वोत्तर में अरुणाचल प्रदेश का एक क्षेत्र है। इन पहाड़ियों से ब्रह्मपुत्र की सहायक दिबांग नदी प्रवाहित होती है।

अबाॅर्टेल्फुसा नामदफेंसिस

(Abortelphusa Namdaphaensis):

  • इसके जीनस (अबाॅर्टेल्फुसा) का नाम अबोर हिल्स के नाम पर रखा गया है जबकि प्रजाति (नामदफेंसिस) का नाम नामदफा संरक्षित क्षेत्र के नाम पर रखा गया है।
  • हालाँकि, अबाॅर्टेल्फुसा नामदफेंसिस को इससे पहले वर्ष 2017 में देखा गया था जब एक भारतीय प्राणि विज्ञान सर्वेक्षण (ZSI) टीम ने ‘हिमालयी विविधता का दीर्घकालिक निगरानी कार्यक्रम’ (Long-term monitoring of Himalayan Diversity) के तहत नामदफा क्षेत्र का दौरा किया था।
  • यह हिमालय क्षेत्र में पाया जाने वाला पहला गेकार्सिनुसिडे (Gecarcinucidae) है।
    • मीठे जल के केकड़ों को दो श्रेणियों में विभाजित किया जाता है: पोटामिडे (Potamidae) और गेकार्सिनुसिडे (Gecarcinucidae)।
    • दोनों प्रजातियों के पेट की आकृति एवं आकार भिन्न होते हैं।
  • सितंबर, 2020 में इस खोज को क्रस्टेशिआना जर्नल (Crustaceana Journal) में प्रकाशित किया गया था।