प्रीलिम्स फैक्ट्स : 4 जनवरी, 2019 | 04 Jan 2019

कड़कनाथ मुर्गा


हाल ही में मध्य प्रदेश के झाबुआ स्थित कृषि विज्ञान केंद्र ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को टीम इंडिया की डाइट में कड़कनाथ मुर्गा शामिल करने की सलाह दी है।

kadaknath

  • कड़कनाथ मुर्गा कम कोलेस्ट्राल, कम फैट और अधिक प्रोटीन होने की वज़ह से दुनिया भर में जाना जाता है। स्थानीय तौर पर इसे ‘कालामासी’ भी कहा जाता है।
  • कड़कनाथ मुर्गे का गोश्त उत्कृष्ट औषधीय गुणों के लिये भी प्रसिद्ध है।
  • पिछले कुछ समय से कड़कनाथ की मार्केटिंग के प्रयास किये जा रहे हैं।
  • 2017 में झाबुआ के कड़कनाथ को जीआई टैग (Geographical Indication) मिला था। 2017 में ही राज्य सरकार ने कड़कनाथ एप भी जारी किया था।
  • ध्यातव्य है कि छत्तीसगढ़ ने भी दंतेवाड़ा जिले में कड़कनाथ मुर्गे के लिये जीआई टैग का दावा किया था।

भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication-GI)

  • एक भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication) का इस्तेमाल ऐसे उत्पादों के लिये किया जाता है, जिनका एक विशिष्ट भौगोलिक मूल क्षेत्र होता है।
  • इन उत्पादों की विशिष्ट विशेषताएँ एवं प्रतिष्ठा भी इसी मूल क्षेत्र के कारण होती है। इस तरह का संबोधन उत्पाद की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है।
  • उदाहरण के तौर पर दार्जिलिंग की चाय, जयपुर की ब्लू पॉटरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति के लड्डू कुछ प्रसिद्ध GI टैग हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर GI का विनियमन विश्व व्यापार संगठन (WTO) के बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं (Trade-Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) पर समझौते के तहत किया जाता है। वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर यह कार्य ‘वस्‍तुओं का भौगोलिक सूचक’ (पंजीकरण और सरंक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of goods ‘Registration and Protection’ act, 1999) के तहत किया जाता है, जो सितंबर 2003 से लागू हुआ था।
  • वर्ष 2004 में ‘दार्जिलिंग टी’ जीआई टैग प्राप्त करने वाला पहला भारतीय उत्पाद है।
  • भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 वर्ष के लिये मान्य होता है।
  • जीआई टैग प्राप्त कुछ उत्पाद इस प्रकार हैं- कांचीपुरम सिल्क साड़ी, अल्फांसो मैंगो, नागपुर ऑरेंज, कोल्हापुरी चप्पल, बीकानेरी भुजिया, इत्यादि।