प्रिलिम्स फैक्ट: 11 फरवरी, 2021 | 11 Feb 2021

अर्क शुभ: गेंदे की नई किस्म

(Arka Shubha: New Marigold Variety)

हाल ही में भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Horticultural Research- IIHR) द्वारा ‘अर्क शुभ’ (Arka Shubha) नामक गेंदे या मैरीगोल्ड की एक नई किस्म का विकास किया गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • परिचय:
    • उच्च कैरोटीन मात्रा: अर्क शुभ में कैरोटीन की मात्रा लगभग 2.8% है (सभी मैरीगोल्ड्स के लिये कैरोटीन की मात्रा अधिकतम 1.4% तक है) जो सभी पादप स्रोतों में सबसे अधिक है।
    • खराब होने के बाद प्रयोग: अन्य किस्मों के विपरीत इस नई किस्म को पूर्ण रूप से खिलने के बाद खराब हो जाने पर भी कच्चे कैरोटीन के निष्कर्षण के लिये प्रयोग किया जा सकता है।
  • महत्त्व:
    • सजावट और कैरोटीन निष्कर्षण: इस नई किस्म को न केवल सजावटी उद्देश्य के लिये प्रयोग किया जा सकता है, बल्कि यह कच्चे कैरोटीन का भी अच्छा स्रोत है।
    • पोल्ट्री-खाद्य: इसकी पंखुड़ियों को गुणवत्ता वाली जर्दी प्राप्त करने के लिये कुक्कुट-आहार या पोल्ट्री फीड के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।
    • आयात निर्भरता कम करने में सहायक: भारत अपनी कुल ज़रूरत का अधिकांश कैरोटीन चीन सहित अन्य देशों से आयात करता है। यह किस्म आयात निर्भरता को काफी कम कर सकती है। अतः इसकी खेती के क्षेत्र और कैरोटीन निष्कर्षण पर निवेश दोनों को बढ़ाया जाना चाहिये।

कैरोटीन (Carotene):

  • कैरोटीन कैरोटीनॉयड वर्णक हैं जो ऑक्सीजन रहित होते हैं। कैरोटीन ज़्यादातर असंतृप्त हाइड्रोकार्बन होते हैं, जिनमें केवल कार्बन और हाइड्रोजन उपस्थित होता है।
  • ये पीले, नारंगी या लाल आदि रंगों में हो सकता है। इसके रंग के लिये एकल और दोहरे बॉण्ड की वैकल्पिक श्रृंखला उत्तरदायी होती है।
    • कैरोटीन गाजर के नारंगी रंग के लिये उत्तरदायी होता है।
  • α-कैरोटीन, β-कैरोटीन, और लाइकोपीन कैरोटीन के उदाहरण हैं।
  • कैरोटीन का उपयोग फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में किया जाता है, जहाँ हमेशा ही इसकी उच्च मांग बनी रहती है।

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (Indian Institute of Horticultural Research):

  • भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के कृषि अनुसंधान और शिक्षा विभाग के तहत एक स्वायत्त संगठन है।
  • IIHR का मुख्य अनुसंधान केंद्र बंगलुरू में स्थित है और भुवनेश्वर (उड़ीसा) तथा चेतल्ली (कर्नाटक) में इसके दो क्षेत्रीय प्रयोग केंद्र स्थित हैं।
  • इस संस्थान का मुख्य शोध एजेंडा फलों, सब्जियों, सजावटी पौधों और औषधीय उत्पादों में अधिक उपज देने वाली किस्मों को विकसित करके बागवानी फसलों की पैदावार बढ़ाना था।