स्वार्थचालित कीमत | 12 May 2025

स्रोत: द हिंदू

भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग (CCI) ने विशेष रूप से ई-कॉमर्स और त्वरित वाणिज्य प्लेटफार्मों को लक्षित करते हुए, स्वार्थचालित कीमत को विनियमित करने हेतु उत्पादन विनियम, 2025 की लागत का निर्धारण अधिसूचित किया है।

  • प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत परिभाषित, स्वार्थचालित कीमत से उस कीमत पर माल का विक्रय या सेवाओं की व्यवस्था करना अभिप्रेत है, जो प्रतिस्पर्द्धा को कम करने या प्रतिस्पर्द्धीयों को समाप्त करने की दृष्टि से माल के उत्पादन या सेवा की व्यवस्था की उस कीमत से कम हो जो विनिमयों द्वारा अवधारित की जाए।
    • एक बार जब प्रतिस्पर्धी कंपनियाँ कमज़ोर हो जाती हैं या समाप्त हो जाती हैं, तो कंपनी आमतौर पर अपने घाटे की भरपाई करने और बाज़ार नियंत्रण (एकाधिकार) को सुदृढ़ करने के लिये कीमतें बढ़ा देती है।
  • नए नियमों ने वर्ष 2009 के नियमों को प्रतिस्थापित कर दिया है, जिसमें बाज़ार मूल्य को बेंचमार्क के रूप में हटा दिया गया है तथा कुल लागत को पुनः परिभाषित किया गया है, जिसमें अधिक स्पष्टता के लिये मूल्यह्रास को शामिल किया गया है तथा वित्तपोषण उपरिव्ययों (दैनिक व्यवसाय व्यय) को बाहर रखा गया है।
    • यह क्षेत्र-अज्ञेय (तटस्थ), मामला-दर-मामला दृष्टिकोण का उपयोग करता है, जो गतिशील डिजिटल बाज़ारों के लिये बेहतर अनुकूल है।
  • CCI एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 के तहत निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा देने, प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं को रोकने और उपभोक्ता हितों की रक्षा के लिये की गई है।

प्रतिस्पर्द्धा-विरोधी प्रथाओं से संबंधित शब्द

उत्पादक संघ

मूल्य निर्धारण और उत्पादन को विनियमित करने के लिये स्वतंत्र व्यवसायों या देशों के संघ (आमतौर पर अवैध)।

विलय

विलय से कम्पनियाँ एक इकाई में एकीकृत हो जाती हैं, जिससे संभावित रूप से प्रतिस्पर्द्धा कम हो जाती है और विनियामक जाँच की आवश्यकता पड़ती है।

मूल्य निर्णय

एक ही उत्पाद/सेवा के लिये अलग-अलग ग्राहकों से अलग-अलग कीमत वसूलना।

मूल्य निर्धारण समझौते

प्रतिस्पर्धी अपने उत्पादों/सेवाओं के लिये एक निश्चित मूल्य निर्धारित करने पर सहमत हो जाते हैं, जिससे प्रतिस्पर्द्धा समाप्त हो जाती है और कीमतें बढ़ जाती हैं।

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