पोंडुरु खादी को GI टैग | 15 Dec 2025

स्रोत: टीएच

आंध्र प्रदेश के कपड़े, पोंडुरु खादी को भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री (Geographical Indications Registry) द्वारा भौगोलिक संकेत (GI) टैग प्रदान किया गया है ।

  • पोंडुरु खादी: यह आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम ज़िले के पोंडुरु गाँव में उत्पादित एक पारंपरिक हस्तनिर्मित सूती कपड़ा है, जिसे स्थानीय रूप से पटनुलु के नाम से जाना जाता है। 
  • यह कपड़ा पहाड़ी कपास, पुनासा कपास या लाल कपास का उपयोग करके बनाया जाता है, ये सभी कपास श्रीकाकुलम क्षेत्र में ही पाए जाते हैं। 
    • कपास की सफाई से लेकर कताई और बुनाई तक, पूरी उत्पादन प्रक्रिया हाथों से की जाती है, जिससे पारंपरिक कौशल संरक्षित रहते हैं।
  • पोंडुरु खादी की अनूठी विशेषताएँ: वालुगा मछली के जबड़े की हड्डी का उपयोग करके कपास की सफाई करना एक विश्व स्तर पर अनूठी प्रथा है, जो केवल पोंडुरु खादी में ही पाई जाती है।
    • पोंडुरु भारत का एकमात्र ऐसा स्थान है जहाँ कताई करने वाले अभी भी 24 तीलियों वाले एकल-ध्रुवीय चरखे का उपयोग करते हैं, जिसे गांधी चरखा के नाम से जाना जाता है।
    • यह कपड़ा अपनी अत्यधिक उच्च धागा संख्या (यार्न काउंट), लगभग 100–120, के लिये जाना जाता है, जो इसकी बेहद बारीक गुणवत्ता को दर्शाती है।
  • ऐतिहासिक महत्त्व: स्वतंत्रता-पूर्व काल में, महात्मा गांधी ने अपने जर्नल यंग इंडिया में पोंडुरु खादी के गुणों पर प्रकाश डाला था तथा इसे आत्मनिर्भरता, स्वदेशी और स्वतंत्रता आंदोलन के आदर्शों से जोड़ कर प्रस्तुत किया था।
  • GI टैग: यह किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले उत्पादों की पहचान करता है, जिनकी विशिष्ट रूप, गुणवत्ता और विशेषताएँ उस क्षेत्र से जुड़ी होती हैं।

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