पीएम-प्रणाम योजना | 06 Jun 2025

स्रोत: बी.एल.

चर्चा में क्यों?

सिंथेटिक उर्वरक के उपयोग को कम करने के उद्देश्य से शुरू की गई पीएम-प्रणाम योजना ने वर्ष 2023-24 में 15.14 लाख टन उर्वरकों की कमी के साथ प्रारंभिक सफलता प्राप्त की है, जिसके परिणामस्वरूप सब्सिडी में पर्याप्त बचत हुई है।

नोट: कर्नाटक अकेले कुल बचत का 30% के लिये ज़िम्मेदार है, इसके बाद महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश का स्थान है, जिन्होंने संयुक्त रूप से 58% से का अधिक योगदान दिया है।

पीएम-प्रणाम योजना क्या है?

  • परिचय: पीएम-प्रणाम को जून 2023 में मंज़ूरी दी गई, जिसका उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना है। इसके तहत राज्यों को वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाता है।
    • यह योजना तीन वर्षों की अवधि के लिये लागू है (वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26 तक)।
  • लक्षित बचत: PM-PRANAM का मुख्य उद्देश्य 20,000 करोड़ रुपए के उर्वरक व्यय में कटौती प्राप्त करना है। यह लक्ष्य रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करने और संधारणीय कृषि को बढ़ावा देने की दीर्घकालिक रणनीति को दर्शाता है।
    • यह जैविक तथा प्राकृतिक कृषि पद्धतियों के माध्यम से जैवउर्वरकों और जैविक उर्वरकों के साथ-साथ रासायनिक उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित करता है।
  • ट्रैकिंग तंत्र: इंटीग्रेटेड फर्टिलाइजर्स मैनेजमेंट सिस्टम (iFMS) को उर्वरकों के उपयोग को ट्रैक करने के लिये एक प्रमुख मंच के रूप में प्रस्तावित किया गया है।

पीएम-प्रणाम योजना भारत में संधारणीय कृषि पद्धतियों में किस प्रकार योगदान दे सकती है?

  • रासायनिक उर्वरक के उपयोग में कमी: पीएम-प्रणाम राज्यों को यूरिया, DAP (डायमोनियम फॉस्फेट), NPK (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम) और MOP (पोटाश का म्यूरिएट) जैसे अत्यधिक रासायनिक इनपुट को कम करने के लिये प्रोत्साहित करता है, जिससे मृदा क्षरण, जल प्रदूषण तथा जैवविविधता हानि जैसे पर्यावरणीय जोखिम कम हो जाते हैं।
    • सब्सिडी बचत और अनुदान के लिये पात्रता निर्धारित करने हेतु किसी राज्य की यूरिया खपत में कमी को उसके तीन वर्ष के औसत के आधार पर मापा जाएगा।
  • संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियाँ: केंद्र सब्सिडी बचत का 50% राज्यों को देता है, जिसमें से 70% वैकल्पिक उर्वरक प्रौद्योगिकी और उत्पादन का समर्थन करने वाली परिसंपत्तियों के लिये आवंटित किया जाता है तथा 30% उर्वरक कटौती व जागरूकता में शामिल किसानों, पंचायतों एवं हितधारकों को पुरस्कृत करने हेतु आवंटित किया जाता है।
  • जैविक और वैकल्पिक कृषि: यह योजना जैविक कृषि और टिकाऊ विकल्पों की ओर बदलाव का पुरज़ोर समर्थन करती है, जिसका उद्देश्य मृदा स्वास्थ्य में सुधार लाना एवं सिंथेटिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करना है।
  • सकारात्मक पर्यावरणीय प्रभाव: यह योजना रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की मौजूदा उर्वरक सब्सिडी से हुई बचत के माध्यम से वित्तपोषित की जा रही है तथा पीएम-प्रणाम के लिये अलग से कोई बजट आवंटित नहीं किया गया है।
    • यह योजना कृषकों को दी जाने वाली विद्युत सब्सिडी से जुड़े जल प्रदूषण, मृदा लवणता और जैवविविधता की हानि को कम करने में सहायता करती है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

प्रिलिम्स   

प्रश्न. भारत में रासायनिक उर्वरकों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. वर्तमान में रासायनिक उर्वरकों का खुदरा मूल्य बाज़ार-संचालित है और यह सरकार द्वारा नियंत्रित नहीं है।
  2.   अमोनिया जो यूरिया बनाने में काम आता है, वह प्राकृतिक गैस से उत्पन्न होता है।
  3.   सल्फर, जो फॉस्फोरिक अम्ल उर्वरक के लिये कच्चा माल है, वह तेल शोधन कारखानों का उपोत्पाद है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

प्रश्न. निम्नलिखित जीवों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. एगैरिकस
  2. नॉस्टॉक
  3. स्पाइरोगाइरा

उपर्युक्त में से कौन-सा/से जैव उर्वरक के रूप में प्रयुक्त होता है/होते हैं?

(a) 1 और 2
(b) केवल 2
(c) 2 और 3
(d) केवल 3

उत्तर: (b)