फार्माकोजेनोमिक्स | 22 Nov 2025

स्रोत: द हिंदू 

फार्माकोजेनोमिक्स स्वास्थ्य सेवा में क्रांति बनकर उभरा है, इसने परंपरागत रूप से ‘सभी के लिये एक ही दवा’ (one-size-fits-all) के दृष्टिकोण को बदल दिया है। अब व्यक्ति की आनुवंशिक संरचना के आधार पर दवाएँ परामर्शित की जाती है, जिससे दवा की प्रभावकारिता बढ़ती है और हानिकारक प्रतिक्रियाओं की संभावना कम होती है

  • फार्माकोजेनोमिक्स: यह फार्माकोलॉजी (Pharmacology – दवाओं का अध्ययन) और जीनोमिक्स (Genomics – जीनों का अध्ययन) का संयोजन है। यह अध्ययन करता है कि आनुवंशिक विविधताएँ किस प्रकार किसी व्यक्ति की दवा पर प्रतिक्रिया को प्रभावित करती हैं। यह निर्धारित करता है कि कोई दवा प्रभावी होगी, अप्रभावी होंगी या हानिकारक सिद्ध होंगी।
  • प्रासंगिकता और लाभ: लगभग 90% लोग कम-से-कम एक क्रियाशील फार्माकोजेनेटिक वेरिएंट रखते हैं। इसका अर्थ है कि यह समस्या असामान्य नहीं बल्कि सामान्य है, इसे स्वास्थ्य सेवा में अनदेखा नहीं किया जा सकता।
    • जेनेटिक टेस्टिंग की कीमत अब 200–500 अमेरिकी डॉलर है, जिससे यह अधिक सुलभ हो गया है, यह पुराने रोगों के उपचार के लिये अधिक कॉस्ट-इफेक्टिव है।
    • दवाएँ विशेष रोगों से संबंधित प्रोटीन, एंजाइम और RNA के आधार पर बनाई जाएँगी, जिससे प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताओं के हिसाब से बेहतर दवाओं का परामर्श किया जाएगा।
    • जेनेटिक प्रोफाइल डॉक्टर शुरू से ही सबसे असरदार दवा लिखते हैं, जिससे साइड इफेक्ट कम होते हैं और रिकवरी तेज़ी से होती है।
  • फार्माकोजेनोमिक्स से संबंधित मुख्य चिंताएँ: लाखों SNP (सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलीमॉर्फिज्म) का एनालिसिस करने की आवश्यकता है, इन्हें दवा के रिस्पॉन्स से जोड़ना मुश्किल है।
    • जेनेटिक वेरिएंट कुछ रोगों के लिये मौज़ूद इलाज को कम कर सकते हैं।
    • छोटे जेनेटिक ग्रुप के लिये दवाएँ बनाना महंगा है, जिससे इन्वेस्टमेंट में रुकावट आती है।
  • क्लिनिकल प्रभाव: यह क्लिनिकली सिद्ध हो चुका है कि यह वारफेरिन (ब्लड थिनर) और क्लोपिडोग्रेल (हार्ट ड्रग) जैसी दवाओं के इलाज को बेहतर बनाता है, साइकेट्री और ऑन्कोलॉजी में साइड इफेक्ट को रोकने तथा परिणामों को बेहतर बनाने के लिये अधिक आवश्यक है।
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