ऑफशोर एरिया एटोमिक मिनरल्स ऑपरेटिंग राइट नियम 2025 | 21 Jul 2025
स्रोत: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
भारत सरकार ने अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 2002 के तहत ऑफशोर एरिया एटोमिक मिनरल्स ऑपरेटिंग राइट नियम, 2025 अधिसूचित किये हैं, जो समुद्री क्षेत्रों में यूरेनियम और थोरियम जैसे एटोमिक मिनरल्स के अन्वेषण तथा खनन के लिये सख्त नियम लागू करते हैं।
- नियम 2025 के मुख्य तथ्य: केवल सरकारी इकाइयों और केंद्र सरकार द्वारा नामित निजी कंपनियों को ही समुद्री क्षेत्र में एटोमिक मिनरल्स के अन्वेषण या खनन की अनुमति होगी।
- विदेशी इकाइयों या ठेकेदारों को कोई भी गतिविधि करने से पहले भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति लेनी होगी।
- लाइसेंस केवल केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (CPSE) या केंद्र द्वारा नामित एजेंसियों को भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में जारी किये जाएंगे।
- ये नियम तब ही लागू होंगे जब समुद्री क्षेत्र में यूरेनियम या थोरियम की सांद्रता एक निर्धारित न्यूनतम ‘थ्रेशोल्ड वैल्यू’ से अधिक हो। यदि थ्रेशोल्ड से कम हो, तो ऑफशोर एरिया ऑपरेटिंग राइट नियम, 2024 लागू होंगे।
- अन्वेषण के बाद पर्यावरणीय और समुद्री बहाली अनिवार्य है तथा प्रभावित समुद्री तल की बहाली छह माह के भीतर करनी होगी।
- परमाणु खनिज: यूरेनियम और थोरियम जैसे परमाणु खनिजों का उपयोग परमाणु ऊर्जा उत्पादन में किया जाता है। भारत में यूरेनियम सीमित मात्रा में उपलब्ध है, लेकिन थोरियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो मुख्यतः तटीय राज्यों की मोनाज़ाइट रेत में पाया जाता है। केरल और ओडिशा में समृद्ध समुद्री रेत भंडार हैं, जिनमें मोनाज़ाइट में 8–10% थोरियम पाया जाता है।
- जादूगोड़ा, झारखंड देश की पहली खदान है जहाँ व्यावसायिक स्तर पर यूरेनियम अयस्क का उत्पादन किया गया।
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