राष्ट्रीय गणित दिवस | 24 Dec 2025
भारत के महानतम गणितज्ञों में से एक श्रीनिवास रामानुजन की जयंती के उपलक्ष्य में 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है, उन्हें प्रायः ‘अनंत के रहस्यों का ज्ञाता’ कहा जाता है।
- भारत की गणितीय विरासत को बढ़ावा देने के लिये इस दिवस की स्थापना वर्ष 2011 में की गई थी और वर्ष 2012 को राष्ट्रीय गणित वर्ष घोषित किया गया था।
- श्रीनिवास रामानुजन (1887-1920) का जन्म तमिलनाडु के इरोड में हुआ था और उन्होंने बहुत कम उम्र से ही गणित की असाधारण समझ प्रदर्शित की थी।
- उन्होंने किशोरावस्था में ही मौलिक गणितीय खोजें प्रस्तुत करना आरंभ कर दिया था, जो आगे चलकर ‘रामानुजन की प्रसिद्ध नोटबुक्स’ के रूप में जानी गईं।
- वे रॉयल सोसाइटी (यूके) के सबसे युवा फेलोज़ में शामिल हुए तथा वर्ष 1918 में इसके लिये चुने जाने वाले दूसरे भारतीय बने। साथ ही वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज के पहले भारतीय फेलो भी थे।
श्रीनिवास रामानुजन का योगदान
- रामानुजन संख्या (1729): रामानुजन और जी.एच. हार्डी के संवाद से प्रसिद्ध हार्डी–रामानुजन संख्या 1729 सामने आई, जो वह सबसे छोटी संख्या है जिसे दो घनों के योग के रूप में दो भिन्न तरीकों से व्यक्त किया जा सकता है।
- 1³ + 12³ = 9³ + 10³ = 1729। यह संख्या फर्माट के अंतिम प्रमेय (1637) से जुड़ी तथाकथित ‘निकटतम चूक’ में रामानुजन की गहरी रुचि को दर्शाती है, जिसके अनुसार किसी भी दो घनों का योग किसी अन्य घन के बराबर नहीं हो सकता।
- π के लिये अनंत शृंखला: π (पाई) के लिये उल्लेखनीय अनंत शृंखला विकसित की, जो आधुनिक उच्च-परिशुद्धता π गणना एल्गोरिदम का आधार बनती है।
- सर्कल मेथड: जी.एच. हार्डी के साथ मिलकर ‘सर्कल मेथड’ का सह-विकास किया, जो एक महत्त्वपूर्ण सफलता थी तथा आगे चलकर वारिंग की परिकल्पना (Waring’s Conjecture) जैसी समस्याओं के समाधान में उपयोगी सिद्ध हुआ।
- मॉक थीटा फलन: मॉड्यूलर रूपों में मॉक थीटा फलनों की अवधारणा प्रस्तुत की, जिनका महत्त्व कई दशकों बाद समझा गया। आज ये आधुनिक भौतिकी में, विशेषकर ब्लैक होल के माइक्रोस्टेट्स की गणना में अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं, जहाँ ये कुछ ब्लैक होल के क्वांटम अवस्थाओं की संख्या निर्धारित करने में सहायक होते हैं।
- रामानुजन थीटा फलन: उन्होंने जैकोबी थीटा फलन का विस्तार कर रामानुजन थीटा फलन को प्रस्तुत किया, जिसका वर्तमान में स्ट्रिंग सिद्धांत और सैद्धांतिक भौतिकी में व्यापक उपयोग होता है।
- अन्य योगदान: उन्होंने हाइपरज्यामितीय श्रेणियों, एलिप्टिक समाकलों, अपसारी (डाइवर्जेंट) श्रेणियों तथा रीमैन ज़ीटा फलन के फलनात्मक समीकरणों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
- संख्या सिद्धांत, गणितीय विश्लेषण, अनंत श्रेणियाँ और सतत भिन्नों (continued fractions) के क्षेत्र में उन्होंने मौलिक और युगांतकारी योगदान किये।
- विरासत: वर्ष 2005 में स्थापित सस्त्र रामानुजन पुरस्कार, श्रीनिवास रामानुजन की मृत्यु के समय की उम्र को याद करते हुए, 32 वर्ष या उससे कम आयु के गणितज्ञों को प्रदान किया जाता है।
- अमेरिका के डॉ. अलेक्जेंडर स्मिथ ने श्रीनिवास रामानुजन से प्रेरित होकर समरूप संख्या समस्याओं पर अपने कार्य के लिये वर्ष 2025 का सस्त्र रामानुजन पुरस्कार प्राप्त किया।
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