राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति | 28 Jul 2025

स्रोत: हिन्दुस्तान टाइम्स

भारत सरकार ने संशोधित आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2025 के तहत राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) को वैधानिक मान्यता प्रदान की है, जिससे यह राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया समन्वय के लिये सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था बन गई है।

राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • संविधान: यह समिति औपचारिक रूप से गृह मंत्रालय द्वारा आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 8A(2) के तहत गठित की गई है। इससे पहले यह बिना किसी औपचारिक वैधानिक मान्यता के अस्तित्व में थी।
  • संरचना: NCMC की अध्यक्षता कैबिनेट सचिव करते हैं। इसके सदस्यों में केंद्रीय गृह सचिव, रक्षा सचिव, सचिव (समन्वय), कैबिनेट सचिवालय के सदस्य एवं प्रमुख और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के सदस्य व विभाग प्रमुख शामिल होते हैं।
    • NCMC के अध्यक्ष संकट की प्रकृति के अनुसार केंद्र/राज्य सरकारों या किसी भी संगठन से विशेषज्ञों या अधिकारियों को नामित कर सकते हैं।
  • मुख्य कार्य: NCMC देश की आपदा तैयारी का आकलन करता है और उसे मज़बूत करने के लिये  दिशा-निर्देश जारी करता है।
    • यह केंद्र एवं राज्य सरकारों, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और अन्य एजेंसियों के प्रतिक्रिया प्रयासों का समन्वय तथा निगरानी करता है, ताकि पूरे देश में सुचारु व एकीकृत आपदा प्रबंधन सुनिश्चित किया जा सके।

आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2025

  • आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2025 का उद्देश्य राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर विभिन्न आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों तथा समितियों के बीच स्पष्टता एवं समन्वय स्थापित करना है।
  • यह अधिनियम पहले से मौजूद प्रमुख निकायों जैसे राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC) और उच्च स्तरीय समिति को वैधानिक दर्जा प्रदान करता है।
  • यह अधिनियम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों (SDMA) को सीधे राष्ट्रीय एवं राज्य आपदा योजनाएँ तैयार करने का अधिकार देता है, जो पहले राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (NEC) तथा राज्य कार्यकारी समितियों (SEC) द्वारा की जाती थीं।
  • यह अधिनियम राज्य की राजधानियों और बड़े नगरपालिक शहरों में शहरी आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (UDMA) की स्थापना का प्रावधान करता है तथा राज्यों को अपनी राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) गठित करने का अधिकार देता है, जिससे बढ़ती शहरी आपदा संवेदनशीलताओं का समाधान किया जा सके।