नेगलेरिया फाउलेरी: "ब्रेन ईटिंग अमीबा" | 11 Jul 2023

हाल ही में केरल के अलाप्पुझा ज़िले में एक व्यक्ति की नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria Fowleri), एक दुर्लभ संक्रमण के कारण एक सप्ताह तक तेज़ बुखार और अंगों में शिथिलता आने के बाद के मृत्यु हो गई।

नेगलेरिया फाउलेरी:

  • परिचय: 
    • नेगलेरिया फाउलेरी, जिसे आमतौर पर "ब्रेन ईटिंग अमीबा" के रूप में जाना जाता है, एक एकल-कोशिका वाला जीव है जो झीलों, ऊष्म झरनों और खराब रख-रखाव वाले स्विमिंग पूल जैसे गर्म ताज़े जलीय वातावरण में पाया जाता है।
    • यह एक सूक्ष्म जीव है, जिस कारण इसे केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है।
    • अमीबा नासिका के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है और गंभीर मस्तिष्क संक्रमण का कारण बन सकता है जिसे प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) कहा जाता है। 

  • मानव शरीर में संचरण: 
    • दूषित जल में तैरने अथवा गोता लगाने या धार्मिक अनुष्ठानों के लिये उपयोग जैसी गतिविधियों के दौरान यह आमतौर पर नाक नासिका और मुख के माध्यम से संचरित होता है।
    • यह घ्राण तंत्रिका के माध्यम से मस्तिष्क में चला जाता है जिससे मस्तिष्क के ऊतकों में गंभीर सूजन होता है फिर ये उत्तक नष्ट हो जाते हैं।
    • नेगलेरिया फाउलेरी संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता है।
  • जोखिम: 
    • हालाँकि मानव शरीर नेगलेरिया फाउलेरी के प्रति सामान्यतः संवेदनशील होता है, फिर भी इसका संक्रमण अत्यंत दुर्लभ होता है।
    • कमज़ोर प्रतिरक्षा तंत्र, नासिका अथवा साइनस की दीर्घकालिक समस्या, गर्म ताज़े जल के संपर्क में आना आदि जैसे कुछ कारक इसकी सुभेद्यता को बढ़ा सकते हैं।
  • लक्षण और पूर्वानुमान: 
    • लक्षण आमतौर पर संक्रमण के एक सप्ताह के अंदर दिखाई देते हैं और इसमें गंभीर सिरदर्द, बुखार, मतली, उल्टी, गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे एवं मतिभ्रम शामिल हैं।
    • संक्रमण तेज़ी से बढ़ता है और कोमा तथा मृत्यु का कारण बन सकता है। इसमें जीवित रहने की संभावना कम होती है।
  • इलाज: 
    • उपचार में दवाओं का संयोजन शामिल है। 
    • दवा मिल्टेफोसिन ने प्रयोगशाला सेटिंग्स में नेगलेरिया फाउलेरी को खत्म करने में प्रभावकारिता दिखाई है और कुछ जीवित बचे लोगों के उपचार में इसका सफलतापूर्वक उपयोग किया गया है।
    • उपचार के बाद भी 97 प्रतिशत की दर्ज मृत्यु दर के साथ नेगलेरिया फाउलेरी संक्रमण से बचने की संभावना कम रहती है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस