जूट के लिये MSP | 16 May 2025
स्रोत: द हिंदू
जूट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (JCI) ने फसल वर्ष 2025-26 के लिये जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) बढ़ा दिया है, ताकि किसानों द्वारा की जाने वाली विवश बिक्री (कम कीमत पर बाध्य होकर बेचना) को हतोत्साहित किया जा सके।
- परिचय: जूट (स्वर्ण रेशा) भारत में कपास के बाद खेती और उपयोग के दृष्टिकोण से दूसरी सबसे महत्त्वपूर्ण नकदी फसल है।
- भारत विश्व में जूट का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, जिसमें पश्चिम बंगाल, असम और बिहार प्रमुख जूट उत्पादक राज्य हैं।
- जूट की खेती के लिये आदर्श परिस्थितियों में 17°C से 41°C तक का तापमान, 40% से 90% के बीच सापेक्ष आर्द्रता, और 120 सेंटीमीटर से अधिक की समान रूप से वितरित वर्षा शामिल होती है।
- JCI: JCI वस्त्र मंत्रालय के तहत एक मूल्य समर्थन एजेंसी है, जो किसानों से कच्चा जूट न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर बिना किसी मात्रा सीमा के खरीदती है।
- MSP: न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह न्यूनतम मूल्य है, जिसे भारत सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है और जिस पर वह किसानों से फसल खरीदने का वचन करती है, चाहे बाज़ार मूल्य कुछ भी हो।
- यह न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) द्वारा कृषि लागत और मूल्य आयोग (CACP) की सिफारिशों के आधार पर घोषित किया जाता है।
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