मेकेदातु बॉंध | 25 Nov 2025
कर्नाटक ने घोषणा की है कि वह कावेरी नदी पर मेकेदातु बाँध के लिये केंद्र को एक संशोधित विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (रिवाइज़्ड डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट- DPR) जमा करेगा।
- यह तब हुआ जब तमिलनाडु ने कर्नाटक के मेकेदातु बाँध पर चिंता जताई, जिसमें कावेरी जल विवाद, बहुत ज़्यादा पानी जमा करना और पानी का अनियमित रूप से छोड़ा जाना शामिल था।
मेकेदातु बाँध
- परिचय: यह परियोजना कर्नाटक के कनकपुरा के पास मेकेदातु की गहरी घाटी में, जहाँ कावेरी और अर्कावती नदियाँ मिलती हैं, एक बैलेंसिंग रिज़रवॉयर (संतुलन जलाशय) के निर्माण से संबंधित है।
- इस परियोजना का उद्देश्य बंगलूरू और उसके आसपास के क्षेत्रों को पेयजल उपलब्ध कराना और साथ ही 400 मेगावाट जलविद्युत ऊर्जा उत्पादन करना है।
- विवाद: नदी के निचले हिस्से में स्थित राज्य तमिलनाडु इस प्रोजेक्ट का कड़ा विरोध कर रहा है, क्योंकि उसे नीचे की तरफ पानी का बहाव कम होने का डर है तथा यह कावेरी नदी के पानी के बँटवारे के विवाद का मुख्य केंद्र है।
कावेरी नदी जल विवाद
- विवाद: यह विवाद कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल और पुदुचेरी से जुड़ा हुआ है। कावेरी नदी कर्नाटक से निकलती है, तमिलनाडु से होकर प्रवाहित होती है तथा इसकी बड़ी सहायक नदियाँ केरल से प्रवाहित होती हैं।
- ऐतिहासिक शुरुआत: यह विवाद 150 साल से भी ज़्यादा पुराना है, जो मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसूर के बीच वर्ष 1892 और 1924 के समझौतों से शुरू हुआ था, जिसके तहत कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट के लिये ऊपरी नदी किनारे वाले राज्य (कर्नाटक) को निचले नदी किनारे वाले राज्य (तमिलनाडु) से मंज़ूरी लेनी पड़ती थी।
- नया विवाद: नया विवाद तब उभरा जब 1974 में कर्नाटक ने पूर्व समझौतों का उल्लंघन करते हुए तमिलनाडु की सहमति के बिना ही पानी के प्रवाह में बदलाव करना शुरू कर दिया।
- समाधान का तरीका: वर्ष 1990 में गठित कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (CWDT) ने वर्ष 2007 में अपना अंतिम निर्णय सुनाया, जिसमें कावेरी नदी के जल का विभाजन सभी तटीय राज्यों के बीच निर्धारित किया गया।
- तमिलनाडु राज्य बनाम कर्नाटक राज्य (2018) में सर्वोच्च न्यायालय ने कावेरी नदी को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित किया और CWDT के फैसले को काफी हद तक बरकरार रखा।
- सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2018 के फैसले के बाद CWDT के आखिरी आदेश को लागू करने के लिये कावेरी वॉटर मैनेजमेंट अथॉरिटी (CWMA) बनाई गई थी।
नोट: जल राज्य सूची की प्रविष्टि 17 के तहत एक राज्य विषय है, लेकिन अंतर-राज्यीय नदियों के विनियमन और विकास का विषय संघ सूची की प्रविष्टि 56 के अंतर्गत आता है।
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