कन्हेरी गुफाएँ | 20 May 2022

हाल ही में पर्यटन मंत्रालय ने बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर कन्हेरी गुफाओं में विभिन्न जन-सुविधाओं का उद्घाटन किया।

Kanheri-Caves

कन्हेरी गुफाएँ: 

  • परिचय: 
    • कन्हेरी गुफाएँ मुंबई के पश्चिमी बाहरी इलाके में स्थित गुफाओं और रॉक-कट स्मारकों का एक समूह है। ये गुफाएँ संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान के जंगलों के भीतर स्थित हैं।
    • कन्हेरी नाम प्राकृत में 'कान्हागिरि' से लिया गया है और इसका वर्णन सातवाहन शासक वशिष्ठपुत्र पुलुमावी के नासिक शिलालेख में मिलता है।
    • विदेशी यात्रियों के यात्रा वृतांतों में कन्हेरी का उल्लेख मिलता है। 
      • कन्हेरी का सबसे पहला वर्णन फाहियान द्वारा किया गया है, जो 399-411 ईस्वी के दौरान भारत आया और बाद में कई अन्य यात्रियों ने भी इसका वर्णन किया।  
  • उत्खनन: 
    • कन्हेरी गुफाओं में 110 से अधिक विभिन्न एकाश्म चट्टानों का उत्खनन शामिल है और यह देश में सबसे बड़े एकल उत्खनन में से एक है।
    • उत्खनन का आकार एवं विस्तार, साथ ही कई जल के कुंड, अभिलेखों, सबसे पुराने बांँधों में से एक,  स्तूप कब्रगाह गैलरी एवं उत्कृष्ट वर्षा जल संचयन प्रणाली, मठवासी एवं तीर्थ केंद्र के रूप में इसकी लोकप्रियता को प्रमाणित करती है।
  • वास्तुकला:
    • ये उत्खनन मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के हीनयान चरण के दौरान किये गए थे लेकिन इसमें महायान शैलीगत वास्तुकला के कई उदाहरणों के साथ वज्रयान से संबंधित आदेश के कुछ मुद्रण भी शामिल हैं।
  • संरक्षण:
    • यह कन्हेरी सातवाहन, त्रिकुटक, वाकाटक और सिलहारा के संरक्षण के साथ ही इस क्षेत्र के धनी व्यापारियों द्वारा किये गये दान के माध्यम से फला-फूला।
  • महत्त्व:
    • कन्हेरी गुफाएंँ हमारी प्राचीन विरासत का हिस्सा हैं क्योंकि वे विकास और हमारे अतीत का प्रमाण प्रदान करती हैं। 
    • कन्हेरी गुफाओं और अजंता एलोरा गुफाओं जैसे विरासत स्थलों के वास्तुशिल्प एवं इंजीनियरिंग उस समय की कला, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, निर्माण, धैर्य एवं दृढ़ता आदि के रूप में लोगों के ज्ञान को प्रदर्शित करते हैं।
      • उस समय ऐसे कई स्मारकों को बनने में 100 साल से अधिक का समय लगा था।
    • इसका महत्त्व इस तथ्य से बढ़ जाता है कि यह एकमात्र केंद्र है जहांँ बौद्ध धर्म और वास्तुकला की निरंतर प्रगति को दूसरी शताब्दी ईस्वी से 9वीं शताब्दी ईस्वी तक एक स्थायी विरासत के रूप में देखा जाता है।

हीनयान और महायान: 

  • हीनयान: 
    • वस्तुतः छोटा वाहन, जिसे परित्यक्त वाहन या दोषपूर्ण वाहन के रूप में भी जाना जाता है। यह बुद्ध की मूल शिक्षा या ‘बड़ों के सिद्धांत’ में विश्वास करता है। 
    • यह मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता है और आत्म अनुशासन तथा ध्यान के माध्यम से व्यक्तिगत मोक्ष प्राप्त करने का प्रयास करता है।
    • थेरवाद हीनयान संप्रदाय का एक हिस्सा है। 
  • महायान: 
    • बौद्ध धर्म का यह संप्रदाय बुद्ध को देवता के रूप में मानता है तथा मूर्ति पूजा में विश्वास करता है।  
    • यह उद्भव उत्तरी भारत और कश्मीर में हुआ तथा वहाँ से मध्य एशिया, पूर्वी एशिया एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के कुछ क्षेत्रों में फैल गया। 
    • महायान मंत्रों में विश्वास करता है।
    • इसके मुख्य सिद्धांत सभी प्राणियों के लिये दुख से सार्वभौमिक मुक्ति की संभावना पर आधारित थे। इसलिये, इस संप्रदाय को महायान (महान वाहन) कहा जाता है।
    • इसके सिद्धांत भी बुद्ध एवं बोधिसत्त्वों की ‘प्रकृति के अवतार’ के अस्तित्व पर आधारित हैं। यह बुद्ध में विश्वास रखने और स्वयं को उनके प्रति समर्पित करने के माध्यम से मोक्ष प्राप्ति की बात करता है।

विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs):

प्रश्न. भारत के धार्मिक इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2016)

  1. बोधिसत्त्व की बौद्ध मत के हीनयान संप्रदाय की केंद्रीय संकल्पना है।
  2. बोधिसत्त्व अपने प्रबोध के मार्ग पर बढ़ता हुआ करुणामय है।
  3. बोधिसत्त्व समस्त सचेतन प्राणियों को उनके प्रबोध के मार्ग पर चलने में सहायता करने लिये स्वयं की निर्वाण प्राप्ति को विलंबित करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 2
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (B)

  • बोधिसत्त्व शब्द का शाब्दिक अर्थ एक जीवित प्राणी (सत्त्व) है जो आत्मज्ञान (बोधि) की आकांक्षा रखता है और परोपकारी कार्य करता है।
  • बोधिसत्त्व बौद्ध मत के महायान परंपरा का केंद्र है और इसे ऐसे व्यक्ति के रूप में चित्रित किया गया है जो अपने और दूसरों के लिये ज्ञान की खोज करता है। अत: कथन 1 सही नहीं है, जबकि कथन 3 सही है।
  • करुणा, दूसरों के दुखों के प्रति सहानुभूति साझा करना, बोधिसत्त्व की सबसे बड़ी विशेषता है। अत: कथन 2 सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.