कालानमक चावल | 31 Oct 2022

हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) ने उत्तर प्रदेश में कालानमक चावल की दो नई बौनी किस्मों, पूसा नरेंद्र कालानमक 1638 और पूसा नरेंद्र कालानमक 1652 का सफलतापूर्वक परीक्षण किया, जो दोगुनी उपज देती हैं।

  • यह पारंपरिक किस्म में कम उपज की समस्या का समाधान करेगा।

Kalanamak

कालानमक चावल:

  • परिचय:
    • कालानमक धान की एक पारंपरिक किस्म है जिसमें काली भूसी और तेज़ सुगंध होती है।
    • इसे श्रावस्ती के लोगों के लिये 'भगवान बुद्ध का उपहार' माना जाता है जब उन्होंने ज्ञान के बाद इस क्षेत्र का दौरा किया था।
      • इसे 'वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट' (ODOP) योजना के तहत सिद्धार्थनगर के ओडीओपी उत्पाद के रूप में सम्मानित किया गया है जो उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र में स्थित एक आकाँक्षी ज़िला है।।
    • यह उत्तरपूर्वी उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्र के 11 ज़िलों और नेपाल में उगाया जाता है।
    • यह भौगोलिक संकेतक (GI) टैग प्रणाली के तहत संरक्षित है।
  • कालानमक चावल से किसानों को लाभ:
    • प्राकृतिक खेती: कालानमक चावल मुख्य रूप से उर्वरक या कीटनाशक अवशेषों का उपयोग किये बिना उगाया जाता है जो इसे फसल उत्पादन के लिये एकदम सही बनाता है।
    • लागत प्रभावी कारक: चूँकि कीटनाशकों और उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है, इसलिये इसकी लागत कम है और उत्पादकों को पैसे की बचत होती है।
  • कालानमक चावल के स्वास्थ्य लाभ:
    • कालानमक चावल एंथोसायनिन की तरह एक एंटीऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करता है, जो हृदय रोग की रोकथाम और त्वचा की देखभाल में सहायता करता है।
    • कालानमक चावल में जिंक और आयरन जैसे बहुत सारे सूक्ष्म पोषक तत्त्व शामिल होते हैं। नतीजतन, इस चावल को खाने से जिंक और आयरन की कमी से होने वाली बीमारी से भी बचाव होता है।
    • ऐसा दावा किया जाता है कि नियमित रूप से कालानामक चावल खाने से अल्जाइमर रोग की रोकथाम में मदद मिल सकती है।
    • कालानमक चावल शरीर को मज़बूत बनाने और गैल्वनाइज़ करने में मदद कर सकता है, साथ ही रक्तचाप, मधुमेह एवं त्वचा की क्षति को नियंत्रित करने में भी मदद कर सकता है।
  • पारंपरिक विविधता संबंधी मुद्दा:
    • कालानमक धान की पारंपरिक किस्म के साथ समस्या यह है कि यह लंबा होता है और लॉजिंग के लिये प्रवण है, जो अनाज के गठन और गुणवत्ता को बुरी तरह प्रभावित करता है।
    • लॉजिंग एक ऐसी स्थिति है जिसमें अनाज के गठन के कारण पौधे का शीर्ष भारी हो जाता है, तना कमज़ोर हो जाता है और पौधा ज़मीन पर गिर जाता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न

प्रश्न: भारत ने वस्तुओं के भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 को किसके दायित्वों का पालन करने के लिये अधिनियमित किया? (2018)

(a) अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(c) व्यापार एवं विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन
(d) विश्व व्यापार संगठन

उत्तर: (D)

व्याख्या:

  • भौगोलिक संकेतक (GI) एक प्रकार की बौद्धिक संपदा (IP) हैं। विश्व व्यापार संगठन (WTO), बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार से संबंधित पहलू (TRIPS) समझौते के तहत बौद्धिक संपदा अधिकारों को मान्यता देता है।
  • TRIPS समझौते के अनुच्छेद 22(1) के तहत जीआई टैग ऐसे कृषि, प्राकृतिक या निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जो एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पन्न होता है और जिसके कारण इसमें अद्वितीय विशेषताओं एवं गुणों का समावेश होता है।

अतः विकल्प (D) सही  है।

स्रोत:द हिंदू