जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 | 31 Jul 2023

हाल ही में जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023 मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पारित कर दिया गया और इस विधेयक का उद्देश्य रहन-सहन एवं व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाना है।

जन विश्वास (प्रावधानों का संशोधन) विधेयक, 2023:

  • परिचय:
    • इस विधेयक में 19 मंत्रालयों/विभागों द्वारा प्रशासित 42 केंद्रीय अधिनियमों में 183 प्रावधानों को अपराध मुक्त करने का प्रस्ताव है, जिसमें पर्यावरण, कृषि, मीडिया, उद्योग, व्यापार, सूचना प्रौद्योगिकी, कॉपीराइट, मोटर वाहन, सिनेमैटोग्राफी, खाद्य सुरक्षा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल हैं।
    • इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य ऐसे छोटे अपराधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करना है जिनसे सार्वजनिक हित अथवा राष्ट्रीय सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है और साथ ही उनके स्थान पर नागरिक दंड या प्रशासनिक कार्रवाई की व्यवस्था करना है।
  • पृष्ठभूमि:
    • यह विधेयक 22 दिसंबर, 2022 को लोकसभा में पेश किया गया था, उसके बाद संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया था।
  • आवश्यकता:
    • न्याय प्रणाली पर अनुचित दबाव को कम करने के लिये आपराधिक प्रावधानों को तर्कसंगत बनाने के लिये।
    • गंभीर दंड लगाए बिना तकनीकी और प्रक्रियात्मक चूक का समाधान करने के लिये।
    • अपराध की गंभीरता और निर्धारित सज़ा के बीच संतुलन स्थापित करने के लिये।
    • बाधाओं को दूर करके और अनुकूल कानूनी माहौल को बढ़ावा देकर व्यवसायों के विकास को बढ़ावा देने के लिये।
  • विधेयक की मुख्य विशेषताएँ:
    • यह विधेयक कुछ प्रावधानों में कारावास की धाराओं और/अथवा ज़ुर्माने को हटाने तथा कुछ अन्य मामलों में उन्हें दंड में बदलने का प्रावधान करता है।
    • दंड का निर्धारण संबंधित मंत्रालयों/विभागों के नियुक्त निर्णायक अधिकारियों द्वारा किया जाएगा।
    • यह विधेयक कुछ प्रावधानों में अपराधों के शमन का भी व्यवस्था करता है, जिसका अर्थ है कि अपराधी न्यायालयी मुकदमे के बिना एक निश्चित राशि का भुगतान करके अपने मामलों का निपटारा कर सकते हैं।
    • इस विधेयक में निर्दिष्ट अधिनियमों में विभिन्न अपराधों के लिये न्यूनतम राशि में 10% की वृद्धि के साथ प्रत्येक तीन वर्ष में ज़ुर्माने और ज़ुर्माने की आवधिक समीक्षा का प्रावधान है।
    • इस विधेयक द्वारा भारतीय डाकघर अधिनियम, 1898 जो कि वर्तमान स्थिति में अप्रचलित और अप्रासंगिक है, को सभी संबंधित अपराधों एवं दंडों के साथ निरस्त कर दिया गया है।
  • लाभ:
    • प्रशासनिक न्यायनिर्णयन तंत्र शुरू कर विधेयक न्याय प्रणाली पर दबाव कम करता है, लंबित मामलों को कम करने में मदद करता है और अधिक कुशल तथा प्रभावी न्याय वितरण की सुविधा प्रदान करता है।
    • विधेयक यह सुनिश्चित करके विश्वास-आधारित शासन को बढ़ावा देगा कि नागरिक, व्यवसाय और सरकारी विभाग मामूली, तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूक के लिये कारावास के भय के बिना काम कर सकेंगे।
  • चिंताएँ:
    • जन विश्वास विधेयक कारावास के स्थान पर ज़ुर्माना या सज़ा का प्रावधान करता है जो अपराध से मुक्ति के लिये पर्याप्त नहीं है।
    • विशेषज्ञों का तर्क है कि विधेयक 'अर्द्ध-अपराधीकरण (Quasi-Decriminalization)' का प्रतिनिधित्व करता है तथा वास्तविक गैर-अपराधीकरण को संस्थागत बनाने के लिये और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
    • वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत निर्णयन अधिकारियों की नियुक्ति को लेकर चिंता जताई गई, ऐसी कानूनी कार्यवाही के लिये उनकी तकनीकी क्षमता पर सवाल उठाया गया।

विधेयक में शामिल प्रमुख कानून:

स्रोत: पी.आई.बी.