इसरो का SSLV-D2 | 11 Feb 2023

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) का सबसे छोटा यान, लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle- SSLV-D2) को दूसरे प्रयास में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा, आंध्र प्रदेश से प्रक्षेपित किया गया।

  • SSLV- D1 यान को पहली बार अगस्त 2022 में प्रक्षेपित किया गया था लेकिन यह उपग्रहों को सटीक कक्षा में स्थापित करने में विफल रहा।
  • इस बार उपकरण में संरचनात्मक परिवर्तन किये गए हैं, साथ ही चरण- 2 हेतु पृथक्करण तंत्र में परिवर्तन के साथ ऑन-बोर्ड सिस्टम के लिये तार्किक परिवर्तन किये गए हैं।

ISRO-SSLV

नोट:  

  • दो सफल विकास उड़ानें पूरी करने के बाद इसरो द्वारा एक नए वाहन को सुचारू घोषित किया गया है।
  • अंतिम परिचालन वाहन GSLV Mk- III था, जिसे अब LVM- 3 के रूप में जाना जाता है, जो वर्ष 2019 में चंद्रयान- 2 को आंतरिक्ष में ले गया था।

SSLV-D2 में शामिल उपग्रह: 

  • SSLV-D2 इसरो के पृथ्वी अवलोकन उपग्रह EOS-07 और दो सह-यात्री उपग्रहों- Janus-1 एवं AzaadiSat2 को आंतरिक्ष में स्थापित करेगा।
    • Janus-1: 
      • यह एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक उपग्रह है जिसे संयुक्त राष्ट्र स्थित Antaris और इसके भारतीय भागीदारों XDLinks तथाAnanth Technologies द्वारा बनाया गया है।
      • यह एक सिक्स-यूनिट क्यूब उपग्रह है जिसमें पेलोड की संख्या पाँच है - दो सिंगापुर से, एक-एक केन्या, ऑस्ट्रेलिया और इंडोनेशिया से।
    • AzaadiSat2: 
      • यह एक क्यूब उपग्रह है जिसका वज़न लगभग 8 किलोग्राम है और इसमें 75 अलग-अलग पेलोड हैं।
      • देश भर के ग्रामीण क्षेत्रों की छात्राओं को इन पेलोड के निर्माण के लिये मार्गदर्शन प्रदान किया गया।
      • इस पेलोड को "स्पेस किड्ज़ इंडिया" की छात्र टीम द्वारा एकीकृत किया गया है। 
    • EOS-07: 
      • EOS-07 156.3 किलोग्राम का उपग्रह है जिसे इसरो द्वारा डिज़ाइन और विकसित किया गया है।
      • इस मिशन का उद्देश्य भविष्य के परिचालन उपग्रहों के लिये माइक्रोसेटेलाइट बसों और नई तकनीकों के साथ संगत पेलोड उपकरणों को डिज़ाइन एवं विकसित करना है। 

लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (Small Satellite Launch Vehicle-SSLV): 

  • परिचय: 
    • SSLV एक 3 चरण का प्रक्षेपण यान है जिसे टर्मिनल के रूप में तीन ठोस प्रणोदन चरणों (Solid Propulsion Stages) और तरल प्रणोदन आधारित वेग ट्रिमिंग मॉड्यूल (Velocity Trimming Module -VTM) के साथ संयोजित किया गया है।
    • SSLV का व्यास 2 मीटर और लंबाई 34 मीटर है, जिसका भार लगभग 120 टन है तथा 500 किलोमीटर की समतल कक्षीय तल में 10 से 500 किलोग्राम उपग्रह लॉन्च करने में सक्षम है।
    • इसरो के वर्कहॉर्स PSLV के लिये 6 महीने और लगभग 600 लोगों की तुलना में रॉकेट को केवल कुछ दिनों में एक छोटी सी टीम द्वारा तैयार किया जा सकता है।
  • उद्देश्य: 
    • इसे उभरते लघु (नैनो-माइक्रो-मिनी) उपग्रह वाणिज्यिक बाज़ार को आकर्षित करने के लिये विकसित किया गया है, जिसे मांग पर लॉन्च की पेशकश की गई है।
  • महत्त्व:  
    • यह कम लागत के साथ अंतरिक्ष में पहुँच प्रदान करता है, जो कम प्रतिवर्तन काल में कई उपग्रहों को समायोजित करने की सुविधा प्रदान करने के साथ न्यूनतम प्रक्षेपण अवसंरचना की मांग करता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस