इनिशियल पब्लिक ऑफर | 16 Feb 2022

हाल ही में सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के पास अपनी मेगा इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) के लिये ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल किया।

  • सरकार, जिसके पास LIC की 100% हिस्सेदारी है, आईपीओ के माध्यम से अपनी 5% हिस्सेदारी बेचेगी। IPO से होने वाली सभी आय, जो बिक्री के लिये एक प्रस्ताव के रूप में है और कम-से-कम 60,000 करोड़ रुपए तक होने की उम्मीद है, से वित्त वर्ष 2022 के लिये सरकार के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने में मदद मिलेगी।
  • LIC पूरी तरह से सरकार के स्वामित्व में है। इसकी स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी। भारत के बीमा कारोबार में इसकी सबसे बड़ी हिस्सेदारी है।

इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO):

  • IPO एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत कोई निजी या सरकार के स्वामित्त्व वाली कंपनी जैसे कि LIC पूंजी जुटाने के लिये पहली बार सार्वजनिक तौर पर अपने शेयरों की बिक्री करती है।
    • IPO के बाद वह पब्लिक लिस्टेड कंपनी बन जाती है। स्टॉक एक्सचेंज शेयर, स्टॉक और बॉण्ड जैसी प्रतिभूतियों की बिक्री एवं खरीद के लिये एक संगठित बाज़ार है।
    • एक सूचीबद्ध कंपनी एक अनुवर्ती सार्वजनिक पेशकश (Follow-on Public Offering) या  FPO के माध्यम से भविष्य में वृद्धि और विस्तार के लिये शेयर पूंजी जुटा सकती है।
  • IPO जारी करने के दौरान कंपनी को बाज़ार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास अपना प्रस्ताव दस्तावेज़ दाखिल करना होता है।
    • ऑफर दस्तावेज़ में कंपनी, उसके प्रमोटर, उसकी परियोजनाओं, वित्तीय विवरण, धन जुटाने का उद्देश्य, जारी करने की शर्तें आदि के बारे में सभी प्रासंगिक जानकारी शामिल होती है।
    • SEBI वर्ष 1992 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार स्थापित एक वैधानिक निकाय है।

बिक्री हेतु प्रस्ताव:

  • बिक्री हेतु प्रस्ताव पद्धति के तहत प्रतिभूतियों को सीधे जनता को जारी नहीं किया जाता है, बल्कि बिचौलियों जैसे- हाउसिंग या स्टॉक ब्रोकरों के माध्यम से जारी किया जाता है।
  • इस संदर्भ में एक कंपनी दलालों को एक सहमत मूल्य पर प्रतिभूतियों को बेचती है, जो बदले में  निवेश हेतु उनको पुनः जनता को बेचते हैं।

रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस का ड्राफ्ट:

  • ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) एक कानूनी प्रारंभिक दस्तावेज़ है। यह आईपीओ-बाध्य कंपनी और उसके निवेशकों तथा हितधारकों के बीच एक महत्त्वपूर्ण संचार लिंक के रूप में कार्य करता है।

IPO में निवेश की अनुमति:

  • क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) निवेशकों की एक श्रेणी है जिसमें विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPIs), म्यूचुअल फंड, वाणिज्यिक बैंक, बीमा कंपनियाँ, पेंशन फंड आदि शामिल हैं।
    • QIBs वे संस्थागत निवेशक हैं जिन्हें आमतौर पर पूंजी बाज़ार में मूल्यांकन और निवेश हेतु विशेषज्ञता व वित्तीय क्षमता युक्त माना जाता है।
  • वे व्यक्ति जो किसी इश्यू में 2 लाख रुपए तक निवेश करते हैं, उन्हें खुदरा निवेशक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
  • 2 लाख रुपए से अधिक का निवेश करने वाले खुदरा निवेशकों को उच्च निवल मूल्य वाले व्यक्तियों के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।

कंपनियाँ जो आईपीओ जारी कर सकती हैं:

  • निवेशकों की सुरक्षा के लिये सेबी ने ऐसे नियम निर्धारित किये हैं जिनके लिये कंपनियों को धन जुटाने हेतु जनता के पास जाने से पहले कुछ मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता होती है।
  • अन्य शर्तों के अलावा कंपनी के पास पिछले पूर्ण तीन वर्षों में से प्रत्येक में कम-से-कम 3 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति और 1 करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति होनी चाहिये तथा तत्काल पूर्ववर्ती पाँच वर्षों में से कम-से-कम तीन में इसका न्यूनतम औसत कर-पूर्व लाभ 15 करोड़ रुपए होना चाहिये।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस