स्वदेशी TnpB-आधारित जीन संपादन तकनीक | 24 Nov 2025

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों? 

ICAR के सेंट्रल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI), कटक के भारतीय वैज्ञानिकों ने TnpB प्रोटीन्स का उपयोग करते हुए एक नई स्वदेशी जीनोम-संपादन (जीन एडिटिंग) तकनीक विकसित की है, जो वैश्विक स्तर पर पेटेंट किये गए CRISPR-Cas सिस्टम का एक कॉम्पैक्ट, कम लागत वाला और IP-मुक्त विकल्प प्रदान करती है।

  • एक और डेवलपमेंट में CSIR–इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) ने सिकल सेल डिज़ीज़ के लिये भारत की पहली स्वदेशी CRISPR-बेस्ड जीन थेरेपी “BIRSA 101” विकसित की है, जो एक बड़ी वैज्ञानिक सफलता है।

भारत का स्वदेशी TnpB-आधारित जीनोम संपादन उपकरण क्या है?

  • परिचय: यह CRISPR-Cas9 या Cas12a के स्थान पर TnpB (ट्रांसपोसॉन-संबंधित प्रोटीन) का उपयोग करता है, जो एक लघु आणविक कैंची के रूप में कार्य करता है जो पौधों में सटीक डीऑक्सी-राइबोन्यूक्लिक एसिड (DNA) कटौती और संपादन को सक्षम बनाता है। 
  • क्योंकि TnpB अत्यंत छोटा होता है (लगभग 408 अमीनो एसिड, जबकि Cas9 के लिये 1,000-1,400 और Cas12a के लिये लगभग 1,300), इसलिये इसे पौधों की कोशिकाओं में कहीं अधिक आसानी से पहुँचाया जा सकता है, अक्सर बड़े Cas प्रोटीन के लिये आवश्यक जटिल ऊतक संवर्द्धन चरणों के बिना।
  • क्योंकि TnpB आकार में अत्यंत छोटा है (लगभग 408 अमीनो अम्ल, जबकि Cas9 के लिये 1,000–1,400 और Cas12a के लिये लगभग 1,300 अमीनो अम्ल होते हैं), इसलिये इसे पौधों की कोशिकाओं में बहुत आसानी से पहुँचाया जा सकता है। भारी Cas प्रोटीन्स की तुलना में इसके लिये सामान्यतः जटिल टिश्यू-कल्चर प्रक्रियाओं की आवश्यकता भी नहीं पड़ती।
  • महत्त्व: TnpB-आधारित जीनोम संपादन उपकरण ब्रॉड इंस्टीट्यूट और कॉर्टेवा जैसे वैश्विक संस्थानों द्वारा धारित विदेशी CRISPR पेटेंट पर निर्भरता को कम करता है।
  • यह उच्च लाइसेंस शुल्क का भुगतान किये बिना सस्ती, वाणिज्यिक जीनोम-संपादित (GE) फसलों को संभव बनाता है।
    • यह कृषि जैव-प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर भारत की दिशा को मज़बूत करता है, अगली पीढ़ी की जीन-संपादित फसलों के विकास की देश की क्षमता को बढ़ाता है तथा इस चिंता को भी दूर करता है कि GE तकनीकें विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के नियंत्रण में हैं। इस प्रकार यह भारत को पूर्ण तकनीकी संप्रभुता प्रदान करता है।

बिरसा 101 क्या है?

  • BIRSA 101 एक सटीक जीन-एडिटिंग थेरेपी के तौर पर कार्य करता है, जो सिकल सेल बीमारी के लिये ज़िम्मेदार म्यूटेशन को सीधे ठीक करता है।
    • इस थेरेपी का नाम आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में ‘BIRSA 101’ रखा गया है। यह नाम भारत के आदिवासी समुदायों में सिकल सेल रोग के प्रभाव को पहचानने और सम्मान देने के लिये एक प्रतीकात्मक श्रद्धांजलि है।
    • BIRSA 101, IGIB द्वारा विकसित इंजीनियर्ड enFnCas9 (एन्हांस्ड फ्रांसिसेला नोविसिडा Cas9) CRISPR प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करता है।
  • महत्त्व: यह कैसगेवी जैसी वैश्विक थेरेपी के लिये कम लागत वाला विकल्प प्रदान करता है, जिसकी कीमत 2.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।
    • यह तकनीक बड़े पैमाने पर, कम लागत और सुलभ उपयोग सुनिश्चित करने के लिये सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को हस्तांतरित की गई है।
    • BIRSA 101, वर्ष 2047 तक सिकल सेल मुक्त भारत के लक्ष्य की दिशा में एक बड़ा कदम है।
    • यह आत्मनिर्भर भारत, जीनोमिक मेडिसिन और सुलभ उन्नत चिकित्साओं के क्षेत्र में भारत की नेतृत्व क्षमता को मज़बूत करता है।

जीनोम संपादन क्या है?

  • परिचय: जीनोम संपादन CRISPR (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पैलिंड्रोमिक रिपीट्स) जैसी तकनीकों का एक सेट है, जो वैज्ञानिकों को किसी जीव के जीनोम के अंदर विशेष DNA सीक्वेंस को ठीक से काटने, संशोधित करने या प्रतिस्थापित करने की सुविधा देता है।
    • यह किसी जीव में पहले से मौजूद जीनों में लक्षित उत्परिवर्तन (Mutations) उत्पन्न करता है, बिना किसी बाह्य DNA को जोड़े।
  • CRISPR: यह एक शक्तिशाली जीन-संपादन उपकरण है। यह जीनोम में किसी विशिष्ट अनुक्रम को खोजने के लिये एक गाइड RNA का उपयोग करता है और उस स्थान तक Cas एंज़ाइम (आमतौर पर Cas9 या Cas12a) को निर्देशित करता है।
    • Cas एंज़ाइम आणविक कैंची (Molecular scissor) की तरह कार्य करते हुए DNA को निर्धारित स्थान पर काट देता है, जिसके बाद कोशिका स्वाभाविक रूप से उस कटे हुए हिस्से की मरम्मत करती है।
    • Cas9 साधारण कटाव के लिये व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, जबकि Cas12a अधिक सटीकता प्रदान करता है और अलग प्रकार की गाइड RNA संरचनाओं के साथ कार्य करता है।
    • इसी मरम्मत प्रक्रिया का उपयोग करके वैज्ञानिक किसी जीन को निष्क्रिय कर सकते हैं, किसी उत्परिवर्तन को सुधार सकते हैं या अत्यंत सटीकता के साथ नया DNA अनुक्रम सम्मिलित कर सकते हैं।
  • अनुप्रयोग
    • चिकित्सा: आनुवंशिक रोगों को ठीक करना, जीन-चिकित्साएँ विकसित करना (जैसे—सिकल सेल रोग)।
    • कृषि: जलवायु-सहिष्णु, उच्च उत्पादकता वाली और रोग-प्रतिरोधी फसलें विकसित करना।
    • अनुसंधान: जीनों के कार्य को समझने और नए जैविक उपकरण विकसित करने में सहायता प्रदान करना।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

1. भारत का स्वदेशी TnpB-बेस्ड जीनोम-एडिटिंग टूल क्या है?

यह एक कॉम्पैक्ट, IP-फ्री जीनोम एडिटर है जिसे इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) - सेंट्रल राइस रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) ने TnpB प्रोटीन का प्रयोग करके बनाया है, जिससे बिना महॅंगे CRISPR पेटेंट के पौधों में सटीक DNA एडिट किया जा सकता है।

2. पौधों की जीनोम एडिटिंग के लिये TnpB को बेहतर क्यों माना जाता है?

TnpB आकार में अत्यंत छोटा है (408 अमीनो एसिड), जिससे इसे पौध कोशिकाओं में पहुँचाना आसान हो जाता है और Cas9/Cas12a की तुलना में जटिल टिशू-कल्चर स्टेप्स की आवश्यकता कम हो जाती है।

3. BIRSA 101 क्या है और इसे किसने बनाया है?

BIRSA 101 सिकल सेल बीमारी के लिये भारत की पहली स्वदेशी CRISPR-बेस्ड जीन थेरेपी है, जिसे काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR–IGIB) ने इंजीनियर्ड enFnCas9 प्लेटफॉर्म का प्रयोग करके बनाया है। 

4. भारत के जनजातीय समुदायों के लिये BIRSA 101 क्यों आवश्यक है?

जनजातीय आबादी में सिकल सेल बीमारी अत्यधिक प्रचलित है और BIRSA 101 कम कीमत पर एक बार ठीक होने वाली संभावित इलाज की थेरेपी देता है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)

प्रिलिम्स

प्रश्न: प्राय: समाचारों में आने वाला Cas9 प्रोटीन क्या है? (2019)

(a) लक्ष्य-साधित जीन संपादन (टारगेटेड जीन एडिटिंग) में प्रयुक्त आण्विक कैंची
(b) रोगियों में रोगजनकों की ठीक से पहचान करने के लिये प्रयुक्त जैव संवेदक
(c) एक जीन जो पादपों को पीड़क-प्रतिरोधी बनाता है
(d) आनुवंशिक रूप से रूपांतरित फसलों में संश्लेषित होने वाला एक शाकनाशी पदार्थ

उत्तर: (a)


मेन्स 

प्रश्न. अनुप्रयुक्त जैव-प्रौद्योगिकी में शोध तथा विकास संबंधी उपलब्धियाँ क्या हैं? ये उपलब्धियाँ समाज के निर्धन वर्गों के उत्थान में किस प्रकार सहायक होंगी? (2021)