भारतीय याक जीनोमिक्स | 22 May 2025

स्रोत: TH

पहली बार, भारतीय वैज्ञानिकों ने भारतीय याक (Bos Grunniens) की गुणसूत्र-स्तरीय जीनोम संरचना को सफलतापूर्वक संकलित किया है, जो ऊँचाई या पर्वतीय क्षेत्रों में पायी जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण गोजातीय प्रजाति है।

  • भारतीय याक जीनोमिक्स: इस परियोजना में लॉन्ग-रीड सीक्वेंसिंग और उन्नत जैव सूचना विज्ञान का उपयोग किया गया, जिससे विशिष्ट गुणसूत्रों के लिये जीन का सटीक मानचित्रण संभव हो सका।
    • लॉन्ग-रीड सीक्वेंसिंग एक DNA सीक्वेंसिंग विधि है जो DNA के लंबे हिस्सों (हज़ारों से लाखों बेस पेयर) को पढ़ती है, जबकि शॉर्ट-रीड सीक्वेंसिंग छोटे टुकड़ों (आमतौर पर 100-300 बेस पेयर) को पढ़ती है।
    • जैव सूचना विज्ञान, DNA, RNA और प्रोटीन अनुक्रम जैसे बड़े जैविक डेटासेट का विश्लेषण एवं व्याख्या करने के लिये जीव विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान तथा गणित को जोड़ता है।
    • इसके अलावा, यह जीनोमिक्स अध्ययन एलील माइनिंग, वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ाने और स्थानीय पशुधन प्रबंधन में मदद करेगा।
      • एलील माइनिंग, प्रजातियों के भीतर या उनके बीच रोग प्रतिरोधकता, सूखा सहिष्णुता, या उच्च उपज जैसे वांछनीय लक्षणों से जुड़ी आनुवंशिक विविधताओं की पहचान करती है।
  • भारतीय याक: भारत में याक लद्दाख, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में 7,000 फीट से अधिक ऊँचाई पर पाए जाते हैं।
  • संरक्षण स्थिति:
  • खाद्य पशु: वर्ष 2022 में, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने हिमालयन याक को 'खाद्य पशु' के रूप में स्वीकृति दे दी, जिससे इसकी घटती संख्या को रोकने में मदद के लिये खाद्य उत्पादन या उपभोग में इसके उपयोग की अनुमति मिल गई।

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