भारतीय पत्तन अधिनियम, 2025 | 29 Sep 2025

स्रोत: पी.आई.बी 

चर्चा में क्यों?  

अगस्त 2025 में संसद द्वारा पारित भारतीय पत्तन अधिनियम, 2025 ने एक सदी पुराने भारतीय पत्तन अधिनियम, 1908 को प्रतिस्थापित किया है। यह अधिनियम एक आधुनिक कानूनी ढाँचा प्रस्तुत करता है, जिसका उद्देश्य एकीकृत पत्तन विकास, सहकारी संघवाद और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ावा देना है। 

भारतीय पत्तन अधिनियम, 2025 के प्रमुख प्रावधान क्या हैं? 

  • वैधानिक निकाय: यह अधिनियम तटीय राज्यों द्वारा स्थापित राज्य समुद्री बोर्डों को औपचारिक रूप से मान्यता देता है और उन्हें गैर-प्रमुख पत्तन (योजना, लाइसेंसिंग, टैरिफ और अनुपालन) का प्रबंधन करने का अधिकार देता है। 
    • अधिनियम के तहत, समुद्री राज्य विकास परिषद को डेटा पारदर्शिता, नीति सलाह, राष्ट्रीय योजना और केंद्र-राज्य समन्वय का मार्गदर्शन करने के लिये वैधानिक दर्जा दिया गया था। 
  • पत्तन अधिकारी: अधिनियम सरकार द्वारा नियुक्त संरक्षक को पत्तन अधिकारी के रूप में नामित करता है, जिसके पास जहाज़ की आवाजाही, शुल्क वसूली, रोग नियंत्रण और दंड निर्णय से संबंधित शक्तियाँ होती हैं। 
  • विवाद समाधान: अधिनियम में गैर-प्रमुख पत्तन पर विवादों को सुलझाने के लिये विवाद समाधान समितियों (DRC) की स्थापना का प्रावधान है, अपीलें उच्च न्यायालयों में की जा सकती हैं और त्वरित समाधान के लिये मध्यस्थता की अनुमति है। 
  • टैरिफ विनियमन: प्रमुख पत्तन पर टैरिफ का निर्धारण प्रमुख पत्तन प्राधिकरण बोर्ड या किसी कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा किया जाता है, जबकि गैर-प्रमुख पत्तन पर, इन्हें राज्य समुद्री बोर्ड या रियायतग्राही द्वारा तय किया जाता है तथा पारदर्शिता के लिये ऑनलाइन प्रकाशन अनिवार्य है। 
  • सुरक्षा एवं स्थायित्व: यह अधिनियम सुरक्षा उल्लंघनों हेतु दंड लागू करता है, MARPOL (जहाज़ों द्वारा समुद्री प्रदूषण की रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन) और बैलास्ट जल प्रबंधन जैसे वैश्विक सम्मेलनों के साथ संरेखित है, प्रदूषण नियंत्रण तथा आपदा तत्परता को अनिवार्य बनाता है एवं अनुपालन के लिये केंद्रीय ऑडिट की आवश्यकता रखता है। 
  • डिजिटलीकरण और व्यापार में आसानी: दक्षता में सुधार और भीड़भाड़ को कम करने के लिये समुद्री एकल खिड़की और उन्नत पोत यातायात प्रणाली। 

भारत में बंदरगाह 

  • बंदरगाह भारत की अर्थव्यवस्था के लिये महत्त्वपूर्ण हैं, जो मात्रा के हिसाब से लगभग 95% निर्यात और आयात (EXIM) कार्गो तथा मूल्य के हिसाब से 70% कार्गो का संचालन करते हैं। 
  • 12 प्रमुख (महाराष्ट्र के वधावन में 13वाँ प्रमुख बंदरगाह अभी भी विकास के चरण में है) और 200 से अधिक छोटे बंदरगाहों के साथ, ये व्यापार, औद्योगिक विकास और संपर्क को बढ़ावा देते हैं। पिछले एक दशक में, भारतीय बंदरगाहों का वैश्विक मानकों के अनुरूप आधुनिकीकरण हुआ है, जिससे दक्षता और भारत की समुद्री स्थिति में वृद्धि हुई है।

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UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ) 

प्रिलिम्स 

प्रश्न. भारत द्वारा चाबहार बंदरगाह विकसित करने का क्या महत्त्व है?(2017) 

(a) अफ्रीकी देशों से भारत के व्यापार में अपार वृद्धि होगी। 

(b) तेल-उत्पादक अरब देशों से भारत के संबंध सुदृढ़ होंगे। 

(c) अफगानिस्तान और मध्य एशिया में पहुँच के लिये भारत को पाकिस्तान पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। 

(d) पाकिस्तान, इराक और भारत के बीच गैस पाइपलाइन का संस्थापन सुकर बनाएगा और उसकी सुरक्षा करेगा। 

उत्तर: (c)