भारतीय फ्लैपशेल कछुए | 06 Nov 2021

हाल ही में ओडिशा के वन अधिकारियों ने कथित तस्करी रैकेट में 40 ‘भारतीय फ्लैपशेल कछुए’ ज़ब्त किये हैं।

प्रमुख बिंदु

  • भारतीय फ्लैपशेल कछुए
    • भारतीय फ्लैपशेल कछुआ मीठे पानी की कछुए की प्रजाति है और कई राज्यों में पाई जाती है।
      • ‘फ्लैप-शेल’ नाम की उत्पत्ति प्लास्ट्रॉन पर स्थित ऊरु फ्लैप की उपस्थिति से हुई है। जब कछुए खोल में पीछे हटते हैं, तो त्वचा के ये फ्लैप अंगों को ढक देते हैं।
      • यह एक अपेक्षाकृत छोटा नरम-खोल वाला कछुआ है, जिसकी लंबाई 350 मिलीमीटर तक होती है।
    • वैज्ञानिक नाम: लिस्सेमिस पंक्टाटा (Lissemys Punctata)
  • वितरण
    • ये पाकिस्तान, भारत, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश (सिंधु और गंगा जल निकासी), और म्याँमार (इरावदी और साल्विन नदियों) में पाए जाते हैं।
    • ये नदियों, नालों, दलदल, तालाबों, झीलों एवं सिंचाई नहरों तथा तालाबों के उथले, शांत व स्थिर जल में रहते हैं।
    • इस प्रकार के कछुए रेत या मिट्टी के नीचे के जल को पसंद करते हैं।
  • संरक्षण स्थिति
    • IUCN रेड लिस्ट: सुभेद्य
    • CITES: परिशिष्ट II
    • वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: अनुसूची I
  • खतरे
    • कछुओं को उनके कथित कामोत्तेजक गुणों, पशुओं के चारे, उनकी खाल से चमड़ा बनाने, उनके खून से औषधि बनाने और मछली पकड़ने के चारा के रूप में उपयोग करने और तस्करी हेतु मार दिया जाता है।
    • इसके अलावा कछुओं का उपयोग मांस और दवाओं के लिये भी किया जाता है।
  • संरक्षण के लिये उठाए गए कदम:
    • ‘कुर्मा’ एप:
      • यह भारत के मीठे पानी के कछुओं संत समेत अन्य सभी प्रकार के कछुओं की 29 प्रजातियों को कवर करने वाला एक अंतर्निहित डिजिटल फील्ड गाइड है।
      • इसे ‘टर्टल सर्वाइवल एलायंस-इंडिया’ और ‘वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसाइटी-इंडिया’ के सहयोग से ‘इंडियन टर्टल कंजर्वेशन एक्शन नेटवर्क’ (ITCAN) द्वारा विकसित किया गया था।
    • प्रतिवर्ष 23 मई को विश्व कछुआ दिवस का आयोजन किया जाता है।