भारत की आयनी एयरबेस से वापसी | 30 Oct 2025

स्रोत: ET

  • भारत ने ताजिकिस्तान के आयनी एयरबेस पर अपना संचालन आधिकारिक रूप से बंद कर दिया है, जो मध्य एशिया में एक रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण ठिकाना था।
    • सोवियत काल के इस बेस को पुनर्सक्रिय करने के लिये आरंभ किया गया भारत-ताजिकिस्तान का सहयोग लगभग चार वर्ष चला, जो वर्ष 2022 में भारतीय सैन्य कर्मियों की तैनाती से संबंधित द्विपक्षीय समझौते की अवधि समाप्त होने पर औपचारिक रूप से समाप्त हो गया।
    • अफगानिस्तान में भारत समर्थित उत्तरी गठबंधन के पतन और 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अयनी एयरबेस का रणनीतिक महत्त्व लगभग समाप्त हो गया, जिससे इसका संचालन जारी रखना अप्रासंगिक हो गया।

आयनी एयरबेस (Ayni Airbase)

  • स्थान एवं रणनीतिक महत्त्व: आयनी एयरबेस ताज़िकिस्तान की राजधानी दुशांबे से लगभग 10 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है।
    • भारत ने 1998 में ताजिकिस्तान के फरखोर में अपना पहला विदेशी सैन्य ठिकाना स्थापित किया था, जिसमें हेलीकॉप्टर, मरम्मत सुविधा और एक सैन्य अस्पताल शामिल था, जहाँ अफगान नॉर्दर्न एलायंस के घायल सैनिकों का इलाज किया जाता था।
    • लगभग 2008 में फरखोर बेस को बंद करने के बाद भारत ने अयनी एयरबेस विकसित किया, जो भारत का दूसरा विदेशी सैन्य ठिकाना बना (पहला फरखोर: 1998–2008)
    • अफगानिस्तान के वाखान कॉरिडोर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर होने के कारण, यह भारत के लिये पाकिस्तान पर रणनीतिक बढ़त और मध्य एशिया तक सामरिक पहुँच का एक अहम केंद्र था।
  • परिचालन उद्देश्य: अयनी एयरबेस का निर्माण तालिबान के विरुद्ध उत्तरी गठबंधन को रसद, हवाई सहायता और खुफिया समर्थन प्रदान करने के उद्देश्य से किया गया था, जिसे भारत के फरखोर सैन्य अस्पताल की चिकित्सा सहायता से भी मज़बूती मिली।
    • हालाँकि, इस एयरबेस का कभी भी प्रत्यक्ष युद्ध अभियानों में उपयोग नहीं हुआ और यहाँ स्थायी रूप से कोई लड़ाकू विमान तैनात नहीं था। भारत ने यहाँ Mi-17 हेलीकॉप्टर तैनात किये थे, जो ताजिक सेना को भी परिचालन सहयोग प्रदान करते थे।
  • निकासी अभियान (2021): जब तालिबान ने वर्ष 2021 में अफगानिस्तान पर पुनः नियंत्रण स्थापित किया, तब भारत ने इसी आयनी एयरबेस का उपयोग अपने नागरिकों और अधिकारियों को सुरक्षित रूप से अफगानिस्तान से निकालने के लिये किया।
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