भारत का चीनी निर्यात | 20 Mar 2023

पाँच वर्ष पहले तक भारत एक मामूली चीनी निर्यातक था, किंतु अब विश्व में चीनी निर्यात के संदर्भ में दूसरे पायदान पर पहुँच गया है, पहले स्थान पर ब्राज़ील है। वर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच निर्यात 810.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 4.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।

भारत में चीनी उद्योग की स्थिति: 

  • परिचय: 
    • चीनी उद्योग एक महत्त्वपूर्ण कृषि-आधारित उद्योग है जो लगभग 50 मिलियन गन्ना किसानों की ग्रामीण आजीविका का आधार है और लगभग 5 लाख श्रमिक प्रत्यक्ष तौर पर चीनी मिलों में कार्यरत हैं।
    • अक्तूबर 2021 से सितंबर 2022 में भारत विश्व में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता तथा विश्व में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है।
  • वितरण:  
    • चीनी उद्योग मोटे तौर पर उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्रों में वितरित है- उत्तर में उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा और पंजाब तथा दक्षिण में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश।
      • दक्षिण भारत में जलवायु उष्णकटिबंधीय है जो उत्तर भारत की तुलना में प्रति इकाई क्षेत्र में अधिक उपज देने वाली उच्च सुक्रोज सामग्री के लिये उपयुक्त है।
  • चीनी के विकास के लिये भौगोलिक स्थितियाँ: 
    • तापमान: ऊष्ण और आर्द्र जलवायु के साथ 21-27 डिग्री सेल्सियस के बीच।
    • वर्षा: लगभग 75-100 से.मी.।
    • मृदा का प्रकार: समृद्ध दोमट मिट्टी। 

चीनी निर्यात की स्थिति: 

  • पृष्ठभूमि: 
    • वर्ष 2017-18 तक भारत ने शायद ही कोई कच्ची चीनी (गन्ने के रस के पहले क्रिस्टलीकरण के बाद उत्पादित) का निर्यात किया।
    • इसने मुख्य रूप से 100-150 ICUMSA मूल्य (चीनी विश्लेषण के समान तरीकों के लिये अंतर्राष्ट्रीय आयोग) के साथ सफेद चीनी (कच्ची चीनी के शोधन द्वारा उत्पादित) का निर्यात किया। इसे अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में कम गुणवत्ता वाले व्हाइट(White) या LQW के रूप में जाना जाता था। 
      • ICUMSA शुद्धता का एक मानक है। मूल्य जितना कम होगा, सफेदी उतनी ही अधिक होगी।
  • वर्तमान स्थिति: 
    • वर्ष 2021-22 में भारत के कुल 110 लाख टन चीनी निर्यात में से अकेले कच्ची चीनी का हिस्सा 56.29 लाख टन था।
      • भारतीय कच्ची चीनी के सबसे बड़े आयातक इंडोनेशिया (16.73 लाख टन), बांग्लादेश (12.10 लाख टन), सऊदी अरब (6.83 लाख टन), इराक (4.78 लाख टन) और मलेशिया (4.15 लाख टन) थे।

Sugar-Export

  • बढ़ते निर्यात का कारण:
    • बैक्टीरियल यौगिक से मुक्त: भारतीय कच्ची चीनी डेक्सट्रान से मुक्त होती है तथा बैक्टीरियल यौगिक तब बनता है जब कटाई के बाद बहुत देर तक गन्ना धूप में रहता है।
      • भारतीय गन्ने की कटाई के 12-24 घंटों के भीतर पेराई की जाती है, जबकि ब्राज़ील में लगभग 48 घंटे लगते हैं।
    • उच्च सुक्रोज सामग्री: ब्राज़ील, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य उत्पादकों की तुलना में भारतीय कच्ची चीनी में उच्च पोलराईज़ेशन (Polarization) (98.5-99.5%) होता है, जिससे इसे परिष्कृत करना आसान और सस्ता हो जाता है।
      • पोलराईज़ेशन कच्ची चीनी में मौजूद सुक्रोज का प्रतिशत है।
  • सीमित निर्यात:
    • वर्ष 2021-22 में कम स्टॉक और उत्पादन में कमी के कारण सरकार ने घरेलू उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये चालू चीनी वर्ष में भारत के निर्यात को 61 लाख टन तक सीमित कर दिया है।
      • सरकार ने घरेलू उपलब्धता की गारंटी देने और खाद्य मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने के लिये ये कदम उठाए लेकिन विदेशी बाज़ार एक बार खो जाने के बाद फिर से हासिल करना आसान नहीं है। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रश्न. भारत में गन्ने की खेती में वर्तमान प्रवत्तियों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2020)

  1. जब ‘बड चिप सैटलिंग्स (Bud Chip Settlings)’ को नर्सरी में उगाकर मुख्य कृषि भूमि में प्रतिरोपित किया जाता है, तब बीज सामग्री में बड़ी बचत होती है।  
  2. जब सैट्स का सीधे रोपण किया जाता है, तब एक-कलिका (Single-Budded) सैट्स का अंकुरण प्रतिशत कई-कलिका (Many Budded) सैट्स की तुलना में बेहतर होता है।  
  3. खराब मौसम की दशा में यदि सैट्स का सीधे रोपण होता है, तब एक-कलिका सैट्स का जीवित बचना बड़े सैट्स की तुलना में बेहतर होता है।  
  4. गन्ने की खेती ऊतक संवर्द्धन से तैयार की गई सैटलिंग से की जा सकती है। 

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? 

(a) केवल 1 और 2 
(b) केवल 3 
(c) केवल 1 और 4 
(d) केवल 2, 3 और 4 

उत्तर: C 

व्याख्या: 

  • टिश्यू कल्चर एक ऐसी तकनीक है जिसमें पौधों को टुकड़ों को काटा और तैयार किया जाता है तथा एक प्रयोगशाला में उगाया जाता है।
    • यह मौजूदा व्यावसायिक किस्मों के रोग मुक्त गन्ने का तेज़ी से उत्पादन और आपूर्ति का एक नया तरीका प्रदान करता है। 
    • यह मातृ पौधे को क्लोन करने के लिये मेरिस्टेम का उपयोग करता है। 
    • यह आनुवंशिक पहचान को भी संरक्षित करता है। 
    • टिश्यू कल्चर तकनीक, अत्यधिक खर्चीली और भौतिक सीमाओं के कारण गैर-आर्थिक हो रही है। 
  • बड चिप प्रौद्योगिकी:
    • टिशू कल्चर के व्यवहार्य विकल्प के रूप में यह द्रव्यमान को कम करती है और बीजों के त्वरित गुणन को सक्षम बनाती है। 
    • यह विधि दो से तीन कली सैट्स लगाने की पारंपरिक विधि की तुलना में अधिक किफायती और सुविधाजनक साबित हुई है। 
    • रोपण के लिये उपयोग की जाने वाली बीज सामग्री पर पर्याप्त बचत के साथ प्रतिलाभ अपेक्षाकृत बेहतर है। अतः कथन 1 सही है। 
  • शोधकर्त्ताओं ने पाया है कि कलियों वाले सैट्स बेहतर उपज के साथ लगभग 65 से 70% अंकुरित हो सकते हैं। अतः कथन 2 सही नहीं है। 
  • खराब मौसम के प्रति बड़े सैट्स अधिक सहिष्णु होते हैं लेकिन रासायनिक उपचार से संरक्षित होने पर एकल कली सैट्स भी 70% ही अंकुरित हो सकते हैं। अतः कथन 3 सही नहीं है। 
  • टिश्यू कल्चर का उपयोग गन्ने को अंकुरित करने और उगाने के लिये किया जा सकता है जिसे बाद में खेत में प्रत्यारोपित किया जा सकता है। अतः कथन 4 सही है।
  • अतः विकल्प (c) सही उत्तर है।

मेन्स: 

प्रश्न. क्या आप इस बात से सहमत हैं कि भारत के दक्षिणी राज्यों में नई चीनी मिलें खोलने की प्रवृत्ति बढ़ रही है? न्यायसंगत विवेचन कीजिये।(2013) 

 स्रोत:इंडियन एक्सप्रेस