वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी केंद्र के रूप में भारत | 06 Jun 2025
स्रोत: पी.आई.बी
भारत ने नई दिल्ली में आयोजित इंटरनेशनल सेंटर फॉर जेनेटिक इंजीनियरिंग एंड बायोटेक्नोलॉजी (ICGEB) बैठक में वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र में अपनी बढ़ती प्रतिष्ठा का प्रदर्शन किया।
- भारत ने DST-ICGEB बायो-फाउंड्री का उद्घाटन किया, जो सार्वजनिक वित्तपोषित अपनी तरह की पहली सुविधा है। यह मंच जैव-आधारित नवाचारों को बढ़ाने, स्टार्टअप्स और शोधकर्त्ताओं को सहयोग देने के लिये बनाया गया है।
- ICGEB, जिसकी स्थापना वर्ष 1983 में हुई थी, एक प्रमुख अंतर-सरकारी संगठन है, जिसमें 69 सदस्य देश हैं और इसके केंद्र नई दिल्ली, ट्रिएस्ट और केप टाउन में स्थित हैं।
- BioE3 नीति (आर्थिक, पर्यावरणीय और रोज़गार के लिये जैव प्रौद्योगिकी) के तहत भारत का उद्देश्य एक मज़बूत बायो-मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम बनाना है।
- भारत की जैव अर्थव्यवस्था 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2014) से बढ़कर 165.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर (2024) हो गई है तथा वर्ष 2030 तक 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का लक्ष्य रखा गया है।
- भारत वैश्विक स्तर पर जैव प्रौद्योगिकी में 12वें, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में तीसरे स्थान पर है और यह विश्व का सबसे बड़ा वैक्सीन निर्माता है। वर्ष 2024 में भारत में 10,000 से अधिक बायोटेक स्टार्टअप्स हैं, जो वर्ष 2014 में केवल 50 थे।
- प्रमुख उपलब्धियाँ:
- ZyCoV-D- मिशन कोविड सुरक्षा के तहत विकसित विश्व की पहली DNA आधारित कोविड वैक्सीन।
- नैफिथ्रोमाइसिन, देश का पहला स्वदेशी मैक्रोलाइड एंटीबायोटिक।
- गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर की रोकथाम में सहायता के लिये क्वाड्रिवेलेंट ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (qHPV) वैक्सीन CERVAVAC विकसित की गई है।
- न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन (PCV) न्यूमोसिल को विशेष रूप से बच्चों में निमोनिया, मेनिन्जाइटिस और सेप्सिस जैसे न्यूमोकोकल रोगों से बचाने के लिये विकसित किया गया है।
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