आयकर विधेयक, 2025 | 16 Aug 2025
संसद के दोनों सदनों ने आयकर विधेयक, 2025 पारित कर दिया, जिसका उद्देश्य मौज़ूदा आयकर 1961 अधिनियम को सरल, युक्तिसंगत और संक्षिप्त बनाना है।
- विधेयक में वर्चुअल डिजिटल स्पेस को ईमेल, सोशल मीडिया, ऑनलाइन अकाउंट, क्लाउड सर्वर, वेबसाइट और डिजिटल प्लेटफॉर्म सहित किसी भी डिजिटल वातावरण के रूप में परिभाषित किया गया है।
- यदि इसे बनाए रखा गया, तो कर प्राधिकरण संभावित कर चोरी या कम आय दिखाने की जांच के लिए पासवर्ड तक पहुँच सकते हैं या उन्हें दरकिनार कर सकते हैं और कंपनियों को संभवतः इसमें सहायता करने की आवश्यकता हो सकती है।
- यह 'मूल्यांकन वर्ष' और 'पिछले वर्ष' की दोहरी अवधारणाओं को एक समान 'कर वर्ष (tax year)' से प्रतिस्थापित करता है, जिसे 1 अप्रैल से 31 मार्च तक परिभाषित किया गया है।
- विधेयक समय पर दाखिल रिटर्न तक सीमित धनवापसी (रिफंड) की बाध्यता को समाप्त करता है, जिससे विलंब से दाखिल रिटर्न पर भी दावा किया जा सकेगा।
- विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तपोषित शिक्षा प्रयोजनों के लिये उदारीकृत धनप्रेषण योजना (LRS) के तहत भेजे जाने वाले धन पर स्रोत पर कर संग्रहण (TCS) नहीं लगेगा।
- जिन व्यक्तियों पर कोई कर देयता नहीं है, वे अग्रिम रूप से स्रोत पर शून्य कर कटौती प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।
- सीमित देयता भागीदारी (LLP) के लिये वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) की प्रयोज्यता को आईटी अधिनियम के मौजूदा प्रावधानों के अनुरूप बनाया गया है।
- AMT यह सुनिश्चित करता है कि कर कटौती और छूट का लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्ति कम से कम न्यूनतम कर राशि का भुगतान करें।
आयकर
- यह एक प्रत्यक्ष कर है, जो किसी वित्तीय वर्ष के दौरान व्यक्तियों, कंपनियों या अन्य संस्थाओं द्वारा अर्जित आय पर लगाया जाता है। भारत में व्यक्तिगत करदाताओं के लिये यह प्रगतिशील कर स्लैब के अनुसार लगाया जाता है।
- ये स्लैब नए कर शासन के तहत या लागू छूट और कटौतियों के अनुसार भिन्न हो सकते हैं।
- केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) के अनुसार, वर्ष 2025-26 में भारत का सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह ₹7.99 लाख करोड़ रहा, जो वित्त वर्ष 2024-25 के ₹8.14 लाख करोड़ की तुलना में 1.9% कम है।
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