समुद्री प्रदूषण का समुद्री पक्षियों पर प्रभाव | 10 May 2025

स्रोत: डाउन टू अर्थ

एक शोध में पता चला है कि समुद्री पक्षियों द्वारा प्लास्टिक निगलने से न केवल उन्हें शारीरिक क्षति होती है, बल्कि यह उनके हार्मोनल तंत्र भी बाधित होता है, जिससे दीर्घकालिक जैविक जोखिम उत्पन्न होते हैं।

  • अल्बाट्रॉस, पेट्रेल और शीयरवाटर (प्रोसेलेरिफॉर्मिस समूह के सदस्य) जैसे समुद्री पक्षी अपने भोजन खोजने के व्यवहार और अद्वितीय पाचन तंत्र के कारण प्लास्टिक के अंतर्ग्रहण की उच्च क्षमता रखते हैं।
  • निगले गए प्लास्टिक से शारीरिक क्षति हो सकती है (जैसे, रुकावट, छिद्र, कुपोषण) और विषाक्त रसायन का उत्सर्जन हो सकता हैं, जो हार्मोनों को प्रभावित करते हैं।
  • समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण: समुद्री कचरे का 80% प्लास्टिक प्रदूषण है, जिसमें हर साल 8–10 मिलियन मीट्रिक टन प्लास्टिक समुद्र में पहुँचता है। वर्ष 2050 तक, समुद्र में मछलियों की तुलना में प्लास्टिक का वजन अधिक हो सकता है।
  • वर्तमान में 50-75 ट्रिलियन प्लास्टिक के भाग हमारे महासागरों को प्रदूषित करते हैं, विशाल अपशिष्ट के रूप में एकत्रित होते हैं या सूक्ष्म प्लास्टिक कणों में टूट जाते हैं।
    • समुद्री प्रदूषण जैव विविधता को नुकसान पहुँचाता है, समुद्री जल में ऑक्सीजन के स्तर को कम, गहरे समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित, समुद्री खाद्य शृंखला को दूषित करता है तथा मानव स्वास्थ्य एवं तटीय आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।
  • समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण: प्लास्टिक प्रदूषण और समुद्री अपशिष्ट पर वैश्विक साझेदारी (GPML), वर्ष 2012 में स्थापित, वैश्विक स्तर पर प्लास्टिक प्रदूषण का सामना करने के लिये एक बहु-हितधारक मंच है।
  • UNEP स्रोत-से-समुद्र प्रदूषण इकाई इसके सचिवालय के रूप में कार्य तथा ज्ञान-साझाकरण और संयुक्त कार्रवाई का समर्थन करती है।
    • वर्ष 1972 के लंदन कन्वेंशन और जहाज़ों से प्रदूषण की रोकथाम के लिये अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (MARPOL) का उद्देश्य जहाज़ों और अपशिष्ट डंपिंग के उत्सर्जन से होने वाले समुद्री प्रदूषण को रोकना है।

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