पवित्र नगर का दर्जा और उनका धार्मिक महत्त्व | 29 Dec 2025

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों?

पंजाब ने अमृतसर, आनंदपुर साहिब और तलवंडी साबो को उनके धार्मिक महत्त्व के कारण आधिकारिक रूप से पवित्र नगर घोषित किया है, क्योंकि इनमें से प्रत्येक में सिख धर्म के पाँच तख्तों में से एक स्थित है।

  • इस घोषणा का उद्देश्य इन शहरों को प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में विकसित करना है। इसके तहत उनकी पवित्रता बनाए रखने के लिये नगर सीमाओं के भीतर शराब, तंबाकू, सिगरेट और माँस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है।

सारांश

  • पंजाब ने अमृतसर, आनंदपुर साहिब और तलवंडी साबो को उनके धार्मिक महत्त्व के कारण पवित्र नगर घोषित किया है, क्योंकि इनमें से प्रत्येक में सिख धर्म के पाँच तख्तों में से एक स्थित है।
  • सिख धर्म, जिसकी स्थापना गुरु नानक देव जी ने की, एकेश्वरवाद, समानता और नैतिकता पर बल देता है। इसके आचरण और प्रशासन में गुरुद्वारे, तख्त, शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) तथा खालसा पंथ जैसी संस्थाएँ केंद्रीय भूमिका निभाती हैं।

सिख धर्म क्या है?

  • मूल सिद्धांत और उत्पत्ति: सिख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में पंजाब में गुरु नानक देव जी ने की थी। यह एक एकेश्वरवादी धर्म है, जो दस गुरुओं के माध्यम से विकसित हुआ और जिस पर भक्ति तथा सूफी परंपराओं का प्रभाव रहा।
    • यह एकेश्वरवाद, नैतिक जीवन (सेवा) और समानता पर विशेष बल देता है।
    • सिख वर्ष 1699 में गुरु गोबिंद सिंह द्वारा स्थापित खालसा का हिस्सा हैं, जो आचार संहिता का पालन करते हैं और पाँच 'K' (केश, कंघा, कड़ा, कचेरा, कृपाण) पहनते हैं।
  • पवित्र ग्रंथ एवं प्रमुख संस्थाएँ: प्राथमिक धर्मग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब (गुरुमुखी लिपि में लिखित) है, जिसे शाश्वत गुरु माना जाता है। यह दशम ग्रंथ एक पूरक ग्रंथ है।
    • गुरुद्वारा सिखों का पूजा-अर्चना और सामुदायिक सेवा का स्थल है, जो सभी के लिये खुला है।
    • शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) प्रमुख गुरुद्वारों का प्रबंधन करने वाली सर्वोच्च निर्वाचित संस्था है।
    • खालसा पंथ सिख समुदाय का सामूहिक संगठन है।
  • पाँच तख्त (अधिकार के केंद्र): ये पाँच तख्त सिखों के धार्मिक और लौकिक मामलों का मार्गदर्शन करते हैं।
    • अकाल तख्त (अमृतसर, पंजाब): गुरु हरगोबिंद सिंह द्वारा 1606 में स्थापित सर्वोच्च स्थान, जो लौकिक (मीरी) और आध्यात्मिक (पीरी) सत्ता के मिलन का प्रतीक है।
    • तख्त श्री केशगढ़ साहिब (आनंदपुर साहिब, पंजाब): वह स्थान जहाँ गुरु गोबिंद सिंह ने खालसा की स्थापना की थी।
    • तख्त श्री पटना साहिब (पटना, बिहार): गुरु गोविंद सिंह का जन्मस्थान।
    • तख्त सचखंड हजूर साहिब (नांदेड़, महाराष्ट्र): जहाँ गुरु गोबिंद सिंह का अंतिम संस्कार किया गया था।
    • तख्त श्री दमदमा साहिब (तलवंडी साबो, पंजाब): जहाँ गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को अंतिम रूप दिया।
  • ऐतिहासिक सुधार आंदोलन:
    • गुरुद्वारा सुधार (अकाली) आंदोलन (1920) का उद्देश्य सिख धार्मिक स्थलों को भ्रष्ट महंतों के नियंत्रण से मुक्त कराना था।
    • इसके परिणामस्वरूप शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की स्थापना (1920) हुई तथा सिख गुरुद्वारा अधिनियम, 1925 अस्तित्व में आया, जिसने सिखों को अपने गुरुद्वारों पर कानूनी नियंत्रण प्रदान किया।

सिख गुरु और उनके प्रमुख योगदान

गुरु

अवधि

प्रमुख योगदान

गुरु नानक देव

1469-1539

सिख धर्म के संस्थापक; गुरु का लंगर शुरू किया (सामुदायिक रसोई); बाबर के समकालीन; 550 वीं जयंती करतारपुर गलियारे के साथ मनाई गई।

गुरु अंगद

1504-1552

गुरु-मुखी लिपि का आविष्कार; गुरु का लंगर (सामुदायिक रसोई) की प्रथा को लोकप्रिय बनाया।

गुरु अमर दास

1479-1574

आनंद कारज विवाह की शुरुआत की, सती प्रथा और पर्दा प्रथा को समाप्त किया, अकबर के समकालीन थे।

गुरु राम दास

1534-1581

वर्ष 1577 में अमृतसर की स्थापना की; स्वर्ण मंदिर का निर्माण शुरू किया।

गुरु अर्जुन देव

1563-1606

वर्ष 1604 में आदि ग्रंथ की रचना की; स्वर्ण मंदिर का निर्माण पूरा किया गया; जहाँगीर द्वारा इसका निर्माण कराया गया।

गुरु हरगोबिंद

1594-1644

सिखों को एक सैन्य समुदाय में परिवर्तित किया; अकाल तख्त (सिख धर्म की धार्मिक सत्ता का मुख्य केंद्र) की स्थापना की; जहाँगीर और शाहजहाँ के विरुद्ध संघर्ष किया।

गुरु हर राय

1630-1661

औरंगजेब के साथ शांति को बढ़ावा दिया; धर्मप्रचार के कार्यों पर ध्यान केंद्रित किया।

गुरु हरकिशन

1656-1664

सबसे युवा गुरु; इस्लाम विरोधी ईशनिंदा के संबंध में औरंगजेब द्वारा इन्हें अपने समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया गया।

गुरु तेग बहादुर

1621-1675

आनंदपुर साहिब की स्थापना की ।

गुरु गोबिंद सिंह

1666-1708

वर्ष 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की; इन्होंने एक नया संस्कार "पाहुल" (Pahul) शुरू किया, ये मानव रूप में अंतिम सिख गुरु थे और इन्होंने ‘गुरु ग्रंथ साहिब’ को सिखों के गुरु के रूप में नामित किया

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. सिख धर्म में पाँच तख्तों का क्या महत्व है?
पाँचों तख्त सांसारिक और आध्यात्मिक सत्ता के पीठ हैं। अमृतसर स्थित अकाल तख्त सर्वोच्च तख्त है, जो मीरी–पीरी (सांसारिक और आध्यात्मिक एकता) का प्रतीक है, जबकि अन्य तख्त गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन की प्रमुख घटनाओं से जुड़े हैं।

2. सिख धर्म की स्थापना किसने और कब की?
सिख धर्म की स्थापना 15वीं शताब्दी में पंजाब में गुरु नानक देव जी ने की थी। उन्होंने एकेश्वरवाद, समानता और नैतिक जीवन पर बल दिया।

3. सिख धर्म के पाँच ककार (Five Ks) क्या हैं?
केश, कंघा, कड़ा, कच्छेरा और कृपाण—ये खालसा सिखों द्वारा आस्था, अनुशासन और पहचान के प्रतीक के रूप में धारण किये जाते हैं।

UPSC  सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQs)   

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित भक्ति संतों पर विचार कीजिये: (2013)

  1. दादू दयाल  
  2. गुरु नानक 
  3.  त्यागराज

इनमें से कौन उस समय उपदेश देता था/देते थे जब लोदी वंश का पतन हुआ तथा बाबर सत्तारुढ़ हुआ?

(a) केवल 1 और 3

(b) केवल 2

(c) केवल 2 और 3

(d) केवल 1 और 2

उत्तर: (b)