हैली गुब्बी ज्वालामुखी | 26 Nov 2025

स्रोत: FE

इथियोपिया का हैली गुब्बी ज्वालामुखी, जो लगभग 12,000 वर्ष से सुषुप्त अवस्था में था, अचानक सक्रिय हो गया, इसके प्रस्फुटन से राख तथा सल्फर डाइऑक्साइड का विशाल गुबार लाल सागर तथा दक्षिण एशिया की ओर प्रवाहित हुआ है। राख का यह घना गुबार भारत तक पहुँच गया है, जिसने यहाँ विमानन गतिविधियों को दुष्प्रभावित किया है।

  • ज्वालामुखी प्रस्फुटन पृथ्वी के आंतरिक भागों - गैसों, शैलखंडों तथा द्रवित लावे के पृथ्वी की सतह या वायुमंडल में एक उद्गार के माध्यम से बाहर आने की प्रक्रिया है।
    • पृथ्वी की ठोस पर्पटी के नीचे स्थित मेंटल में एक अपेक्षाकृत दुर्बल क्षेत्र अवस्थित है जिसे दुर्बलतामंडल कहा जाता है। यहाँ उपस्थित द्रवित शैल पदार्थ को मैग्मा कहते हैं, जो बाह्य उद्गार का मार्ग खोजता है।
    • मैग्मा में घुलित गैसें जब प्रसारित होती हैं तो वे अत्यधिक दाब उत्पन्न करती हैं। यह दाब मैग्मा को ऊपर की ओर धकेलता है और उसे ज्वालामुखी में विद्यमान दरारों तथा फिशरों से होकर बाह्य उद्गार हेतु बाध्य करता है, परिणामस्वरूप ज्वालामुखी प्रस्फुटन होता है।
  • ज्वालामुखी प्रस्फुटन के उत्पाद: ज्वालामुखी प्रस्फुटन के दौरान प्रायः निम्नलिखित पदार्थ मुक्त होते हैं— ज्वालामुखीय राख, पायरोक्लास्टिक अवशेष — अत्यंत सूक्ष्म काँच या शैल कण नाइट्रोजन तथा सल्फर यौगिक, जो वायुमंडल में पहुँचकर वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं।

हैली गुब्बी ज्वालामुखी

  • प्रकार एवं अवस्थिति: अफार (इथियोपिया) में स्थित एक शील्ड ज्वालामुखी है और एर्टा एले पर्वतमाला का हिस्सा है।
    • यह पूर्वी अफ्रीकी भ्रंश के निकट स्थित है, जहाँ अफ्रीकी तथा अरबियन विवर्तनिक प्लेटें मंद रूप से एक-दूसरे से दूर जा रही हैं।
    • शील्ड ज्वालामुखी अत्यधिक तरल लावा के निरंतर एवं विस्तृत प्रवाह से निर्मित होते हैं, जिसके कारण इनका आकार अत्यंत  चौड़ा और ढलान बहुत कम होती है।
    • इनमें प्रस्फुटन सामान्यतः कम उग्र होते हैं क्योंकि पतला लावा दूर तक फैलकर ढाल के समान संरचना बना देता है—इसी कारण इन्हें ‘शील्ड ज्वालामुखी’ कहा जाता है।
    • ये मुख्यतः बेसाल्टिक लावा से निर्मित होते हैं, यद्यपि इनमें सिलिका-समृद्ध शैलें भी पाई जाती हैं।
  • प्रस्फुटन का कारण: पूर्वी अफ्रीकी भ्रंश पर विवर्तनिक प्लेटों के अपसरण के कारण मेंटल की उष्म शैलें ऊपर उठती हैं तथा आंशिक विगलित मैग्मा का निर्माण करती हैं। लंबे समय तक मैग्मा-क्षेत्र के भीतर दाब के संचयन से ज्वालामुखी प्रस्फुटन होता है।

और पढ़ें: अफ्रीका का अफार ट्रायंगल: नए महासागर की उत्पत्ति का संभावित स्थान