रेत कणों का आकार और इसकी द्रवीकरण क्षमता | 09 Aug 2022

हाल ही में वैज्ञानिकों ने पाया है कि रेत के कणों की आकृति रेत के द्रवीकरण को प्रभावित करती है

  • रेत का द्रवीकरण एक ऐसी घटना है जिसमें भूकंप के झटकों के समय भारी पदार्थों के तेज़ी से किसी स्थान पर एकत्र होने के कारण वहाँ की मिट्टी की ताकत और कठोरता में कमी आ जाती है तथा ऐसी स्थिति में द्रवीभूत हो चुकी ज़मीन पर खड़ी संरचनाएँ ध्वस्त होकर ढहने लगती हैं।

प्रमुख बिंदु

  • रेत के कण के आकार और इसकी द्रवीकरण क्षमता के बीच मज़बूत संबंध है;
    • भूकंप के दौरान संरचनाओं के ढहने के पीछे रेत की द्रवीकरण क्षमता प्रमुख कारकों में से एक है
  • किये गए अध्ययन में शोधकर्त्ताओं ने पाया कि उच्च गोलाई और वृत्ताकार के साथ नियमित आकार वाले काँच के मनके पहले चक्रीय अपरूपण परीक्षणों में द्रवीभूत होते हैं, जबकि नदी की रेत, जिसके कण गोलाई और वृत्ताकारिता (जो कितने एक समान वृत्त आकार में होते है) में काँच के मनकों एवं कृत्रिम रूप से निर्मित रेत के बीच के होते हैं, इसके बाद द्रवीभूत होती है तथा उसके बाद वह निर्मित रेत आती है जिसका आकार अपेक्षाकृत अनियमित होता है।
  • चूँकि नियमित आकार वाली प्राकृतिक रेत आसानी से द्रवीभूत हो जाती है, संरचनाओं के स्थायित्व और स्थिरता के लिये ढलानों एवं दीवारों के निर्माण में प्राकृतिक रेत के स्थान पर अनियमित आकार वाली रेत का उपयोग किया जा सकता है।

स्थायित्व और स्थिरता के लिये अनियमित आकार वाली रेत कणों का प्रयोग क्यों?

  • अधिक अपरूपण बल आवश्यक:
    • ऐसा इसलिये है क्योंकि अंतर-कण आबंधन को तोड़ने के लिये आवश्यक अपरूपण बल (संरचना के एक हिस्से को किसी एक विशिष्ट दिशा में और उसी संरचना के दूसरे हिस्से को विपरीत दिशा में धकेलने वाला बल) अपेक्षाकृत अनियमित आकार वाले कणों के लिये अधिक होता है।
  • अंतर-कण लॉकिंग:
    • जैसे-जैसे कणों का आकार अनियमित होने लगता है, उनका समग्र रूप एक गोले के बजाय तीखे कोने वाला होने लगता है और वे अपरूपण के दौरान एक-दूसरे के साथ संलग्न होकर जुड़ने लगते हैं।
    • ऐसे में इंटरलॉकिंग अपरूपण के लिये अतिरिक्त प्रतिरोध प्रदान करती है, इसीलिये अनियमित आकार वाले कणों के द्रव में तैरने के दौरान एक-दूसरे से अलग होने की प्रवृत्ति घट जाती है।
  • द्रव प्रवाह में विचलन:
    • इसके अलावा प्रवाह की धीमी गति या द्रव प्रवाह में विचलन भी कणों के अनियमित आकार के साथ बढ़ता जाता है।
    • ग्रेटर टॉर्ट्यूसिटी निकासी नेटवर्क के माध्यम से जल प्रवाह को कम कर देता है और जल के माध्यम से रेत के कणों को अलग करने की आशंका को कम कर देता है, इस प्रकार यह भवनों एवं अन्य संरचनाओं को ढहने/ गिरने से रोकता है।

भूकंप:

  • साधारण शब्दों में भूकंप का अर्थ पृथ्वी की कंपन से है। यह एक प्राकृतिक घटना है, जिसमें पृथ्वी के अंदर से ऊर्जा के निकलने के कारण तरंगें उत्पन्न होती हैं जो सभी दिशाओं में फैलकर पृथ्वी को कंपित करती हैं।
  • भूकंप से उत्पन्न तरगों को भूकंपीय तरगें कहा जाता है, जो पृथ्वी की सतह पर गति करती हैं तथा इन्हें ‘सिस्मोग्राफ’ (Seismographs) द्वारा मापा जाता है।
  • पृथ्वी की सतह के नीचे का स्थान जहाँ भूकंप का केंद्र स्थित होता है, हाइपोसेंटर  (Hypocenter) कहलाता है और पृथ्वी की सतह के ऊपर स्थित वह स्थान जहाँ भूकंपीय तरगें सबसे पहले पहुँचती है अधिकेंद्र (Epicenter) कहलाता है।
  • भूकंप के प्रकार: फाल्ट ज़ोन, विवर्तनिक भूकंप, ज्वालामुखी भूकंप, मानव प्रेरित भूकंप।

यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):

प्रारंभिक  परीक्षा:

्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा/से नदी तल में बहुत अधिक बालू खनन का/के संभावित परिणाम हो सकता है/सकते हैं? (2018)

  1. नदी की लवणता में कमी
  2. भौमजल का प्रदूषण
  3. भौम जलस्तर का नीचे चले जाना

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (b)

  • रेत खनन नदी तल से या तटीय क्षेत्र से रेत निकालने की प्रक्रिया है।
  • अत्यधिक रेत खनन से जल का पीएच (pH) मान कम होता है, इसमें विभिन्न धातु के ऑक्साइडों का मिश्रण होता है तथा नदी जल में ऑक्सीजन की कमी और वस्तुतः जैविक ऑक्सीजन मांग (BOD) में वृद्धि होती जिसके चलते नदी का जल प्रदूषित होता है। प्रदूषित नदी का जल भूजल के दूषित होने का कारण बनता है। अत: कथन 2 सही है।
  • धातु के ऑक्साइडों में वृद्धि तथा नदी जल में उनके मिलने से जल की लवणता बढ़ जाती है। अतः 1 सही नहीं है।
  • नदी में जल प्रवाह का आयतन कम हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप जल स्तर कम हो जाता है। अत: कथन 3 सही है।

अतः विकल्प (b) सही है।

स्रोत: पी.आई.बी.