गोवा मुक्ति दिवस | 20 Dec 2025
केंद्रीय गृह मंत्री ने गोवा मुक्ति दिवस (19 दिसंबर) के अवसर पर शुभकामनाएँ दीं और गोवा मुक्ति आंदोलन से जुड़े प्रभाकर वैद्य, बाला राया मापारी, नानाजी देशमुख जी तथा जगन्नाथ राव जोशी जी जैसे प्रमुख व्यक्तित्वों को श्रद्धांजलि अर्पित की।
गोवा मुक्ति आंदोलन
- पुर्तगाली शासन (1510–1961): वर्ष 1510 में अफोंसो डी अल्बुकर्क द्वारा बीजापुर के यूसुफ आदिल शाह को पराजित किये जाने के बाद गोवा पुर्तगालियों का उपनिवेश बना, जिससे वहाँ 451 वर्षों तक औपनिवेशिक शासन रहा।
- प्रारंभिक राष्ट्रवाद: गोवा में उपनिवेश-विरोधी भावना भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ-साथ विकसित हुई। इसके प्रमुख पड़ावों में 1928 में कलकत्ता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन के दौरान ट्रिस्टा-डी-ब्रगांका कुन्हा द्वारा गोवा नेशनल कांग्रेस की स्थापना शामिल है।
- रणनीतिक द्वंद्व: गोवा मुक्ति आंदोलन सत्याग्रह (अहिंसक प्रतिरोध) और आज़ाद गोमंतक दल (AGD) जैसे समूहों द्वारा सशस्त्र संघर्ष के समर्थन के बीच बँटा हुआ था, जिससे एकजुट कार्रवाई में देरी हुई।
- वर्ष 1946 में समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया ने नागरिक अधिकारों, आज़ादी और भारत के साथ एकीकरण का समर्थन करते हुए गोवा में एक ऐतिहासिक रैली का नेतृत्व किया।
- भारत के साथ गोवा का एकीकरण: स्वतंत्रता के बाद भारत ने प्रारंभ में शांतिपूर्ण छवि बनाए रखने की इच्छा और पुर्तगाल की NATO सदस्यता के कारण बलपूर्वक कार्रवाई करने में संकोच किया।
- हालाँकि, जब सभी कूटनीतिक प्रयास विफल हो गए, भारत ने ऑपरेशन विजय (1961) शुरू की और 19 दिसंबर, 1961 को गोवा, दमन व दीव को अपने में मिला कर पुर्तगाली शासन समाप्त कर दिया।
- वर्ष 1974 में भारत और पुर्तगाल ने एक संधि पर हस्ताक्षर किये, जिसमें गोवा, दमन व दीव, दादरा एवं नगर हवेली पर भारत की संप्रभुता को मान्यता दी गई तथा कूटनीतिक संबंधों को पुनः स्थापित किया गया।
- गोवा राज्य का दर्जा: विलय के बाद गोवा, दमन और दीव को केंद्रशासित प्रदेश बनाया गया। 30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ और यह भारत का 25वाँ राज्य बना।
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