भारतीय वनों पर GFW 2024 रिपोर्ट | 16 Jun 2025

स्रोत: बी.एस.

ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच (GFW), अमेरिका स्थित शोध संगठन विश्व संसाधन संस्थान (WRI) द्वारा विकसित एक ओपन-सोर्स वन निगरानी मंच, ने हाल ही में वर्ष 2001 से 2024 तक भारत में वनों की कटाई और वन क्षरण की प्रवृत्तियों से संबंधित आंकड़े जारी किये हैं।

भारत के वनों पर WRI रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

वन और वृक्ष आवरण में परिवर्तन की सीमा (2001–2024):

  • वर्ष 2001 से 2024 के बीच भारत ने 23.1 लाख हेक्टेयर वृक्ष आवरण खो दिया, जो वर्ष 2000 के बाद 7.1% की गिरावट है, जिससे 1.29 गीगाटन CO₂ उत्सर्जन हुआ।
    • केवल वर्ष 2024 में ही भारत ने 1.5 लाख हेक्टेयर प्राकृतिक वन खो दिए, जिससे लगभग 68 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन हुआ।
    • प्राथमिक वनों की हानि वर्ष 2023 में 17,700 हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2024 में 18,200 हेक्टेयर हो गई।
  • वर्ष 2002 से 2024 के बीच 348,000 हेक्टेयर (5.4%) आर्द्र प्राथमिक वनों (परिपक्व उष्णकटिबंधीय वन जिन्हें हाल ही में साफ नहीं किया गया है) का क्षरण हुआ, जो कुल वृक्ष आवरण हानि का 15% है।
  • वर्ष 2001 से 2024 के बीच आग लगने के कारण 36,200 हेक्टेयर वृक्ष आवरण नष्ट हुआ, जिसकी अधिकतम हानि वर्ष 2008 में 2,770 हेक्टेयर रही।
  • हानियों के बावजूद, भारत ने वर्ष 2000 से 2020 के बीच 1.78 मिलियन हेक्टेयर वृक्षावरण में वृद्धि की, जो वैश्विक शुद्ध वृद्धि में 1.4% का योगदान है (शीर्ष 3 लाभार्थी: रूस, कनाडा, अमेरिका)

वनों की कटाई के प्रमुख कारक:

  • पूर्वोत्तर राज्यों में स्थानांतरित कृषि, लकड़ी की कटाई और बुनियादी ढाँचे के कारण वनों की हानि सर्वाधिक है। मध्य भारत खनन से प्रभावित है, जबकि पश्चिमी घाटों पर सड़क निर्माण, पर्यटन और वृक्षारोपण का दबाव है।
    • वैश्विक स्तर पर भारत वनों की कटाई के मामले में (2015–2020) दूसरे स्थान पर रहा, जहाँ प्रतिवर्ष 6.68 लाख हेक्टेयर वन क्षेत्र नष्ट हुआ (FAO)।

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