ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता (GEI) लक्ष्य नियम | 15 Oct 2025

स्रोत: IE

चर्चा में क्यों?

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने औद्योगिक उत्सर्जन को कम करने के लिये पहली बार कानूनी रूप से बाध्यकारी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन तीव्रता (GEI) लक्ष्य नियम, 2025 को अधिसूचित किया है।

GEI लक्ष्य नियम, 2025 क्या हैं?

  • परिचय: GEI नियम उत्पाद के प्रति इकाई उत्पादन (जैसे प्रति टन सीमेंट या एल्युमिनियम) उत्सर्जित होने वाले ग्रीनहाउस गैसों (GHGs) की मात्रा पर कानूनी सीमा निर्धारित करते हैं।
    • इसका उद्देश्य भारत की कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना (CCTS), 2023 को क्रियान्वित करना है तथा पेरिस समझौते 2015 के तहत देश की जलवायु प्रतिबद्धताओं को मज़बूत करना है।
  • प्रमुख विशेषताएँ:
    • नियमों में एल्युमीनियम, सीमेंट, क्लोर-क्षार तथा लुगदी और कागज उद्योगों के लिये
    •  विशिष्ट GHG उत्सर्जन सीमा (प्रति टन उत्पाद में CO2 समतुल्य टन में) निर्धारित की गई है।
    • वित्तीय वर्ष 2025-26 और 2026-27 के लिये कुल 282 औद्योगिक इकाइयों को इन लक्ष्यों का अनुपालन करना होगा।
    • उत्सर्जन तीव्रता को tCO 2e (टन कार्बन डाइऑक्साइड समतुल्य) के रूप में मापा जाता है, जो एक मानक इकाई है जो केवल CO2 ही नहीं, बल्कि सभी ग्रीनहाउस गैसों की वैश्विक वार्मिंग क्षमता को ध्यान में रखती है।
  • अनुपालन तंत्र: यह प्रणाली व्यापार योग्य ऋण प्रणाली के माध्यम से उत्सर्जन को कम करने के लिये बाज़ार-संचालित प्रोत्साहन बनाने हेतु डिज़ाइन की गई है।
    • कार्बन क्रेडिट: जो उद्योग अपने उत्सर्जन को निर्धारित लक्ष्य से कम कर देंगे, उन्हें ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा जारी कार्बन क्रेडिट प्रमाण पत्र मिलेगा।
    • गैर-अनुपालन के लिये दंड: जो उद्योग अपने लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहते हैं, उनके पास दो विकल्प हैं:
  • महत्त्व: 
    • कार्बन बाज़ार का संचालन: कार्बन क्रेडिट का व्यापार घरेलू कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS) पर किया जा सकता है, जिससे कार्बन कटौती के लिये एक वित्तीय बाज़ार का निर्माण होगा।
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करना: यह पेरिस समझौते के तहत भारत की उस प्रतिज्ञा का प्रत्यक्ष समर्थन करता है जिसके तहत उसने वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45% तक कम करने का संकल्प लिया है।
    • PAT योजना से विकास: यह पहल केवल ऊर्जा दक्षता को प्रोत्साहित करने तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे आगे बढ़कर कार्बन क्रेडिट के व्यापार के लिये एक औपचारिक घरेलू बाज़ार ढाँचा स्थापित करती है, जिससे यह पूर्व की प्रदर्शन, उपलब्धि और व्यापार (PAT) योजना का उन्नत रूप बन जाती है।

कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना, 2023

  • परिचय: कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम (CCTS) एक बाज़ार-आधारित तंत्र है, जो ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन का मूल्य निर्धारण करने और कार्बन क्रेडिट के व्यापार को सक्षम बनाकर भारत के डिकार्बोनाइज़ेशन (कार्बन-मुक्ति) प्रयासों को सशक्त बनाता है।
  • ढाँचा: CCTS दो प्रमुख तंत्रों के माध्यम से कार्बन मूल्य निर्धारण को लागू करता है—
    • अनुपालन तंत्र: इसमें ऊर्जा-गहन उद्योगों को क्षेत्र-विशिष्ट GHG लक्ष्यों को पूरा करना अनिवार्य है। जो उद्योग अपने लक्ष्यों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं, उन्हें कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्र (CCC) प्राप्त होते हैं, जबकि लक्ष्य पूरा न करने वाले उद्योगों को ये क्रेडिट खरीदने पड़ते हैं।
    • ऑफसेट तंत्र (Offset Mechanism): यह स्वैच्छिक संस्थाओं को उत्सर्जन में कमी करके कार्बन क्रेडिट अर्जित करने की अनुमति प्रदान करता है।
  • पर्यवेक्षण: इस योजना की निगरानी कई सरकारी संस्थाओं द्वारा की जाती है, जिनमें ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (BEE) और भारतीय कार्बन बाज़ार के लिये राष्ट्रीय संचालन समिति (NSCICM) शामिल हैं।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये (2023)

कथन- I: ऐसी संभावना है कि कार्बन बाज़ार, जलवायु परिवर्तन से निपटने का एक सबसे व्यापक साधन बन जाए।

कथन- II: कार्बन बाज़ार संसाधनों को प्राइवेट सेक्टर से राज्य को हस्तांतरित कर देते हैं।

उपर्युक्त कथनों के बारे में, निम्नलिखित में से कौन-सा एक सही है?

(a) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है।
(b) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है।
(c) कथन-I सही है किंतु कथन-II गलत है।
(d) कथन-I गलत है किंतु कथन-II सही है।

उत्तर: (b) 


प्रश्न. कार्बन क्रेडिट की अवधारणा निम्नलिखित में से किससे उत्पन्न हुई है? (2009)

(a) पृथ्वी शिखर सम्मेलन, रियो डी जनेरियो
(b) क्योटो प्रोटोकॉल
(c) मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
(d) जी-8 शिखर सम्मेलन, हेलीजेंडम

उत्तर: (b)