विदेशियों को प्राप्त मौलिक अधिकार | 16 Mar 2022

केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय से आग्रह किया है कि वह वीज़ा शर्तों के उल्लंघन के बाद विदेशियों को राहत देने के लिये स्थानीय न्यायालयों से संपर्क करने के अधिकार के विषय पर देश के लिये "दीर्घकालिक" निहितार्थ के साथ एक कानून बनाने में मदद करे।

  • सरकार ने विदेशियों द्वारा स्थानीय न्यायालय की ओर रुख करने के अधिकार (जबकि अनुच्छेद 19 उन पर लागू नहीं होता है) के दायरे से जुड़े प्रश्नों की पड़ताल करने के लिये कहा है।  
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19 एक विदेशी पर लागू नहीं होता, जबकि अनुच्छेद 21 लागू होता है, ऐसी सूरत में स्थानीय अदालतों का रुख करने के उनके (विदेशियों) अधिकारों का दायरा क्या होगा।''
  • अनुच्छेद 21 (जो यह कहता है कि "कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी व्यक्ति को उसके जीवन या व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाएगा") नागरिकों एवं गैर-नागरिकों पर समान रूप से लागू होता है, जबकि अनुच्छेद 19  (जो वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और साथ ही शांतिपूर्ण तरीके से सम्मेलन करने का अधिकार प्रदान करता है) केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है अर्थात् विदेशियों पर यह लागू नहीं होता है। 

विदेशी नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार

मौलिक अधिकार जो केवल नागरिकों को उपलब्ध हैं, न कि विदेशियों के लिये

नागरिकों और विदेशियों दोनों के लिये उपलब्ध मौलिक अधिकार (शत्रु देश को छोड़कर)

अनुच्छेद 15: केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध।

अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समता और विधियों का समान संरक्षण

अनुच्छेद 16: लोक नियोजन के विषय में अवसर की समानता।

अनुच्छेद 20: अपराधों के लिये दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण।

अनुच्छेद 19: (i) विचार एवं अभिव्यक्ति, (ii) शांतिपूर्ण सम्मेलन, (iii) संघ बनाने, (iv) निर्बाध विचरण, (v) निवास और पेशे की स्वतंत्रता के संबंध में छह अधिकारों का संरक्षण।

अनुच्छेद 21: प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का संरक्षण।

अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों की भाषा, लिपि और संस्कृति का संरक्षण।

अनुच्छेद 21A: प्रारंभिक शिक्षा का अधिकार।

अनुच्छेद 30: अल्पसंख्यकों का शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना एवं उसके संचालन का अधिकार।

अनुच्छेद 22: कुछ मामलों में हिरासत एवं नज़रबंदी से संरक्षण।

अनुच्छेद 23: बलात् श्रम एवं अवैध मानव व्यापार के विरुद्ध प्रतिषेध।

अनुच्छेद 24: कारखानों आदि में बच्चों के नियोजन का प्रतिषेध।

अनुच्छेद 25: धर्म की अभिवृद्धि के लिये प्रयास करने की स्वतंत्रता।

अनुच्छेद 26: धार्मिक संस्थाओं के संचालन की स्वतंत्रता।

अनुच्छेद 27: किसी धर्मं को प्रोत्साहित करने हेतु कर से छूट।

अनुच्छेद 28:कुछ शिक्षण संस्थानों में धार्मिक शिक्षा या पूजा में भाग लेने के बारे में स्वतंत्रता।

विगत वर्षों के प्रश्न:

प्र. निम्नलिखित मूल अधिकारों के किस संवर्ग में अस्पृश्यता के रूप में किये गए विभेदन के विरुद्ध संरक्षण समाविष्ट है? (2020)

(a) शोषण के विरुद्ध अधिकार
(b) स्वतंत्रता का अधिकार
(c) संवैधानिक उपचारों का अधिकार
(d) समता का अधिकार

उत्तर: (d)


प्र. निजता के अधिकार को जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के अंतर्गत भाग के रूप में संरक्षित किया जाता है। भारत के संविधान में निम्नलिखित में से किससे उपर्युक्त कथन सही एवं समुचित ढंग से अर्थित होता है?

  1. अनुच्छेद 14 एवं संविधान के 42वें संशोधन के अधीन उपबंध
  2. अनुच्छेद 17 एवं भाग IV में दिये गए राज्य की नीति के निदेशक तत्त्व
  3. अनुच्छेद 21 एवं भाग III में गारंटी की गई स्वतंत्रताएँ
  4. अनुच्छेद 24 एवं संविधान के 44वें संशोधन के अधीन उपबंध

उत्तर: (c)


प्र. भारत के संविधान में शोषण के विरुद्ध अधिकार द्वारा निम्नलिखित में से कौन-से परिकल्पित हैं? (2017)

1- मानव देह व्यापार और बंधुआ मज़दूरी (बेगारी) का निषेध
2- अस्पृश्यता का उन्मूलन
3- अल्पसंख्यकों के हितों की सुरक्षा
4- कारखानों और खदानों में बच्चों के नियोजन का निषेध

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1, 2 और 4
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (c)


प्र. भारत में संपत्ति के अधिकार की क्या स्थिति है?

(a) केवल नागरिकों के लिये उपलब्ध विधिक अधिकार
(b) किसी भी व्यक्ति के लिये उपलब्ध विधिक अधिकार
(c) केवल नागरिकों के लिये उपलब्ध मौलिक अधिकार
(d) न तो मौलिक अधिकार और न ही कानूनी अधिकार

उत्तर: (b)