फौकॉल्ट पेंडुलम | 01 Jun 2023

भारत के नए संसद भवन, जिसका हाल ही में उद्घाटन किया गया, की छत में एक फौकॉल्ट पेंडुलम (Foucault Pendulum) स्थापित किया गया है जो कि वैज्ञानिक कलात्मकता का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

  • नई संसद भवन में फौकॉल्ट पेंडुलम भी वैज्ञानिक जाँच और वैज्ञानिक स्वभाव की भावना का प्रतिनिधित्व करता है जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 51A में निहित है।

फौकॉल्ट पेंडुलम: 

  • फौकॉल्ट पेंडुलम का नाम 19वीं शताब्दी के फ्राँसीसी भौतिक विज्ञानी लियोन फौकॉल्ट के नाम पर रखा गया है, इसका उपयोग पृथ्वी के घूर्णन को प्रदर्शित करने के लिये किया जाता है।
    • पेंडुलम में एक भारी बॉब होता है जो छत में एक निश्चित बिंदु से लंबे, मज़बूत तार के अंत में निलंबित होता है। जैसे ही पेंडुलम घूमेगा, तो पेंडुलम और घूमती हुई पृथ्वी के बीच सापेक्ष गति के कारण पेंडुलम समय के साथ धीरे-धीरे अपना अभिविन्यास बदलता हुआ प्रतीत होता है।
  • फौकॉल्ट ने पहली बार सार्वजनिक रूप से वर्ष 1851 में पेरिस के पैंथियॉन में यह प्रयोग किया था, जहाँ उन्होंने 67 मीटर तार से 28 किलोग्राम लोहे की गेंद को लटका दिया था। यह पृथ्वी के घूर्णन का पहला प्रत्यक्ष दृश्य प्रमाण था।
    • प्रयोग से यह निष्कर्ष निकला कि "पेंडुलम अपने गति के अक्ष को नहीं बदलता है, लेकिन इसके विपरीत पृथ्वी अपनी गति बदलती है।"
    • जब उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों पर पृथ्वी की धुरी के साथ संरेखित किया जाता है, तो पेंडुलम की की गति ठीक 24 घंटों में अपने मूल तल पर वापस आ जाती है।
    • अन्य अक्षांशों पर पेंडुलम को झूलते हुए अपनी मूल दिशा में लौटने में अधिक समय लगता है। ऐसा इसलिये है क्योंकि पेंडुलम पृथ्वी के घूर्णन के अक्ष के अनुरूप नहीं है।
  • पेंडुलम के आभासी घूर्णन की दर और दिशा उसके अक्षांश पर निर्भर करती है।
    • उत्तरी ध्रुव पर यह 24 घंटे में दक्षिणावर्त का एक चक्कर पूरा करेगा।
    • भूमध्य रेखा पर यह बिल्कुल नहीं घूमेगा।
    • अन्य अक्षांशों पर यह मध्यवर्ती दरों और दिशाओं में घूमेगा।

नए संसद भवन के पेंडुलम की विशेषता: 

  • नए संसद भवन में स्थापित पेंडुलम कोलकाता में राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद (NCSM) द्वारा बनाया गया था। 
    • ऐसा कहा जाता है कि यह भारत में इस तरह की सबसे विशाल कृति है, जिसकी ऊँचाई 22 मीटर और वज़न 36 किलोग्राम है।
  • यह पेंडुलम संविधान सभागार के शीर्ष पर एक रोशनदान से लटका हुआ है और "ब्रह्मांड के विचारों के साथ भारत के विचारों का एकीकरण" का प्रतीक है।
  • नया संसद भवन नई दिल्ली के 28.6° उत्तर अक्षांश पर है तथा पेंडुलम को घड़ी की दिशा में एक चक्कर पूरा करने में लगभग 49 घंटे 59 मिनट लगते हैं।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस