फिनफ्लुएंसर | 19 Nov 2022

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) वित्तीय रूप से प्रभावशाली लोगों के लिये दिशानिर्देशों पर काम कर रहा है, जिन्हें 'फिनफ्लुएंसर' के नाम से जाना जाता है।

  • फिनफ्लुएंसर सार्वजनिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वाले लोग हैं जो स्टॉक में पैसे और निवेश के बारे में सलाह एवं व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हैं।
    • उनके वीडियो में बजट बनाना, निवेश करना, संपत्ति खरीदना, क्रिप्टोकरेंसी सलाह और वित्तीय रुझान पर नज़र रखना शामिल है।

विनियमों की आवश्यकता:

  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अवांछित 'स्टॉक' सलाह देने वाले 'अपंजीकृत' निवेश सलाहकारों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है।
  • इसके अलावा कुछ कंपनियों ने फिनफ्लुएंसर के माध्यम से अपने शेयर की कीमतों को बढ़ावा देने के लिये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया।
  • जब धोखाधड़ी की बात आती है तो सूचीबद्ध कंपनियों और गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के बीच कोई अंतर नहीं होता है और इसीलिये अब डिजिटल डेटा चोरी एवं तकनीकी जोखिम में वृद्धि देखी जा रही है।
    • धन या संपत्ति के विपथन (Diversion) के परिणामस्वरूप वित्तीय संकट, अराजकता, शेयरधारकों के धन की हानि, एक नैतिक समस्या और प्रतिष्ठा संबंधी नुकसान होता है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI):

  • परिचय:
    • SEBI भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के तहत 12 अप्रैल, 1992 को स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
    • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का मूल कार्य प्रतिभूतियों में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और प्रतिभूति बाज़ार को बढ़ावा देना और विनियमित करना है।
    • इसका मुख्यालय मुंबई, भारत में है।
  • सरंचना:
    • सेबी बोर्ड में निम्नलिखित सदस्य होंगे, अर्थात्: –
      • सभापति
      • वित्त से संबंधित केंद्र सरकार के मंत्रालय के अधिकारियों में से दो सदस्य
      • भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारियों में से एक सदस्य
      • पाँच अन्य सदस्य जिनमें से कम से कम तीन केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किये जाने वाले पूर्णकालिक सदस्य होंगे।
      • सेबी उस समय के महत्वपूर्ण मुद्दों को देखने के लिये जब भी आवश्यक होता है, विभिन्न समितियों की नियुक्ति भी करता है।
    • इसके अलावा सेबी के निर्णय से असंतुष्ट महसूस करने वाली संस्थाओं के हितों की रक्षा के लिये एक प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (SAT) का गठन किया गया है।
      • SAT में एक पीठासीन अधिकारी और दो अन्य सदस्य होते हैं।
      • इसमें वही शक्तियाँ निहित हैं जो एक सिविल न्यायालय में होती हैं। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति SAT के निर्णय या आदेश से असंतुष्ट महसूस करता है तो सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस