फील्ड पैंसी का विकास | 28 Dec 2023

स्रोत: डाउन टू अर्थ 

हाल ही में वैज्ञानिकों ने पेरिस, फ्राँस में पाए जाने वाले एक पुष्पी पौधे में तेज़ी से विकास के साक्ष्य का खुलासा किया है। फील्ड पैंसी (वियोला अर्वेन्सिस) के रूप में पहचाने जाने वाला यह पौधा स्व-परागण में सक्षम है जो बाह्य परागणक पर पारंपरिक निर्भरता के विपरीत है।

फील्ड पैंसी से संबंधित मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • फील्ड पैंसी (वियोला अर्वेन्सिस), एक सामान्य वन्य पुष्प है जो यूरोप, एशिया तथा उत्तरी अमेरिका के कई हिस्सों में पाया जा सकता है।
  • यह आवृतबीजियों (Angiosperms) नामक पौधों के समूह से संबंधित है, जो फल नामक एक सुरक्षात्मक संरचना के भीतर बीज पैदा करते हैं।
    • आवृतबीजी पादप अपने परागण तथा प्रजनन में सहायता के लिये कीटों एवं अन्य जीवों पर निर्भर रहते हैं।

परागण:

  • परागण वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा पराग कण, जिनमें पौधों की नर प्रजनन कोशिकाएँ होती हैं, एक पुष्प से दूसरे पुष्प में स्थानांतरित होते हैं। यह प्रक्रिया  अमूमन कीटों  द्वारा मकरंद/पराग की खोज में की जाती है।
    • मकरंद/पराग (Nectar) एक शर्करायुक्त तरल है जिसे पौधे परागणकों को आकर्षित करने के लिये तैयार करते हैं।
  • परागण कई पौधों की प्रजातियों की आनुवंशिक विविधता तथा अस्तित्व के लिये आवश्यक है और साथ ही यह पौधों व जीव-जंतुओं के बीच 100 मिलियन वर्षों के सह-विकास से विकसित हुआ है।
  • परागण परागणकों (वेक्टर/कारक जो पराग को पुष्प के भीतर तथा एक पुष्प से दूसरे पुष्प तक ले जाते हैं) के माध्यम से किया जाता है।
  • हालाँकि, कुछ पौधे किसी बाह्य कारकों/परागणकों की सहायता के बिना भी स्वयं परागण कर सकते हैं। इसे स्व-परागण कहा जाता है और यह पौधों के लिये अपने प्रजनन को सुनिश्चित करने का एक तरीका है यदि आसपास कोई उपयुक्त परागणक नहीं हैं।
    • स्व-परागण से पौधों के लिये ऊर्जा और संसाधनों की भी बचत हो सकती है, क्योंकि परागणकों को आकर्षित करने के लिये उन्हें अधिक मात्रा में रस/पराग एवं पुष्प उत्पन्न करने की आवश्यकता नहीं होती है।

अध्ययन के मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • तीव्र विकास:
    • यह अध्ययन पौधों में तेज़ी से विकास के पहले साक्ष्य को चिह्नित करता है, जिसमें फील्ड पैंसी के साथ अपेक्षाकृत कम अवधि में पराग उत्पादन और पुष्पों के आकार में महत्त्वपूर्ण बदलाव दिखाई देते हैं।
      • अध्ययन में पाया गया कि जंगली पैंसी किस्म के पुष्प 20% कम पराग उत्पादन करते हैं और 10% छोटे होते हैं।
  • स्व-परागण:
    • कीटों की घटती उपलब्धता के कारण, मैदानी पैंसी स्व-परागण के लिये विकसित हुई है, जिससे परागणकों पर इसकी निर्भरता कम हो गई है।
      • यह व्यवहार एंजियोस्पर्म (angiosperms) में परागण के लिये कीटों पर परंपरागत निर्भरता के विपरीत है, जो पौधों की स्थापित प्रजनन रणनीतियों से एक महत्त्वपूर्ण विचलन को दर्शाता है।
  • अभिसरण विकास:
    • अध्ययन से संख्या में अभिसरण विकास का पता चलता है, जिसमें परागणकों के लिये लाभकारी गुणों और आकर्षण में कमी आई है।
      • यह अभिसरण विभिन्न पौधों की संख्या में पर्यावरणीय दबावों के प्रति लगातार विकासवादी अनुक्रिया का संकेत देता है।
  • पुनरुत्थान पारिस्थितिकी विधि:
    • शोधकर्ताओं ने "पुनरुत्थान पारिस्थितिकी" विधि का उपयोग किया, समय के साथ परिवर्तनों का निरीक्षण करने के लिये 2021 से अपने समकालीन वंशजों के प्रतिकूल 1990 और 2000 के दशक से बीज लगाए।
      • इस पद्धति ने उन्हें विभिन्न अवधियों में पौधों के लक्षणों और व्यवहार में परिवर्तनों को ट्रैक करने व तुलना करने की अनुमति दी।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: 
    • सेल्फिंग की दिशा में कदम उठाने से अल्पावधि में पौधों को लाभ हो सकता है, लेकिन विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण उनके दीर्घकालिक अस्तित्व के लिये खतरा उत्पन्न हो सकता है।
      • स्व-परागण पौधे की आनुवंशिक विविधता और अनुकूलन क्षमता को कम कर देता है, जिससे यह बीमारियों एवं पर्यावरणीय तनावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
  • परागणकर्ता का पतन: 
    • यह अध्ययन संभावित प्रतिक्रिया चक्र की चेतावनी देता है जो पौधे-परागणक नेटवर्क को प्रभावित करने वाले पौधों के लक्षण विकास के परिणामस्वरूप परागणकों में और अधिक कमी ला सकता है।
  • अत्यावश्यक विश्लेषण: 
    • अध्ययन यह विश्लेषण करने की आवश्यकता पर ज़ोर देता है कि क्या ये परिणाम एंज़ियोस्पर्म और उनके परागणकों के बीच संबंधों में व्यापक व्यवहारिक परिवर्तनों के लक्षण हैं।
      • शोधकर्त्ताओं का लक्ष्य पौधे-परागण संजाल की सुरक्षा के लिये प्रक्रिया को उलटने और पर्यावरण-विकासवादी-सकारात्मक प्रतिक्रिया चक्र को तोड़ने की संभावना को पूरी तरह से समझना है।