एंजेल टैक्स पर छूट | 24 May 2023

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने निवेशकों की कुछ श्रेणियों को एंजेल टैक्स की वसूली से छूट देने के प्रस्ताव की घोषणा की है।

इस कदम का उद्देश्य स्टार्टअप में निवेश को प्रोत्साहित करना और कराधान के बोझ को कम करना है। इसके अतिरिक्त CBDT द्वारा निवासी निवेशकों के लिये पाँच नए मूल्यांकन के तरीके प्रस्तुत किये गए हैं, जो डिस्काउंटेड कैश फ्लो (DCF) और नेट एसेट वैल्यू (NAV) के तरीकों से ऊपर विकल्पों का विस्तार करते हैं।

एंजेल टैक्स: 

  • 'एंजेल टैक्स' के रूप में जाना जाने वाला प्रावधान प्रारंभ में वर्ष 2012 में आपस में संबद्ध कंपनियों को निवेश के माध्यम से अत्यधिक धन अर्जन और इसके उपयोग को हतोत्साहित करने के लिये प्रस्तुत किया गया था।
  • यह वह कर है जो गैर-सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा ऑफ-मार्केट लेन-देन में शेयर जारी करने के माध्यम से एकत्र की गई धनराशि पर भुगतान किया जाना चाहिये, यदि वह कंपनी के उचित बाज़ार मूल्य से अधिक है।
    • उचित बाज़ार मूल्य (Fair Market Value- FMV) परिसंपत्ति का वह मूल्य  है जब क्रेता और विक्रेता को इसके संबंध में जानकारी होती है तथा वह बिना दबाव के व्यापार करने के लिये तैयार हो जाते हैं।

CBDT द्वारा एंजल कर के संबंध में किये गए परिवर्तन:

  • विदेशी निवेशकों को शामिल करने के लिये विस्तार: 
    • वित्त अधिनियम, 2023 के तहत विदेशी निवेशकों को एंजल कर प्रावधान के दायरे में शामिल करने के लिये आयकर अधिनियम के एक प्रासंगिक खंड में संशोधन किया गया था।
    • वर्तमान में यदि एक स्टार्ट-अप कंपनी किसी निवासी से इक्विटी निवेश प्राप्त करती है जो शेयरों के अंकित मूल्य से अधिक है, तो इसे स्टार्ट-अप की आय के रूप में माना जाता है एवं इस पर एक वित्तीय वर्ष में  'अन्य स्रोतों से आय' की श्रेणी के अंतर्गत आयकर लगाया जाता है।
      • हालिया संशोधन में विदेशी निवेशकों को भी शामिल करने के लिये इस नियम का विस्तार किया गया है, अर्थात् विदेशी निवेशकों से धन जुटाने वाले स्टार्ट-अप भी अब कराधान के अधीन होंगे।
      • हालाँकि उद्योग संवर्द्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्ट-अप्स को इस प्रावधान से बाहर रखा गया है
  • सरकार और मान्यता प्राप्त निवेशकों को छूट: 
    • CBDT ने निवेशकों की कई श्रेणियों को रेखांकित किया है जिन्हें एंजेल टैक्स से छूट मिलेगी। इसमें शामिल हैं:
    • सरकार और सरकार से संबंधित निवेशक जैसे कि केंद्रीय बैंक, संप्रभु धन कोष और अंतर्राष्ट्रीय या बहुपक्षीय संगठन या जहाँ सरकार का स्वामित्व 75% या अधिक है।
    • बीमा कारोबार में शामिल बैंक या संस्थाएँ।
    • सेबी के साथ श्रेणी-I में  विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI), बंदोबस्ती निधि और पेंशन निधि के रूप में पंजीकृत संस्थाएँ।
    • ब्रॉड-बेस्ड पूल्ड इन्वेस्टमेंट व्हीकल्स या फंड्स जहाँ निवेशकों की संख्या 50 से अधिक है और ऐसा फंड हेज फंड नहीं है, उन्हें भी छूट दी गई है।
    • हेज फंड निवेशकों से धन एकत्र करते हैं और सकारात्मक रिटर्न प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ प्रतिभूतियों या अन्य प्रकार के निवेशों में निवेश करते हैं।
    • जैसा कि नाम से पता चलता है, फंड वैकल्पिक निवेश दृष्टिकोणों को नियोजित करके बाज़ार की अस्थिरता के खिलाफ निवेशक की पूंजी के जोखिम को कम करने की कोशिश करता है।
  • मूल्यांकन नियमों में प्रस्तावित परिवर्तन: 
    • यदि केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित एक अनिवासी संस्था शेयर जारी करने के लिये किसी  कंपनी को प्रतिफल प्रदान करती है, तो इक्विटी शेयरों का उचित बाज़ार मूल्य (FMV) उस प्रतिफल के अनुरूप मूल्य के आधार पर निर्धारित किया जा सकता है। 
    • हालाँकि यह प्रतिफल शेयर जारी करने के 90 दिनों के अंदर अधिसूचित इकाई से प्राप्त कुल प्रतिफल से अधिक नहीं होना चाहिये।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न. पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा उन विदेशी निवेशकों, जो स्वयं को सीधे पंजीकृत कराए बिना भारतीय स्टॉक बाज़ार का हिस्सा बनना चाहते हैं, को निम्नलिखित में से क्या जारी किया जाता है? (2019)  

(a) जमा प्रमाण पत्र 
(b) वाणिज्यिक पत्र
(c) वचन पत्र (प्रॉमिसरी नोट)  
(d) सहभागिता पत्र (पार्टिसिपेटरी नोट) 

उत्तर: (d

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस