अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र का त्वरित संकुचन | 05 Dec 2025

स्रोत: डाउन टू अर्थ

चर्चा में क्यों? 

अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र का वर्ष 2025 में असाधारण रूप से शीघ्र बंद होना इस बात का प्रमाण है कि ओज़ोन परत स्थायी सुधार की दिशा में अग्रसर है।

अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र क्या है?

  • अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र से तात्पर्य ऑस्ट्रेलियाई वसंत (सितंबर–नवंबर) के दौरान अंटार्कटिका के ऊपर समताप मंडलीय ओज़ोन परत के ऋतुजन्य क्षीणन (seasonal thinning) से है।
    • वैज्ञानिक ‘ओज़ोन छिद्र’ शब्द का प्रयोग उन क्षेत्रों के लिये करते हैं, जहाँ ओज़ोन का स्तर 220 डॉबसन यूनिट्स (DU) से कम हो जाता है। इसका अर्थ यह नहीं कि ओज़ोन पूरी तरह अनुपस्थित है, बल्कि यह है कि उसकी सांद्रता सामान्य स्तर की तुलना में अत्यधिक घट जाती है।
    • इस घटना का पहली बार पता 1980 के दशक की शुरुआत में चला, जब भू-आधारित और उपग्रह मापों में दक्षिणी ध्रुव के ऊपर ओज़ोन स्तर में असाधारण गिरावट दर्ज की गई थी।
  • अंटार्कटिक पर ओज़ोन छिद्र के कारण: 
    • ध्रुवीय भंवर (Polar Vortex): अंटार्कटिका में शीत ऋतु के दौरान एक मज़बूत और स्थिर ध्रुवीय भंवर बनता है, जो वायु का आवागमन रोककर समताप मंडल में अत्यंत निम्न तापमान उत्पन्न करता है।
      • यह पृथक वायुराशि गर्म वायु के साथ मिश्रण को रोक देती है, जिसके परिणामस्वरूप ओज़ोन-क्षयकारी रासायनिक अभिक्रियाओं हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ निर्मित होती हैं।
    • ध्रुवीय समतापमंडलीय बादल (Polar Stratospheric Clouds- PSCs): अत्यधिक ठंड के कारण PSCs का निर्माण संभव होता है। 
      • ये बादल ऐसी रासायनिक अभिक्रियाएँ उत्पन्न करते हैं जो क्लोरीन व ब्रोमीन को सक्रिय करते हैं, जो मुख्य रूप से CFCs (क्लोरोफ्लोरोकार्बन) से निर्मुक्त होते हैं।
      • अंटार्कटिका के ऊपर समताप मंडलीय क्लोरीन और ब्रोमीन का लगभग 80% हिस्सा मानवजनित स्रोतों से आता है।
    • वसंत ऋतु में सूर्य का प्रकाश: जब वसंत ऋतु में सूर्य का प्रकाश वापस आता है, तो ये प्रतिक्रियाशील रसायन तेज़ी से ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर देते हैं, जिसके कारण एक व्यापक क्षेत्र में ओज़ोन की मात्रा में भारी कमी आती है, जिसे ‘ओज़ोन छिद्र’ के रूप में जाना जाता है।
  • ओज़ोन छिद्र का बंद होना: ओज़ोन छिद्र का बंद होना प्रत्येक वर्ष उस बिंदु को संदर्भित करता है जब अंटार्कटिका पर ओज़ोन का स्तर पुनः 220 DU से ऊपर बढ़ जाता है, जो ऋतुजन्य क्षीणन (seasonal thinning) के अंत का संकेत देता है।
    • वसंत के बाद जैसे ही अंटार्कटिक समताप मंडल का तापमान बढ़ता है, ध्रुवीय समताप मंडलीय बादल समाप्त होने लगते हैं। इसके साथ ही ओज़ोन का पुनः निर्माण शुरू हो जाता है और पवनें ओज़ोन-समृद्ध वायु को इस क्षेत्र में ले आती हैं, जिससे ओज़ोन परत पुनः बहाल होती है तथा छिद्र धीरे-धीरे बंद हो जाता है।
    • वर्ष 2025 की शुरुआत में ओज़ोन छिद्र के बंद होने से यह संकेत मिलता है कि मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (जिसने CFCs तथा अन्य ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध रूप से समाप्त किया), क्लोरीन और ब्रोमीन का निम्न स्तर तथा अनुकूल समताप मंडलीय स्थितियाँ संयुक्त रूप ओज़ोन परत के सुधार में सहायक हैं।
  • वर्ष 2025 में ओज़ोन के शीघ्र संकुचन का महत्त्व: यह मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (जिसने CFCs और अन्य ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों को चरणबद्ध रूप से समाप्त किया) द्वारा संचालित पुनर्प्राप्ति की प्रभावशीलता को दर्शाता है तथा हानिकारक UV विकिरण के जोखिम को कम करता है।
    • इससे यह विश्वास मज़बूत होता है कि ओज़ोन परत वैश्विक स्तर पर लगभग वर्ष 2040 तक 1980 से पूर्व के स्तर पर लौट सकती है, जबकि आर्कटिक में 2045 तक और अंटार्कटिका में 2066 तक। ओज़ोन की पुनः प्राप्ति समताप मंडल को ठंडा करती है, जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध की जेट धाराएँ संभावित रूप से मज़बूत हो जाती हैं।

ओज़ोन

  • ओज़ोन (O₃) तीन ऑक्सीजन अणुओं से बनी एक प्रतिक्रियाशील गैस है; यह प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकती है
    • यह दो परतों में मौजूद है:
      • समतापमंडलीय ओज़ोन (गुड ओज़ोन): पृथ्वी से 15-30 किमी ऊपर ऑक्सीजन के साथ पराबैंगनी विकिरण की परस्पर अभिक्रिया द्वारा प्राकृतिक रूप से निर्मित होती है। हानिकारक पराबैंगनी किरणों को अवशोषित करके पृथ्वी के सनस्क्रीन के रूप में काम करती है।
      • क्षोभमंडलीय ओज़ोन (बैड ओज़ोन): वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों और नाइट्रोजन ऑक्साइड से संबंधित अभिक्रियाओं के कारण भूमि के निकट निर्मित होती है, जो धुंध में योगदान देती है।
    • ओज़ोन को डॉब्सन यूनिट्स (DU) में मापा जाता है; वैश्विक औसत लगभग 300 DU है, ध्रुवों पर इसका मान कम तथा भूमध्य रेखा के पास अधिक होता है।
  • लाभ: ओज़ोन परत पराबैंगनी विकिरण को रोककर मनुष्यों और पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करती है, जो स्किन कैंसर, मोतियाबिंद, प्रतिरक्षा में कमी तथा फसल और समुद्री क्षति का कारण बन सकती है
  • क्षरण: ओज़ोन क्षरण क्लोरीन और ब्रोमीन आधारित रसायनों जैसे CFCs, HFCs, हैलोन के कारण होता है, जिनका उपयोग आमतौर पर प्रशीतन, एयर कंडीशनिंग, एरोसोल, फोम तथा अग्निशामक यंत्रों में किया जाता है।
    • ये रसायन समताप मंडल में पहुँच जाते हैं जहाँ पराबैंगनी प्रकाश उन्हें विघटित कर देता है तथा प्रतिक्रियाशील क्लोरीन एवं ब्रोमीन निर्मुक्त करता है जो ओज़ोन अणुओं को नष्ट कर देते हैं
  • वैश्विक कार्रवाई: मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों के वैश्विक चरणबद्ध उन्मूलन को नियंत्रित करता है; यह संयुक्त राष्ट्र के इतिहास में सार्वभौमिक अनुसमर्थन (2009) वाली पहली संधि है।
    • HFCs ओज़ोन के लिये सुरक्षित हैं, लेकिन अत्यधिक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैसें हैं, और इन्हें किगाली संशोधन (2016) के तहत चरणबद्ध रूप से कम किया जा रहा है।
    • ओज़ोन परत को क्षति पहुँचाने वाले पदार्थों को चरणबद्ध रूप से समाप्त करने से जलवायु शमन में भी सहायता मिलेगी, जिससे वर्ष 2050 तक अनुमानित 0.5°C से 1°C तक की तापमान वृद्धि को रोका जा सकेगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ)

1. ‘ओज़ोन छिद्र’ से क्या तात्पर्य है?
‘ओज़ोन छिद्र’ अंटार्कटिका के ऊपर उन क्षेत्रों को दर्शाता है, जहाँ स्तंभ ओज़ोन 220 डॉबसन यूनिट्स (DU) से कम हो जाती है, जो समताप मंडलीय ओज़ोन के महत्त्वपूर्ण ऋतुजन्य मौसमी क्षीणन को दर्शाता है।

2. अंटार्कटिका का ओज़ोन छिद्र 2025 में ही क्यों बंद हो गया?
2025 में शीघ्र संकुचन, निम्न समतापमंडलीय क्लोरीन और ब्रोमीन, मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के प्रभावी कार्यान्वयन और अनुकूल समतापमंडलीय तापमान तथा परिसंचरण के संयोजन के परिणामस्वरूप हुआ।

3. मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल ओज़ोन पुनर्बहाली में किस प्रकार योगदान देता है?
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल (1987) ने ओज़ोन-क्षयकारी पदार्थों (CFCs, हैलोन, HFCs) के उत्पादन एवं उपभोग को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया है, जिससे समताप मंडल में क्लोरीन/ब्रोमीन की मात्रा कम हो गई तथा ओज़ोन परत की क्रमिक बहाली संभव हो पाई है।

सारांश

  • अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र का वर्ष 2025 में असाधारण रूप से शीघ्र बंद होना इस बात का प्रमाण है कि ओज़ोन परत स्थायी सुधार की दिशा में अग्रसर है।
  • ओज़ोन क्षरण तब होता है जब CFCs-व्युत्पन्न क्लोरीन और ब्रोमीन ध्रुवीय समताप मंडल के बादलों पर अभिक्रिया करते हैं तथा ओज़ोन को 220 DU से कम कर देते हैं
  • त्वरित संकुचन का कारण मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल की सफलता, ओज़ोन क्षयकारी पदार्थों में कमी तथा अनुकूल समताप मंडलीय परिस्थितियाँ हैं।
  • इससे यह आशा और मज़बूत होती है कि ओज़ोन परत वर्ष 2040 तक 1980 से पूर्व के स्तर पर पुनः लौट सकती है।

UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न 

प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, ओज़ोन का अवक्षय करने वाले पदार्थों के प्रयोग पर नियंत्रण और उन्हें चरणबद्ध रूप से प्रयोग से बाहर करने के मुद्दे से संबंद्ध है? (2015)

(a) ब्रेटन वुड्स सम्मेलन
(b) मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल
(c) क्योटो प्रोटोकॉल
(d) नागोया प्रोटोकॉल

उत्तर: (b) 


प्रश्न. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2012)

  1. क्लोरोफ्लोरोकार्बन, जिसे ओज़ोन-ह्रासक पदार्थों के रूप में जाना जाता है, उनका प्रयोग
  2. सुघट्य फोम के निर्माण में होता है  
  3.  ट्यूबलेस टायरों के निर्माण में होता है  
  4.  कुछ विशिष्ट इलेक्ट्रॉनिक अवयवों की सफाई में होता है  
  5.  एयरोसोल कैन में दाबकारी एजेंट के रूप में होता है  

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1, 2 और 3
(b) केवल 4
(c) केवल 1, 3 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: c


प्रश्न. निम्नलिखित पर विचार कीजिये: (2019)

  1. कार्बन मोनोऑक्साइड
  2.  मीथेन
  3.  ओज़ोन
  4.  सल्फर डाइऑक्साइड

फसल/जैव मात्रा के अवशेषों के दहन के कारण वायुमंडल में उपर्युक्त में से कौन-से निर्मुक्त होते हैं?

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2, 3 और 4
(c) केवल 1 और 4
(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: (d)