डूरंड रेखा | 01 Dec 2025

स्रोत: TH

पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर संघर्ष फिर से शुरू हो गया है, तालिबान ने पाकिस्तान पर डूरंड रेखा के निकट हवाई हमले करने का आरोप लगाया है।

  • ऐतिहासिक उत्पत्ति: डूरंड रेखा ब्रिटिश भारत और अफगानिस्तान के बीच तत्कालीन विदेश सचिव सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड और अफगानिस्तान के अमीर अब्दुर रहमान खान द्वारा खींची गई थी।
    • यह सीमा पश्चिम में ईरान से शुरू होकर पूर्व में चीन तक लगभग 2,600 किलोमीटर लंबी है। यह मार्ग काराकोरम पर्वतमाला और कई रेगिस्तानों से होकर गुज़रता है।
  • एंग्लो-अफगान युद्ध: 1800 के दशक में, अफगानिस्तान का स्थान रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण हो गया था। ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि रूस और ब्रिटिश साम्राज्य दोनों मध्य एशिया में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिये प्रतिस्पर्द्धा कर रहे थे।
    • अंग्रेज़ों ने 1839 में अफगानिस्तान पर आक्रमण किया, लेकिन प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के दौरान उन्हें पीछे धकेल दिया गया। 
      • ब्रिटिश सेना ने वर्ष 1878 में अफगानिस्तान पर दोबारा हमला किया। उन्होंने द्वितीय एंग्लो-अफगान युद्ध जीता और गंडमक की संधि (1879) पर हस्ताक्षर करवाए, जिसके तहत उन्हें अफगानिस्तान की विदेश नीति पर नियंत्रण प्राप्त हुआ।
    • वर्ष 1893 में, सर हेनरी मोर्टिमर डूरंड और अमीर अब्दुर रहमान खान डूरंड रेखा बनाने पर सहमत हुए। 
      • इसने पश्तून जनजातीय क्षेत्रों को विभाजित कर दिया, बलूचिस्तान को ब्रिटिश भारत के अधीन कर दिया तथा रूस और ब्रिटेन के बीच बफर के रूप में वाखान कॉरिडोर की स्थापना की।
    • तीसरा एंग्लो-अफगान युद्ध (1919) रावलपिंडी की संधि के साथ समाप्त हुआ, जिसने अफगानिस्तान के विदेशी मामलों पर नियंत्रण बहाल कर दिया तथा डूरंड रेखा की पुनः पुष्टि की।
  • 1947 के बाद की स्थिति: विभाजन के समय पाकिस्तान को यह सीमा विरासत में मिली, लेकिन अफगानिस्तान ने इसे औपनिवेशिक निर्माण बताते हुए इसे मान्यता देने से इनकार कर दिया।
  • पश्तूनिस्तान विवाद: दोनों देशों के पश्तून समुदायों द्वारा स्वतंत्र पश्तूनिस्तान की मांग ने द्विपक्षीय तनाव को और बढ़ाया।
  • तालिबान का रुख: तालिबान सहित अब तक की किसी भी अफगान सरकार ने डूरंड रेखा को वैध नहीं माना और पश्तून-बहुल क्षेत्रों पर दावा जारी रखा है।

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